रेगिस्तान की रेत में छुपा विज्ञान, ऊर्जा और खनिजों का अपार खजाना

मरुस्थल
10-07-2025 09:23 AM
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रेगिस्तान की रेत में छुपा विज्ञान, ऊर्जा और खनिजों का अपार खजाना

मानव इतिहास में प्रकृति के कुछ सबसे कठोर और चुनौतीपूर्ण भू-भागों ने ही सबसे अधिक संसाधन समेटे होते हैं। रेगिस्तान, जो बाहर से सूखे, वीरान और निर्जन प्रतीत होते हैं, वास्तव में विज्ञान, भूगोल और भूगर्भीय संरचना की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध हैं। इन क्षेत्रों की सतह के नीचे ऐसा अदृश्य खजाना छुपा होता है, जो न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा, खनिज और रासायनिक उद्योगों की धुरी बनता जा रहा है। धरती के शुष्कतम क्षेत्रों में से एक माने जाने वाले रेगिस्तान केवल रेत और बंजरता के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि इनमें छुपा है वह धन जो आधुनिक सभ्यता की नींव को मजबूती देता है। मरुस्थलों की सतह के नीचे प्राकृतिक संसाधनों का ऐसा भंडार मौजूद है, जो वैश्विक आर्थिक ढांचे में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चाहे वह थार का भारतीय खनिज वैभव हो या अरब का तेल समृद्ध इलाका, हर रेगिस्तान में विज्ञान, संसाधन और ऊर्जा के अवसर छिपे हैं। इस लेख में हम आपको लेकर चलेंगे रेगिस्तानों की उस अनदेखी दुनिया में, जहाँ रेत के नीचे छिपी है बेशकीमती खनिज संपदा। हम जानेंगे कि कैसे वाष्पीकृत झीलों से बोरेक्स, सोडियम नाइट्रेट (Sodium nitrate) जैसे रासायनिक यौगिक बनते हैं, और ये मानव जीवन में कितने उपयोगी हैं। इसके बाद मोजावे और अरब जैसे प्रसिद्ध रेगिस्तानों में खनिज उत्पादन की वैश्विक भूमिका को समझेंगे। साथ ही तेल और प्राकृतिक गैस के अपार भंडारों के महत्व पर भी प्रकाश डालेंगे। अंत में नज़र डालेंगे भारत के थार मरुस्थल पर – जहाँ न केवल खनिजों का खजाना छुपा है, बल्कि अक्षय ऊर्जा की असीम संभावनाएँ भी आकार ले रही हैं। आइए, इस सूखे परंतु समृद्ध भू-भाग की परतों को विज्ञान और तथ्यों के साथ खोलते हैं।

मरुस्थल: प्राकृतिक संसाधनों के गढ़
मरुस्थल केवल सूखा, बंजर और निर्जन क्षेत्र नहीं होते, बल्कि इनकी सतह के नीचे छिपी होती है अपार प्राकृतिक संपदा। रेगिस्तानी क्षेत्रों में विविध प्रकार के खनिज, अयस्क, रासायनिक यौगिक, और जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम (petroleum) और प्राकृतिक गैस पाए जाते हैं। ये संसाधन औद्योगिक विकास, ऊर्जा उत्पादन, कृषि रसायन, औषधि निर्माण, और ढांचागत परियोजनाओं में उपयोगी होते हैं। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, मरुस्थलों में तलछटी मिट्टी और विशेष भौगोलिक प्रक्रियाओं के कारण खनिजों का संचय अपेक्षाकृत अधिक होता है।
इन खनिजों की उपलब्धता और गुणवत्ता वैश्विक व्यापार का एक अहम हिस्सा है। मरुस्थलों की स्थूल भूगर्भीय रचना इन्हें खनन के लिए उपयुक्त बनाती है। यहाँ की कठोर जलवायु खनिजों के संरक्षण में सहायक होती है, जिससे उनके गुण लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं। वैज्ञानिक अनुसंधानों में पाया गया है कि कई रेगिस्तानों की सतह के नीचे दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements) का भी पता चला है, जिनका प्रयोग हाई-टेक उद्योगों में होता है। भारत से लेकर अफ्रीका और मध्य एशिया तक फैले इन मरुस्थलों की खनिज संपदा वैश्विक ऊर्जा और निर्माण बाजार की रीढ़ है।

