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                                            हमारे रामपुर में सीताफल, एक आम फल है, क्योंकि यह अच्छी तरह से सुखी मिट्टी के साथ, गर्म जलवायु में खास बढ़ता है। यह हमारे क्षेत्र में किसानों के लिए एक उपयुक्त फ़सल है। सीताफल, न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि विटामिन (Vitamins), फ़ाइबर (Fibre) और एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidants) में भी समृद्ध है। यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने, पाचन में सुधार करने और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में भी मदद करता है। कम कैलोरी मात्रा, परंतु पोषक तत्वों में उच्च होने के कारण, यह एक स्वस्थ फल है।
आज, हम सीताफल के संक्षिप्त परिचय पर चर्चा करेंगे। हम इसके स्वास्थ्य लाभों का पता भी लगाएंगे। इसके बाद, हम भारत में इसकी बाज़ार क्षमता को देखेंगे। हम सीताफल की खेती के लिए आवश्यक, आदर्श जलवायु और मिट्टी स्थिति के बारे में भी पढ़ेंगे। अंत में हम जानेंगे कि, देश भर में इस फल की कौन सी लोकप्रिय किस्में उगाई जाती हैं।
सीताफल का विवरण:
कस्टर्ड ऐप्पल (Custard apple) या सीताफल (एनोना स्क्वैमोसा एल. – Annona squamosa L.) को, इसके अत्यंत मीठे व नाज़ुक गुदे के कारण, ‘शुष्क क्षेत्र की नज़ाकत’ कहा जा सकता है। सीताफल पूरे भारत में, सीताफल या सीता पालम या शरीफ़ा के रूप में लोकप्रिय है।
यह लगभग, 5-6 मीटर ऊंचाई वाली एक पर्णपाती या अर्ध पर्णपाती लंबी झाड़ी है, जिसमें अनियमित रूप से फ़ैलने वाली शाखाएं होती हैं। सीताफल, कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) में समृद्ध होते हैं, जिसमें मुख्य रूप से शर्करा (23.5%), प्रोटीन (1.6%), कैल्शियम (17 मिलीग्राम/100 ग्राम), फ़ॉस्फोरस (47 मिलीग्राम/100 ग्राम) और लौह (1.5 मिलीग्राम/100 ग्राम) शामिल हैं।
यह भारत में उष्णकटिबंधीय अमेरिका से पेश किए गए, कुछ सबसे बेहतरीन फलों में से एक है, और देश के कई हिस्सों में जंगली रूप में पाया गया है। यह चीन (China), फ़िलीपींस (Phillippines), मिस्र(Egypt) और मध्य अफ़्रीका (Central Africa) में आम है।
सीताफल अपने रंग में, गहरे हरे भूरे होते हैं, और इनका छिलका उठाव एवं गिराव के साथ चिह्नित होता है। इसका गुदा लाल–पीला, मीठा और बहुत नरम है, लेकिन, बीजों को ज़हरीला माना जाता है।
भारत में सीताफल उत्पादक क्षेत्रों में असम, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु शामिल हैं। देश में लगभग 55,000 हेक्टेयर क्षेत्र सीताफल की खेती के लिए समर्पित हैं। महाराष्ट्र के साथ, गुजरात एक और बड़ा सीताफल उत्पादक राज्य है। यह फल खारी मिट्टी से लेकर सुखी मिट्टी जैसे विभिन्न स्थितियों को सहन करता है। वास्तव में, किसान आमतौर पर बंजर भूमि में, पहाड़ियों पर इन फलों की खेती करते हैं। हालांकि, अनियमित बारिश इन फलों की गुणवत्ता को बाधित करती है।
सीताफल के स्वास्थ्य लाभ:
एक स्वादिष्ट फल के रूप में सेवन किए जाने के अलावा, सीताफल का उपयोग शेक, स्मूदी, मिठाई, आइसक्रीम और पौष्टिक स्नैक्स तैयार करने के लिए भी किया जा सकता है। यह फल, उत्कृष्ट स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है, क्योंकि यह कैल्शियम (Calcium), मैग्नीशियम (Magnesium), लौह (Iron), नियासिन (Niacin), पोटैशियम (Potassium) और विटामिन सी (Vitamin-C) जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट में समृद्ध है।
