रामपुर, जानें क्यों दवाओं के अभाव से दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी का सफ़ाया हो सकता है ?

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
27-03-2025 09:27 AM
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रामपुर, जानें क्यों दवाओं के अभाव से दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी का सफ़ाया हो सकता है ?

छोटे-मोटे सर्दी ज़ुकाम से लेकर गंभीर बीमारियों तक, हम आमतौर पर दवाओं का सहारा लेते हैं। ये न सिर्फ़ बीमारियों को रोकने और उनका इलाज करने में मदद करती हैं, बल्कि कई बार उन्हें नियंत्रित भी करती हैं। कुछ दवाएँ डॉक्टर की सलाह पर ली जाती हैं, जबकि कुछ बिना डॉक्टर के पर्चे के भी आसानी से उपलब्ध होती हैं। रामपुर में, लोग अक्सर बुखार के लिए पैरासिटामोल और पेट की समस्याओं के लिए एंटासिड जैसी दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। हाल के वर्षों में, आयुर्वेदिक और हर्बल उपचारों की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ी है। लोग अब पारंपरिक एवं आधुनिक चिकित्सा का मिश्रण अपनाने लगे हैं। इस लेख में हम उनमहत्वपूर्ण दवाओं पर चर्चा करेंगे जिन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। साथ ही, हम यह भी समझेंगे कि दवाएँ कैसे विकसित होती हैं और इस क्षेत्र में हाल के वर्षों में कौन-कौन से नए आविष्कार हुए हैं। अंत में, हम यह स्पष्ट करेंगे कि औषधीय दवाएँ वास्तव में क्या होती हैं|
चलिए लेख की शुरुआत कुछ ज़रूरी और क्रांतिकारी दवाओं के साथ करते हैं।

दवाओं ने हमारी ज़िंदगी बदल दी है। कुछ दवाएँ इतनी महत्वपूर्ण साबित हुईं कि अगर वे न होतीं, तो शायद आज की दुनिया बहुत ही अलग होती। आइए, ऐसी ही कुछ ज़रूरी दवाओं को करीब से समझते हैं।

चित्र स्रोत : Wikimedia

1) पेनिसिलिन: पहली एंटीबायोटिक – क्या आप जानते हैं कि अगर पेनिसिलिन न होती, तो आज दुनिया के 75% लोग शायद इस दुनिया में ही न होते? इसका कारण यह है कि इंसानों के पूर्वज बैक्टीरिया से होने वाले गंभीर संक्रमण का शिकार हो सकते थे। पेनिसिलिन (Penicillin) की खोज 1928 में अलेक्जेंडर फ्लेमिंग (Alexander Fleming) द्वारा की गई और यह पहली एंटीबायोटिक (Antibiotic) बनी। इससे पहले, छोटे-छोटे संक्रमण भी जानलेवा हो सकते थे। लेकिन पेनिसिलिन ने चिकित्सा जगत में क्रांति ला दी और यह साबित किया कि बैक्टीरिया से होने वाले रोगों का इलाज संभव है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

2) इंसुलिन (Insulin): मधुमेह (डायबिटीज़)(Diabetes) से ग्रस्त लोग अपने शरीर में भोजन से बनी शर्करा (ग्लूकोज़) (glucose) को ऊर्जा में नहीं बदल पाते। चाहे वे कितना भी खा लें, उनके शरीर को ज़रूरी ऊर्जा नहीं मिलती, क्योंकि उनका शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता। पहले इस बीमारी को "शुगर सिकनेस" (sugar sickness) कहा जाता था, और इसका इलाज बहुत कठिन था। यहाँ तक की मरीज़ो को खाने से लगभग वंचित ही कर दिया जाता था। वे भूख और कमज़ोरी से मर जाते थे। लेकिन जब वैज्ञानिकों ने इंसुलिन की खोज की, तो यह एक चमत्कार जैसा था। अब मधुमेह के मरीज़ बस इंसुलिन इंजेक्शन लेकर सामान्य जीवन जी सकते हैं।

