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                                            रामपुर के लोग यह जानते होंगे कि भारत के कई हिस्सों में जैन मंदिर और तीर्थस्थल (धार्मिक यात्रा स्थल) पाए जाते हैं, जिनमें से कई मंदिर सैंकड़ों साल पुराने हैं। इन मंदिरों में तीर्थंकरों की मूर्तियाँ रखी जाती हैं। तो आज महावीर जयंती के इस खास मौके पर हम भारत के कुछ महत्वपूर्ण जैन मंदिरों के बारे में जानेंगे। हम इनके इतिहास, वास्तुकला के अंदाज़ और सांस्कृतिक महत्व के बारे में बात करेंगे। हम राजस्थान के रणकपुर जैन मंदिर से शुरुआत करेंगे।
फिर हम कर्नाटका के गोमतेश्वर मंदिर, दिल्ली के श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर, केरल के धर्मनाथ मंदिर और अन्य महत्वपूर्ण मंदिरों के बारे में बात करेंगे। इसके बाद, हम उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख जैन वास्तुकला वाले स्थलों के बारे में भी चर्चा करेंगे। इसमें हम देवरगह, मथुरा के कंकाली तिल और बुंदेलखंड के प्राचीन जैन तीर्थ स्थलों के बारे में बात करेंगे।
भारत के कुछ प्रमुख जैन मंदिर:

1.) रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान: 15वीं सदी का  यह मंदिर, जैन समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और इसे विश्वभर में वास्तुकला का एक आइकॉन माना जाता है। यह मंदिर राजस्थान के उदयपुर से 95 किलोमीटर उत्तर में स्थित रणकपुर गांव में स्थित है। इस परिसर में कई मंदिर हैं, जैसे चतुर्मुख मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर, सूर्य मंदिर और अंबा मंदिर। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण मंदिर चारमुख चतुर्मुख मंदिर है, जो आदिनाथ, पहले जैन तीर्थंकर को समर्पित है।
 
 2.) गोमतेश्वर मंदिर, विंध्यागिरी पहाड़ी (कर्नाटका): गोमतेश्वर मंदिर, जिसे बाहुबली मंदिर भी कहा जाता है, कर्नाटका के श्रवणबेलगोला कस्बे में स्थित है। इस मंदिर में 57 फ़ीट ऊंची बाहुबली की भव्य मूर्ति, विंध्यागिरी पहाड़ी पर स्थित है। इस मूर्ति के दोनों ओर, यक्ष और यक्षी (चौरी धारी) की खड़ी मूर्तियाँ हैं। बाहुबली की मूर्ति को एक विशाल स्तंभित संरचना से घेरा गया है, जिसमें 43 जैन तीर्थंकरों की उकेरी हुई मूर्तियाँ हैं, जो भगवान के उपदेशों को प्रचारित करती हैं और जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा पवित्र मानी जाती हैं।
 
3.) श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर, चांदनी चौक (दिल्ली): माना जाता है कि यह मंदिर, मुग़ल काल में उस समय बना जब एक जैन अधिकारी ने अपने तंबू में एक तीर्थंकर की मूर्ति की पूजा की थी। इससे अन्य जैन सैनिक अधिकारी भी आकर्षित हुए और अंततः 1656 में इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण हुआ। यह मंदिर पार्श्वनाथ, 23वें जैन तीर्थंकर को समर्पित है और इसमें एक विशाल मूर्ति स्थित है। इस मंदिर में अन्य कई देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं, जो जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र मानी जाती हैं। मुख्य पूजा स्थल पहले माले पर स्थित है, जहां भक्त अक्सर पूजा करते हुए शांति के पल बिताते हैं।
 
4.) दिलवाड़ा मंदिर, राजस्थान: राजस्थान के माउंट आबू के पास स्थित दिलवाड़ा मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और नक्काशीदार संगमरमर के लिए प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों का निर्माण, 11वीं और 13वीं सदी के बीच चालुक्य वंश द्वारा किया गया था। ये मंदिर जैनों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं और भारत में जैन मंदिरों की वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरण माने जाते हैं। इस परिसर में पांच मंदिर हैं, जिनमें से प्रत्येक मंदिर एक अलग तीर्थंकर को समर्पित है, जबकि विमल वसाही और लूणा वसाही मंदिर सबसे प्रमुख हैं।  ये मंदिर अपने सफ़ेद संगमरमर के भव्य उपयोग के लिए प्रसिद्धि  हैं, और हर इंच की संरचना में जैन पौराणिक कथाओं और दैनिक जीवन के दृश्य उकेरे गए हैं।
 
