सूक्ष्मजीव बन गए हैं, रामपुर के किसानों के सुख-दुख के साथी !

बैक्टीरिया, प्रोटोज़ोआ, क्रोमिस्टा और शैवाल
24-03-2025 09:24 AM
Post Viewership from Post Date to 24- Apr-2025 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2643 81 0 2724
* Please see metrics definition on bottom of this page.
सूक्ष्मजीव बन गए हैं, रामपुर के किसानों के सुख-दुख के साथी !

रामपुर के किसानों का एक बड़ा तबका, अपनी आजीविका के लिए खेती-किसानी पर निर्भर करता है! यदि आप भी खेती करते हैं, या फिर अपने घरों के छोटे-छोटे बगीचों में सब्ज़ियाँ उगाते हैं, तो आपको कृषि में सूक्ष्मजीवों (microbes) की रोचक भूमिका के बारे में पता होना चाहिए। ये नन्हें जीव मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और किसानों को स्वस्थ फ़सल उगाने में बड़ी मदद करते हैं। क्या आप जानते हैं कि लाभकारी बैक्टीरिया और कवक से जैव उर्वरक बनाए जाते हैं, जो मिट्टी में नाइट्रोजन (Nitrogen) जैसे पोषक तत्व बढ़ाकर पौधों को मज़बूत बनाते हैं। इतना ही नहीं सूक्ष्मजीव खाद बनाने में भी सहायक होते हैं। वे कचरे को जैविक खाद में बदलकर मिट्टी की गुणवत्ता को स्वाभाविक रूप से सुधारते हैं। इसके अलावा, सूक्ष्मजीवों से कुछ जैविक कीटनाशक भी बनाए जाते हैं, जो फ़सलों को कीटों और बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की आवश्यकता कम होती है। इससे किसानों को बेहतर फ़सल उत्पादन में सहायता मिलती है और उनकी मिट्टी भी स्वस्थ बनी रहती है। सूक्ष्मजीव वास्तव में किसानों के सच्चे मित्र हैं। वे न केवल कृषि में बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देते हैं। इसलिए आज के इस लेख में हम राइज़ोबियम(Rhizobium) और नाइट्रोजन स्थिरीकरण पर चर्चा करेंगे। इसके तहत हम जानेंगे कि ये मिट्टी की उर्वरता को कैसे बढ़ाते हैं। फिर हम जैव उर्वरकों के लाभों और उनके द्वारा स्वस्थ पौधों के विकास को प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया को समझेंगे। अंत में हम खाद निर्माण, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और टिकाऊ खेती में सूक्ष्मजीवों की भूमिका पर विचार करेंगे।

राइज़ोबियम राइज़ोजेन्स (Rhizobium rhizogenes) | चित्र स्रोत : Wikimedia


आइए लेख की शुरुआत राइज़ोबियम और नाइट्रोजन स्थिरीकरण को आसान भाषा में समझने के साथ करते हैं: 

राइज़ोबियम एक ग्राम-नेगेटिव जीवाणु होता है, जो गतिशील होता है और मिट्टी में पाया जाता है। यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर करने में मदद करता है। यह मुख्य रूप से फलीदार पौधों और पैरास्पोनिया की जड़ों में मौजूद रूट नोड्यूल (root nodules) में पाया जाता है, जहाँ यह पौधों के साथ, सहजीवी संबंध बनाता है।

राइज़ोबियम बैक्टीरिया रूट नोड्यूल के भीतर पौधों की कोशिकाओं में प्रवेश करता है। वहाँ यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन को अमोनिया में परिवर्तित करता है। यह प्रक्रिया " नाइट्रोजनेज़ " (Nitrogenase) एंज़ाइम(enzyme) की मदद से होती है। इसके माध्यम से बैक्टीरिया पौधों को यूरीड्स और ग्लूटामाइन जैसे कार्बनिक नाइट्रोजन यौगिक प्रदान करने में मदद करता है।

राइज़ोबियम बैक्टीरिया अकेले नाइट्रोजन स्थिरीकरण नहीं कर सकते। वे केवल सहजीवी संबंध के तहत ही यह क्षमता विकसित करते हैं। इस संबंध में पौधों को भी लाभ मिलता है क्योंकि वे प्रकाश संश्लेषण द्वारा कार्बनिक यौगिक बनाते हैं, जो बैक्टीरिया को भी मिलते हैं। इस तरह, पौधों और राइज़ोबियम के बीच एक परस्पर लाभकारी संबंध बनता है। फलीदार पौधों की जड़ें कुछ रासायनिक पदार्थ स्रावित करती हैं, जो बैक्टीरिया को आकर्षित करते हैं। इसके बाद, नोड कारक छोड़ने वाले बैक्टीरिया जड़ के बालों को कर्लिंग कर देते हैं, जिससे नोड्यूल बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।

विग्ना अनगुइकुलाटा अर्थात लोबिया के पौधे पर राइज़ोबिया नोड्यूल्स | चित्र स्रोत : Wikimedia


राइज़ोबियम का उपयोग कहाँ होता है?