चित्र स्रोत : Wikimedia

3) चेचक और पोलियो के टीके: वैक्सीन कोई दवा नहीं होती, लेकिन यह बीमारी को होने से रोकने में बेहद कारगर होती है। चेचक (स्मॉलपॉक्स) (Smallpox) एक भयानक बीमारी थी, जिसने लाखों लोगों की जान ली थी। लेकिन वैक्सीन के कारण यह बिमारी पूरी दुनिया से मिट गई। यह पहला रोग था, जिसे इंसान ने पूरी तरह खत्म कर दिया। इसी तरह, पोलियो भी लगभग समाप्ति की कगार पर है। एक समय था जब पोलियो से लोग जीवनभर के लिए अपंग हो जाते थे! लेकिन टीकाकरण ने इस खतरे को लगभग खत्म कर दिया। आज की पीढ़ी शायद यह अंदाज़ा भी नहीं लगा सकती कि यह बीमारी कितनी खतरनाक थी।

4) ईथर (Ether): आज अगर कोई ऑपरेशन (operation) होता है, तो मरीज़ को बेहोश कर दिया जाता है ताकि उसे दर्द महसूस न हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहले ऐसा नहीं था? ईथर से पहले, मरीज़ो को पकड़कर सर्ज़री करनी पड़ती थी, बिना बेहोशी के ! ज़रा सोचिए, जब बिना संवेदनाहारी दवा के किसी के शरीर का कोई हिस्सा काटा जा रहा हो तो वह कितना भयानक और असहनीय होता होगा।ईथर पहली ऐसी दवा थी, जिसने यह साबित किया कि बेहोशी संभव है। इसके बाद बेहतर एनेस्थेटिक्स(Anesthetics) (बेहोश करने वाली दवाएँ) आईं, लेकिन सर्ज़री को आसान और कम दर्दनाक बनाने का श्रेय ईथर को जाता है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

5) मॉरफ़ीन (Morphine): अगर आपने कभी सर्ज़री (surgery) करवाई हो या किसी को गंभीर चोट लगी हो, तो आपने दर्द निवारक दवाओं के महत्व को ज़रूर समझा होगा। मॉरफीन सबसे पुरानी और प्रभावी दर्द निवारक दवा है। यह अफ़ीम से बनती है और इसका नाम ग्रीक मिथकों के "सपनों के देवता" मॉर्फियस के नाम पर रखा गया। हालांकि, मॉरफीन का अधिक उपयोग करने से लत लग सकती है, फिर भी यह उन लोगों के लिए जीवनदायक बनी हुई है, जिन्हें असहनीय दर्द से जूझना पड़ता है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

6) एस्पिरिन (Aspirin): एस्पिरिन शायद सबसे आम दवाओं में से एक है, लेकिन इसका महत्व सिर्फ़ साधारण सिरदर्द तक सीमित नहीं है। यह मांसपेशियों के दर्द, बुखार, गठिया और यहां तक कि दिल के दौरे को रोकने में भी मदद करती है। एस्पिरिन ने साबित किया कि एक सुरक्षित और प्रभावी दर्द निवारक दवा बनाई जा सकती है, जिससे बिना किसी गंभीर दुष्प्रभाव के राहत मिल सकती है।

निचोड़ यही है कि चाहे वह संक्रमण से बचाने वाली पेनिसिलिन हो, मधुमेह के मरीज़ो के लिए जीवनदायिनी इंसुलिन हो, या दर्द से राहत देने वाली मॉरफीन—इन दवाओं ने लाखों, बल्कि करोड़ों लोगों की ज़िंदगी बचाई है।

