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                                            रामपुर के नागरिकों, आप इस बात से सहमत होंगे कि बढ़ती ऊर्जा लागत, पर्यावरणीय चिंताओं और स्वस्थ इनडोर वातावरण की क्षमता के कारण, घर को ठंडा करने के प्राकृतिक तरीके एयर कंडीशनिंग के लिए टिकाऊ और लागत प्रभावी विकल्प के रूप में तेज़ी से महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि प्राचीन सभ्यताओं में अत्यधिक गर्मी से निपटने के लिए जल वाष्पीकरण, रणनीतिक वास्तुशिल्प डिज़ाइन और भूमिगत आवास जैसी नवीन शीतलन तकनीकों का उपयोग किया जाता था। इसके अलावा, भारत में सदियों से प्राकृतिक शीतलन प्रणाली के रूप में खस का उपयोग भी किया जाता रहा है, जो तापमान नियंत्रण और ताज़ा खुशबू दोनों प्रदान करता है। तो आइए आज, इन प्राचीन शीतलन विधियों पर प्रकाश डालते हैं और गर्मियों के दौरान अपने घरों को ठंडा रखने के कुछ सरल और प्राकृतिक तरीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
प्राचीन सभ्यताओं में प्रयोग की जाने वाली शीतलन विधियां:
जल वाष्पीकरण : जल वाष्पीकरण (Water Evaporation) एक सरल लेकिन प्रभावी शीतलन तकनीक है जिसे विभिन्न प्राचीन सभ्यताओं में पूरे इतिहास में नियोजित किया गया है। इस तकनीक की सहायता से, पानी के शीतलन गुणों का उपयोग करके, सरल शीतलन प्रणालियाँ बनाई गईं। उदाहरण के लिए, प्राचीन मिस्र में लोग, चटाई या पर्दों को पानी से गीला कर, उन्हें दरवाज़े या खिड़कियों पर लटका देते थे। जैसे ही हवा इन गीली सतहों से गुजरती थी, यह काफ़ी हद तक ठंडी हो जाती थी, जिससे गर्मी से राहत मिलती थी। इसी तरह, प्राचीन फ़ारसियों ने "क़नात" नामक भूमिगत चैनल विकसित किए, जिनमें वाष्पीकरण के माध्यम से घरों को ठंडा करने के लिए दूरस्थ स्रोतों से पानी का उपयोग किया जाता था।
वायु प्रवाह को अधिकतम करने वाली वास्तुकला: प्राचीन काल में प्राकृतिक वेंटिलेशन को अधिकतम करने वाली संरचनाओं को डिज़ाइन किया जाता। ग्रीको-रोमन काल में, जो अपने वास्तुशिल्प नवाचारों के लिए प्रसिद्ध है, खुली स्तंभावली के साथ आंगन और अलिंद बनाए गए, जिनमें क्रॉस-वेंटिलेशन (Cross Ventilation) के साथ ठंडी हवा खींचते समय गर्म हवा को बाहर निकलने की सुविधा थी। इसके अतिरिक्त, पारंपरिक भारतीय वास्तुकला में, जैसा कि जयपुर में हवा महल जैसी इमारतों में देखा जाता है, वायु प्रवाह को बढ़ाने के लिए जटिल जाली और छिद्रित स्क्रीन का उपयोग किया गया है, जिससे प्राकृतिक शीतलन प्रभाव उत्पन्न होता है।
भूमिगत आवास: मध्य तुर्की में कप्पाडोसिया (Cappadocia) जैसे शुष्क क्षेत्रों में, प्राचीन सभ्यताओं में भूमिगत आवासों (Underground Dwellings) का निर्माण करके पृथ्वी की प्राकृतिक शीतलन क्षमता का उपयोग किया गया था। ये भूमिगत स्थान चिलचिलाती धूप से प्रतिरोध प्रदान करते थे और पूरे वर्ष अधिक स्थिर और आरामदायक तापमान बनाए रखते थे।
खस रीड: एक प्राचीन प्राकृतिक शीतलन प्रणाली
खस एक प्राकृतिक शीतलक है और इसका उपयोग भारत में सदियों से घरों के अंदरूनी हिस्सों को ठंडा करने के लिए किया जाता रहा है। खस की चटाई का उपयोग अक्सर छत, दरवाज़े और खिड़कियों को धूप से बचाने और हवा को ठंडा करने के लिए किया जाता है। खस के पत्तों से बने परदे, अपने विशेष प्राकृतिक इत्र के साथ हवा को सुगंधित और ठंडा बनाते हैं। पानी से भीगने पर, खस से ठंडी मीठी सुगंध निकलती है, जो वायु के साथ पूरे वातावरण में फैल जाती है और एक आनंददायक वातावरण बनाती है।
गर्मियों के दौरान घर को ठंडा रखने के प्राकृतिक तरीके:
संदर्भ
मुख्य चित्र में दिखाई गई मध्यकालीन समय में अर्मेनिया के गोरिस के निवासी पिरामिड के आकार की चट्टानों के नीचे गुफाओं में रहते थे। आज कई गुफाओं का उपयोग जानवरों को रखने या भंडारण के लिए किया जाता है। का स्रोत : Wikimedia