राइज़ोबियम जैव-उर्वरक एक ऐसा पदार्थ है, जिसमें जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं। इसे पौधों की सतह, बीज या मिट्टी में मिलाया जाता है। यह बैक्टीरिया पौधों की जड़ों या राइज़ोस्फीयर(rhizosphere) को उपनिवेशित कर, पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाते हैं और पौधों की वृद्धि में सहायक होते हैं। राइज़ोबियम वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर उसे उपयोगी कार्बनिक यौगिकों में बदलता है, जिससे पौधों और बैक्टीरिया दोनों को लाभ मिलता है।

 नाइट्रोजनेज़ (Nitrogenase) एक महत्वपूर्ण एंज़ाइम है, जिसका उत्पादन राइज़ोबियम और साइनोबैक्टीरिया जैसे कुछ बैक्टीरिया करते हैं। यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन को अमोनिया में परिवर्तित करता है। यह प्रक्रिया अवायवीय परिस्थितियों में अधिक सक्रिय होती है। यह एंज़ाइम दो प्रकार के प्रोटीन सबयूनिट से मिलकर बना होता है—नॉन-हीम आयरन प्रोटीन और आयरन-मोलिब्डेनम प्रोटीन।

इस तरह, राइज़ोबियम बैक्टीरिया और नाइट्रोजनेज एंज़ाइम मिलकर नाइट्रोजन स्थिरीकरण की प्रक्रिया को संचालित करते हैं, जिससे फलीदार पौधों की वृद्धि और उपज में सुधार होता है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

आइए, अब जैव उर्वरकों और उनके लाभों पर एक नज़र डालते हैं: 

जैवउर्वरक लाभकारी सूक्ष्मजीवों का उपयोग करके पौधों की वृद्धि में मदद करते हैं। ये मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाते हैं और पौधों को स्वस्थ व मज़बूत बनाते हैं। जैवउर्वरक नाइट्रोजन फिक्सर, फॉस्फोरस और पोटेशियम घुलनशील बनाने वाले जीवाणुओं, तथा आयरन मोबिलाइज़र का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, ये फाइटोहॉर्मोन (phytohormones) का उत्पादन करने वाले सूक्ष्मजीवों की सहायता से मिट्टी की पोषक गुणवत्ता को सुधारते हैं।

इन उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ती है, जिससे मिट्टी का स्वास्थ्य और स्थिरता बनी रहती है। इसके परिणामस्वरूप पौधे तेज़ी से बढ़ते हैं और अधिक उपज देते हैं। कुछ जीवाणु प्रजातियाँ, जिन्हें पादप-विकास-प्रवर्तक राइज़ोबैक्टीरिया (PGPR) कहा जाता है, एज़ोटोबैक्टर, एस्चेरिचिया कोली, स्यूडोमोनास और बैसिलस जैसे जैवउर्वरकों में शामिल होते हैं। इसी तरह, आर्बुस्कुलर माइकोराइज़ल कवक (AMF) जैसे ग्लोमस वर्सीफॉर्म, एस्परगिलस अवामोरी, ग्लोमस मैक्रोकार्पम भी बिना किसी नकारात्मक प्रभाव के मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं।

पी जी पी आर(PGPR) और ए एम एफ(AMF) के संयुक्त उपयोग से पौधों की वृद्धि, पोषक तत्वों का अवशोषण और रोग सहिष्णुता में सुधार होता है। यह पौधों को अजैविक तनाव सहने में भी सक्षम बनाता है। उदाहरण के लिए, राइज़ोबियम, एज़ोटोबैक्टर और वेसिकुलर आर्बुस्कुलर माइक्रोराइज़ा (Vesicular Arbuscular Mycorrhiza) (VAM) के साथ रॉक फॉस्फेट का उपयोग करने से गेहूं की उपज में वृद्धि हुई। इसी तरह, थियोबैसिलस थायोऑक्सिडेंस, बैसिलस सबटिलिस और सैक्रोमाइसीज जैसे जीवाणु लौह (Fe), मैंगनीज़ (Mn), और ज़िंक (Zn) जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को घुलनशील बनाकर पौधों को उपलब्ध कराते हैं।