•विटामिन ए (Vitamin-A) में समृद्ध:
स्वस्थ त्वचा और बालों को बढ़ावा देता है, तथा आंखों की रोशनी एवं दांतों की सड़न का मुकाबला करने में मदद करता है।
•विटामिन बी 6, पोटैशियम और मैग्नीशियम से भरपूर:
ब्रोन्कियल सूजन को कम करने में मदद करता है; दमा को रोकता है; हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करता है; तथा रक्तचाप के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है।
•तांबे, नियासिन और आहार फ़ाइबर में समृद्ध:
पाचन में सहायता करता है; आंत्र संचलन को बनाए रखता है; टाइप-2 मधुमेह के जोखिम को कम करता है; एवं कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) के स्तर को प्रभावी ढंग से कम करने में मदद करता है।
•समृद्ध लौह स्रोत:
एनीमिया के इलाज़ में उपयोगी है।
•गर्भावस्था में उपयोगी:
स्त्रियों में दूध उत्पादन के लिए एवं भ्रूण के स्वस्थ विकास में मदद करता है।
बाज़ार क्षमता-
भारत में, महाराष्ट्र, 92,320 टन की उपज के साथ, सीताफल के उत्पादन में, देश का नेतृत्व करता है। उसके बाद गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का स्थान आता हैं। यह असम, बिहार, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में भी उगाया जाता है। गुजरात में यह मुख्य रूप से एक ‘सीमा फ़सल’ (State Institute for Management of Agriculture (SIMA)) के रूप में उगाया जाता है और यह जंगलों में भी व्यापक रूप से बढ़ता है।
एक तरफ़, भारत सरकार ने इस छोटे से अपितु महत्वपूर्ण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, स्थानीय किसानों को विदेशी खाद्य सामग्री के बीज और पौधे प्रदान करने की घोषणा की है।
सीताफल की खेती के लिए आवश्यक जलवायु और मिट्टी-
•जलवायु:
सभी एनोना फल, उष्णकटिबंधीय मूल के हैं, और अलग-अलग स्तर वाले गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ते हैं। सीताफल को पुष्पन के समय, गर्म व शुष्क जलवायु एवं फलों की स्थापना के समय, उच्च आर्द्रता की आवश्यकता होती है। इनमें, मई की गर्म शुष्क जलवायु के दौरान, फूल आते है, लेकिन फल की स्थापना मानसून की शुरुआत में होती है। कम आर्द्रता, सीताफल पेड़ों के परागण और निषेचन के लिए हानिकारक है। सूखे की स्थिति, बादल वाली स्थिति और यहां तक कि, जब तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे जाता है, तब भी सीताफल इसका सामना करता है। इसके लिए, 50-80 सेंटीमीटर की वार्षिक वर्षा इष्टतम है, हालांकि, यह उच्च वर्षा का भी सामना कर सकता है।
•मिट्टी:
सीताफल को किसी खास प्रकार की मिटटी की आवशयकता नहीं होती है, और उथली, रेतीली जैसी सभी प्रकार की मिट्टी में पनपता है। लेकिन, मिट्टी के नीचे वाला मृदा भाग खराब हो जाता है, तो यह बढ़ने में विफ़ल रहता है। यह अच्छी जल निकास वाली मिट्टी और गर्म जलवायु में तेज़ी से बढ़ता है। थोड़ी सी लवणता या अम्लता भी इसे प्रभावित नहीं करती है, लेकिन क्षारीयता, अधिक क्लोरीन, खराब जल निकासी या दलदली-गीली भूमि, इसके विकास और फ़लने में बाधा डालती है।
सीताफल की विभिन्न किस्में:
देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में उगाई जाने वाली, सीताफल की कुछ किस्में निम्नलिखित हैं–
१.लाल सीताफल (Red custard apple)
२.बालनगर (Balanagar)
३.हाइब्रिड सीताफल (Hybrid custard apple)
४.वाशिंगटन (Washington)
५.पुरंदर(पुणे) (Purandhar (Pune))
संदर्भ:
मुख्य चित्र स्रोत : pxhere