दवाओं के विकास की कहानी रोमांचक पड़ावों से भरी हुई है। प्राचीन जड़ी-बूटियों से लेकर आधुनिक हाई-टेक दवाओं तक, हर खोज ने हमारे जीवन को बेहतर और सुरक्षित बनाया है। विज्ञान के विकास के साथ-साथ दवाओं के असर, उनकी खुराक और सुरक्षा पर भी शोध हुआ, जिससे चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए। 
दवाएँ क्या होती हैं और वे कैसे काम करती हैं?
जब भी हम बीमार होते हैं या कोई स्वास्थ्य समस्या होती है, तो डॉक्टर हमें कुछ दवाएँ लेने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दवाएँ वास्तव में होती क्या हैं और वे हमारे शरीर कैसे काम करती हैं? दवा, जिसे औषधि, फार्मास्युटिकल ड्रग (Pharmaceutical Drug) या मेडिसिन (medicine) भी कहा जाता है, एक ऐसा पदार्थ होता है जिसका उपयोग बीमारी का पता लगाने (Diagnosis), इलाज (Treatment), रोकथाम (Prevention) या लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। आसान भाषा में कहें, तो दवाएँ हमारे शरीर में उस समस्या पर काम करती हैं, जिसकी वजह से हम अस्वस्थ महसूस कर रहे होते हैं।

चित्र स्रोत : Wikimedia

दवाओं को कई तरीकों से वर्गीकृत किया जाता है। उनमें से कुछ प्रमुख वर्ग इस प्रकार हैं:

प्रिस्क्रिप्शन दवाएँ (Prescription Drugs) – ये वे दवाएँ होती हैं जो केवल डॉक्टर के लिखे गए पर्चे (Prescription) पर ही मिलती हैं। इन्हें खरीदने के लिए मेडिकल स्टोर(Medical Store) पर डॉक्टर की सलाह दिखानी पड़ती है।

ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाएँ – कुछ दवाएँ ऐसीहोती हैं जिन्हें बिना डॉक्टर के पर्चे के सीधे मेडिकल स्टोर से खरीदा जा सकता है, जैसे बुखार या सिरदर्द की सामान्य गोलियां।

इसके अलावा, दवाओं को उनके असर के तरीके, सेवन के तरीके (जैसे गोली, इंजेक्शन, क्रीम), शरीर पर प्रभाव डालने वाली प्रणाली (जैसे पाचन, हृदय, तंत्रिका तंत्र) या उनके चिकित्सीय प्रभाव के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है। दवाओं की सही जानकारी और उनका उचित उपयोग बहुत ज़रूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) आवश्यक दवाओं की एक सूची तैयार करता है, जिसमें उन दवाओं को शामिल किया जाता है जो सबसे ज़रूरी और प्रभावी मानी जाती हैं। सही दवा, सही मात्रा में और सही तरीके से लेने से ही उसका पूरा लाभ मिलता है। इसलिए, हमेशा डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाओं का सेवन करना चाहिए।

संयुक्त मौखिक गर्भनिरोधक गोलियों को 1960 के दशक में "द पिल" उपनाम दिया गया था! चित्र स्रोत : Wikimedia

आइए, जानते हैं कि दवा अनुसंधान ने कैसे-कैसे अहम मोड़ लिए और हमारी सेहत को कैसे नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।

आधुनिक औषध विज्ञान की शुरुआत: 19वीं सदी की बड़ी छलांग: - 19वीं सदी से पहले दवाओं को ज़्यादातर परंपरागत ज्ञान के आधार पर इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन इस दौर में वैज्ञानिकों ने दवा अनुसंधान को एक व्यवस्थित दिशा दी। अब वैज्ञानिक यह समझने लगे कि कौन-सी दवा शरीर पर कैसे असर करती है, उसे किस मात्रा में दिया जाना चाहिए और उसके संभावित साइड इफेक्ट्स (side effects) क्या हो सकते हैं। इसी दौरान, मॉडर्न फार्मास्युटिकल साइंस (pharmaceutical science) ने एक स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में आकार लेना शुरू किया।