ट्राइकोडर्मा एस पी पी (Trichoderma spp) | चित्र स्रोत : Wikimedia

ट्राइकोडर्मा एस पी पी (Trichoderma spp) जैसे कवक पौधों की जैविक और अजैविक तनाव सहनशीलता को बढ़ाने में मदद करते हैं। ये एंज़ाइम का उत्पादन कर हानिकारक रसायनों को निष्क्रिय करते हैं और तनाव-रोधी प्रोटीन के निर्माण को बढ़ावा देते हैं। उदाहरण के लिए, ट्राइकोडर्मा हरज़ियानम ने टमाटर के पौधों की ठंड सहने की क्षमता बढ़ाई। नाइट्रोजन फिक्सिंग, पोटेशियम और फॉस्फेट घुलनशील करने वाले जीवाणु फ़सलों की वृद्धि, उत्पादन और गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं। इस प्रकार, जैवउर्वरक टिकाऊ कृषि के लिए आवश्यक हैं और आधुनिक कृषि प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आइए अब खाद बनाने और मृदा स्वास्थ्य में सूक्ष्मजीवों की भूमिका को समझते हैं:

मृदा सूक्ष्मजीव और कार्बनिक पदार्थ मिलकर मिट्टी को उपजाऊ और उत्पादक बनाते हैं। आइए समझते हैं कि यह प्रक्रिया कैसे काम करती है।

1. मृदा कार्बनिक पदार्थ की भूमिका: मृदा कार्बनिक पदार्थ में पौधों के अवशेष और पशु खाद शामिल होते हैं। यह पदार्थ मिट्टी की संरचना को सुधारता है, जल धारण क्षमता बढ़ाता है और पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा, यह पोषक तत्वों का भंडार बनाता है, जिससे पौधे लाभ उठा सकते हैं। कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में रहने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए भी भोजन का स्रोत बनता है, जिससे उनका समुदाय विकसित होता है।

2. सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटन: मृदा सूक्ष्मजीव कार्बनिक पदार्थों के प्रमुख अपघटक होते हैं। जीवाणु, कवक और अन्य सूक्ष्मजीव जटिल कार्बनिक यौगिकों को सरल रूपों में तोड़ते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान नाइट्रोजन(nitrogen), ‎फ़ॉस्फ़ोरस(phosphorus) और सल्फ़र (sulphur) जैसे आवश्यक पोषक तत्व मुक्त होते हैं। यह अपघटन पोषक चक्रण को बनाए रखने और पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

3. सहजीवी संबंध: कुछ मृदा सूक्ष्मजीव पौधों के साथ सहजीवी संबंध बनाते हैं। उदाहरण के लिए, माइकोराइज़ल कवक पौधों की जड़ प्रणाली का विस्तार करते हैं और पोषक तत्वों व पानी के अवशोषण की क्षमता बढ़ाते हैं। नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ऐसे रूप में परिवर्तित करते हैं, जिसे पौधे उपयोग कर सकते हैं। इन सहजीवी संबंधों को बनाए रखने में मिट्टी में मौजूद कार्बनिक पदार्थ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

चित्र स्रोत : Wikimedia

4. मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ और सूक्ष्मजीवों की विविधता: मिट्टी में अधिक कार्बनिक पदार्थ होने से सूक्ष्मजीवों की विविधता बढ़ती है। यह विविधता मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक होती है। विविध माइक्रोबियल(microbial) समुदाय मिट्टी में होने वाली बीमारियों को रोकने, कार्बनिक पदार्थों के अपघटन को तेज़ करने और पौधों के स्वास्थ्य को बढ़ाने में सहायक होते हैं। खाद डालने, कवर क्रॉपिंग, फ़सल चक्रण और कम जुताई जैसी कृषि तकनीकें मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों के स्तर को बनाए रखने और सूक्ष्मजीवों की विविधता बढ़ाने में मदद करती हैं।

5. मिट्टी के स्वास्थ्य पर प्रभाव: मृदा सूक्ष्मजीवों और कार्बनिक पदार्थों के बीच का संतुलन सीधे मिट्टी के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। संतुलित कार्बनिक पदार्थ और सक्रिय सूक्ष्मजीवों से भरपूर मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है, मिट्टी की संरचना मज़बूत होती है और पर्यावरणीय तनावों से निपटने की क्षमता बेहतर होती है। इससे फ़सल की पैदावार बढ़ती है, उपज की गुणवत्ता में सुधार होता है और खेती अधिक टिकाऊ बनती है।

कुल मिलाकर मृदा सूक्ष्मजीव और कार्बनिक पदार्थ मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि किसान और कृषि वैज्ञानिक ऐसी पद्धतियाँ अपनाएँ जो मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ाएँ, तो वे मिट्टी की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

 

संदर्भ:

https://tinyurl.com/bd6rrb9d

https://tinyurl.com/mvk4dy6v

https://tinyurl.com/bd7uu4fb

मुख्य चित्र: खेत में एक किसान और राइज़ोबियम नामक बैक्टीरिया (Wikimedia)