5.) पालिताना मंदिर, गुजरात: गुजरात के शत्रुंजय पहाड़ी पर स्थित पालिताना मंदिरों का परिसर दुनिया के सबसे बड़े जैन मंदिरों में से एक है, जिसमें 800 से अधिक मंदिर हैं। ये मंदिर तीर्थंकर ऋषभनाथ को समर्पित हैं और 11वीं सदी में बने थे। इन मंदिरों को पवित्र माना जाता है क्योंकि माना जाता है कि आदिनाथ ने अपना पहला उपदेश यहीं दिया था, और भक्तों को वहां पहुंचने के लिए 3,000 से अधिक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यह स्थल अपनी आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्ता के साथ-साथ शिखर से दृश्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण जगह है।
6.) सोनागिरी मंदिर, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के सोनागिरी मंदिर जैनों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं, विशेष रूप से दिगंबर जैनों के लिए। इस परिसर में 100 से अधिक मंदिर हैं, और माना जाता है कि यहाँ कई तपस्वियों ने मोक्ष प्राप्त किया था। 9वीं सदी में बने इन मंदिरों को एक पहाड़ी पर स्थापित किया गया था जिसके कारण आज इनके सफ़ेद शिखर दूर से देखे जा सकते हैं। इस परिसर का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर 57वां है, जिसमें भगवान चंद्रप्रभु की 11 फ़ीट लंबी मूर्ति स्थापित है, और यह मंदिर उन भक्तों को आकर्षित करता है जो आध्यात्मिक उन्नति की तलाश में होते हैं।
7.) धर्मनाथ मंदिर, केरल: धर्मनाथ मंदिर, जो 15वें तीर्थंकर धर्मनाथ को समर्पित है, केरल में स्थित एक शांतिपूर्ण जैन तीर्थ स्थल है। मंदिर का वातावरण शांति से भरपूर होता है, जिससे यह ध्यान और आध्यात्मिक चिंतन के लिए एक आदर्श स्थान बनता है। मंदिर के शिलालेखित स्तंभ और दीवारें जैन पौराणिक कथाओं को दर्शाती हैं। इसकी वास्तुकला दिलवाड़ा मंदिरों की तरह ही है, और यह जैन तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है।
उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण जैन वास्तु स्थल
1.) बुंदेलखंड: बुंदेलखंड, भारत के उन कुछ क्षेत्रों में से एक है, जहाँ जैन धर्म का प्रचुर प्रभाव और उपस्थिति रही है। यहां कई प्राचीन तीर्थ स्थल हैं। जैन धर्म के कई आधुनिक विद्वान भी इस क्षेत्र से आए हैं।
2.) देवगढ़: देवगढ़ किले के मंदिरों में जैन मंदिरों का प्रमुख स्थान है। यहाँ की मूर्तियाँ मुख्य रूप से “चित्रात्मक और शैलियों की विविधता” को दर्शाती हैं। जैन परिसर का निर्माण, 8वीं से 17वीं सदी के बीच हुआ था और इसमें 31 जैन मंदिर शामिल हैं, जिनमें लगभग 2,000 मूर्तियाँ हैं, जो दुनिया में सबसे बड़ी ऐसी मूर्तियों का संग्रह मानी जाती हैं। इन जैन मंदिरों में कई पैनल्स हैं जो जैन दर्शन, तीर्थंकरों की मूर्तियों और अर्पण पटल (वोटिव टैबलेट्स (votive tablets)) को दर्शाते हैं।
3.) मथुरा: कंकाली टीला, मथुरा में स्थित एक टीला है, जिसका नाम हिंदू देवी कंकाली के मंदिर से पड़ा है। यहाँ प्रसिद्ध जैन स्तूप की खुदाई, 1890-91 में अलोइस एंटोन फ़्यूरर (Alois Anton Führer (डॉ. फ़्यूरर)) ने की थी। पुरातात्विक निष्कर्षों से यह प्रमाणित होता है कि यहाँ दो जैन मंदिर और स्तूप थे। यहाँ कई जैन मूर्तियाँ, अयागपट्ट (सम्मान के पटल) और अन्य मूर्तियाँ पाई गईं, जिनकी तारीखें 2वीं सदी ईसा पूर्व से 12वीं सदी ईस्वी तक की मानी जाती हैं।
संदर्भ:
मुख्य चित्र: 15वीं शताब्दी में निर्मित और राजस्थान के पाली ज़िले में सादड़ी के पास रणकपुर गाँव में स्थित रणकपुर जैन मंदिर का दृश्य : Wikimedia