प्राकृतिक स्रोतों से प्रभावी दवाएँ: 19वीं सदी की बड़ी उपलब्धियाँ:- प्राकृतिक स्रोतों से असरदार यौगिकों को अलग करना इस दौर की सबसे बड़ी खोजों में से एक थी।
कुछ बेहतरीन उदाहरणों में शामिल है:

✔ मॉरफीन अफ़ीम से निकाला गया एक मज़बूत दर्द निवारक।

✔ कुनैन (Quinine) – सिनकोना पेड़ से प्राप्त, जिसने मलेरिया के इलाज में क्रांति ला दी।

इन खोजों ने आधुनिक दवा उद्योग की नींव रखी और वैज्ञानिकों को समझ आया कि प्रकृति में छिपे तत्वों को सही तरीके से उपयोग करके नई दवाएँ बनाई जा सकती हैं।

20वीं सदी: दवा विकास में क्रांतिकारी बदलाव:- 20वीं सदी विज्ञान और तकनीक के तेज़ी से बढ़ने का युग बना। इस दौरान कई नई दवाएँ और चिकित्सा तकनीकें विकसित हुईं, जिनमें से कुछ ने तो इंसानी जीवन की दिशा ही बदल दी। फार्मास्युटिकल उद्योग ने ज़बरदस्त रफ़्तार पकड़ी और कई गंभीर बीमारियों के इलाज संभव हो सके।

चित्र स्रोत : Wikimedia

आइए अब दवा अनुसंधान की 3 सबसे बड़ी सफ़लताओं पर एक नज़र डालते हैं:

1. एंटीबायोटिक्स (Antibiotics): संक्रमण के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा हथियार:- एंटीबायोटिक्स की खोज को दवा इतिहास के सबसे बड़े मील के पत्थरों में से एक माना जाता है। पहले, मामूली संक्रमण भी जानलेवा हो सकते थे, लेकिन एंटीबायोटिक्स ने चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया। इससे अनगिनत ज़िंदगियाँ बचाई जा सकीं और गंभीर संक्रमणों का इलाज संभव हुआ।

2. दर्द निवारक दवाएँ: बेहतर जीवन की ओर एक कदम:- दर्द को मैनेज(manage) करना हमेशा से चिकित्सा जगत के लिए चुनौती रहा है। लेकिन आधुनिक दर्द निवारक दवाओं ने यह समस्या हल कर दी। अब डॉक्टर तीव्र और पुराने दोनों तरह के दर्द का इलाज प्रभावी तरीके से कर सकते हैं, जिससे मरीज़ो की जीवनशैली बेहतर हुई है।

3. मानसिक स्वास्थ्य के लिए दवाएँ: नई उम्मीद की किरण:- पहले के समय में मानसिक बीमारियों का इलाज करना बहुत मुश्किल हुआ करता था। लेकिन समय के साथ वैज्ञानिकों ने ऐसी दवाएँ विकसित कीं, जो अवसाद, चिंता और सिज़ोफ्रेनिया(Schizophrenia) जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए वरदान साबित हुईं। साइकोट्रोपिक(psychotropic) दवाओं ने इस क्षेत्र में नई संभावनाएँ खोलीं और लाखों लोगों को राहत दी। 

दवा अनुसंधान की यात्रा आज भी जारी है। हर नई खोज, हर नया शोध हमें बेहतर इलाज की ओर ले जा रहा है। जेनेटिक (genetic) दवाएँ, पर्सनलाइज्ड मेडिसिन (personalised medicine) और बायोटेक्नोलॉजी (Biotechnology) जैसी नई तकनीकें भविष्य में और भी प्रभावी उपचारों का रास्ता खोलेंगी। विज्ञान के इन नए पड़ावों के साथ, उम्मीद है कि आने वाले समय में और भी घातक बीमारियों का इलाज संभव हो सकेगा।

 

संदर्भ: 

https://tinyurl.com/26pebuqc
https://tinyurl.com/2dbmbzf2
https://tinyurl.com/2f7dvjfa

मुख्य चित्र स्रोत : Wikimedia