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                                            रामपुर के कई निवासियों ने या तो खुद मलेरिया (Malaria) का दंश झेला होगा या फिर अपनी जान-पहचान में किसी व्यक्ति को इस घातक बिमारी से जूझते ज़रूर देखा होगा! यक़ीनन, मलेरिया एक गंभीर और संभावित जानलेवा बीमारी है। यह बीमारी, संक्रमित मादा एनोफ़िलीज़ (Female Anopheles) मच्छर के काटने से फैलती है! 2023 में, दुनियाभर में 263 मिलियन मलेरिया के मामले और 597,000 मौतें दर्ज की गईं। इसमें सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्र अफ़्रीकी क्षेत्र था, जो 94% मामलों और 95% मौतों के लिए ज़िम्मेदार था। इस संबंध में अच्छी ख़बर यह है कि साल 2024 में भारत में मलेरिया के मामलों और मौतों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई। भारत में 2017 की तुलना में मलेरिया के मामलों में 69% और मौतों में 68% की गिरावट देखी गई। आज के इस लेख में हम भारत में मलेरिया की वर्तमान स्थिति को देखेंगे। इसके बाद, हम मलेरिया के विभिन्न चरणों में विकसित लक्षणों पर चर्चा करेंगे। साथ ही हम मलेरिया के इलाज को भी समझेंगे। अंत में, हम मलेरिया से बचाव के लिए ज़रूरी सावधानियों को भी जानेंगे।
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी होती है, जो प्लास्मोडियम (Plasmodium) नामक परजीवी के कारण होती है। यह परजीवी कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से कुछ बेहद घातक साबित हो सकते हैं।
आइए अब आपको मलेरिया के चार प्रमुख परजीवियों से रूबरू कराते हैं:
1947 में जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब मलेरिया देश की सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक था। हर साल लगभग 7.5 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में आते थे, और क़रीब 8 लाख लोगों की जान चली जाती थी। लेकिन समय के साथ हालात बदल गए। 2023 तक मलेरिया के मामलों में 97% की कमी दर्ज की गई है। आज देश में हर साल मलेरिया के सिर्फ़ 20 लाख मामले दर्ज किए जाते हैं! साथ ही मौतों की संख्या भी घटकर मात्र 83 रह गई है। इतना ही नहीं, साल 2023 में देश के 122 ज़िलों में मलेरिया का एक भी मामला नहीं देखा गया था। यह वाक़ई में भारत की एक बड़ी उपलब्धि है!
आइए अब मलेरिया के विभिन्न लक्षणों और चरणों को समझने की कोशिश करते हैं! मलेरिया के लक्षण अलग-अलग चरणों में विकसित होते हैं।
इसके तीन प्रमुख चरण होते हैं:
यदि मलेरिया का समय पर इलाज न किया गया, तो यह हमारे लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है। इसकी वजह से शरीर के अंगों को नुक़सान पहुँचने का ख़तरा रहता है और कुछ मामलों में यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसलिए, जैसे ही मलेरिया के लक्षण दिखें, तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है।
मलेरिया का इलाज कैसे किया जाता है ?
डॉक्टर, मरीज़ की स्थिति के अनुसार उचित मलेरिया रोधी दवाएँ लिखते हैं। ये दवाएँ, उस प्लास्मोडियम परजीवी को नष्ट करने में मदद करती हैं, जो मलेरिया फैलाने के लिए ज़िम्मेदार होता है। हालाँकि, कुछ परजीवी, दवाओं के प्रति प्रतिरोधी ( Resistant) भी हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर सही दवा का चयन करते हैं।
मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख दवाएँ हैं:
✔ एटोवाक्वोन (Atovaquone)
✔ आर्टेमिसिनिन आधारित दवाएँ (Artemisinin-based drugs) (जैसे आर्टेमीथर (Artemether) और आर्टेसुनेट (Artesunate))
✔ क्लोरोक्वीन (Chloroquine)
✔ डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline)
✔ मेफ़्लोक्वीन (Mefloquine)
✔ क्विनीन (Quinine)
✔ प्राइमाक्वीन (Primaquine)
मलेरिया से बचने के लिए आप भी निम्नलिखित सावधानियाँ भी अपना सकते हैं:
मलेरिया एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही दवाओं और सावधानियों से इसे रोका और ठीक किया जा सकता है। यदि आप मलेरिया प्रभावित क्षेत्र में रहते हैं या यात्रा कर रहे हैं, तो बचाव के उपायों को अपनाना बेहद ज़रूरी है। याद रखें: सही समय पर इलाज और सतर्कता ही मलेरिया से बचाव का सबसे कारगर तरीक़ा है।
संदर्भ
मुख्य चित्र स्रोत : wikimedia