वाष्पीकृत झीलों से बने खनिजों का विज्ञान
रेगिस्तानी झीलें, जिन्हें प्लाया (Playa) कहा जाता है, शुष्क क्षेत्रों की अस्थायी जल निकाय होती हैं। जब इन झीलों का पानी सूर्य की गर्मी से वाष्पित हो जाता है, तो वहाँ विभिन्न प्रकार के खनिजों की परतें बन जाती हैं। ये परतें समय के साथ जमकर ठोस खनिजों में परिवर्तित हो जाती हैं। इसी प्रक्रिया से कुछ विशेष खनिजों का निर्माण होता है जैसे — बोरेक्स (Borax), सोडियम नाइट्रेट (Sodium nitrate), सोडियम कार्बोनेट (Sodium carbonate), ब्रोमीन (Bromine), आयोडीन (Iodine), कैल्शियम यौगिक (Calcium compounds), और स्ट्रोंटियम (Strontium compounds)।
यह वैज्ञानिक प्रक्रिया रेगिस्तानी पारिस्थितिकी में एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है कि कैसे सूखा क्षेत्र भी रसायन विज्ञान का प्रयोगशाला बन सकता है। इन झीलों में बनने वाले खनिज, विशेषकर उर्वरकों और दवाइयों के निर्माण में अत्यंत उपयोगी होते हैं। अमेरिका, चिली और भारत जैसे देशों में इन प्लाया झीलों के आस-पास खनन का कार्य संगठित रूप से किया जा रहा है। यह न केवल स्थानीय रोजगार सृजन का साधन बनता है, बल्कि देश की आर्थिक गतिविधियों में भी योगदान देता है। पर्यावरणीय दृष्टि से भी यह प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से संतुलित मानी जाती है क्योंकि इसमें कोई बाहरी रसायन नहीं जोड़ा जाता।

मोजावे मरुस्थल

मोजावे और अरब रेगिस्तान: वैश्विक खनिज उत्पादन केंद्र
दुनिया के प्रमुख रेगिस्तानों में से दो – मोजावे (Mojave) और अरब (Arabian Desert) – खनिज और ऊर्जा उत्पादन के बड़े केंद्र हैं। उत्तरी मोजावे रेगिस्तान, अमेरिका में स्थित है, जहाँ पर सुहागा (Borax) जैसे बहुपयोगी खनिज की खदानें हैं। इसका प्रयोग अग्निरोधी पदार्थों, फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals), सौंदर्य प्रसाधनों, कांच और पेंट निर्माण में होता है।
इन खनिजों की वैश्विक मांग अत्यधिक है, जिससे इन क्षेत्रों में खनन उद्योग काफी संगठित और आधुनिक तकनीक आधारित हो चुका है। अरब रेगिस्तान में स्थित तेल क्षेत्र आज दुनिया की सबसे बड़ी ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा हैं। यहाँ तेल रिफाइनरी (refinery), पाइपलाइन (pipeline) और बंदरगाहों (dockyard) का एक बड़ा नेटवर्क (network) तैयार किया गया है, जो विश्व बाजार की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है। इन रेगिस्तानों के खनिज संसाधन अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को भी आकर्षित करते हैं। इससे इन देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है और उन्हें वैश्विक मंच पर रणनीतिक महत्त्व प्राप्त होता है। ऊर्जा और खनिज उत्पादन के ये केंद्र आज रेगिस्तानी क्षेत्रों को विकास और नवाचार की मिसाल बना चुके हैं।

तेल और प्राकृतिक गैस: रेगिस्तान की सबसे कीमती देन
रेगिस्तानों की सबसे अमूल्य देन है – तेल और प्राकृतिक गैस। ये हाइड्रोकार्बन (hydrocarbon) लाखों वर्षों तक दबे पड़े पौधों और जीवों के अपघटन से बने होते हैं। रेगिस्तानी भूगोल में इनकी खोज अधिकतर गहराई में स्थित अवसादी चट्टानों में होती है। सऊदी अरब, कुवैत, इराक, और ईरान जैसे देशों में पाए जाने वाले रेगिस्तानों में दुनिया के सबसे बड़े पेट्रोलियम भंडार मौजूद हैं।
इन संसाधनों ने इन देशों को ऊर्जा व्यापार में महाशक्ति बना दिया है। तेल के निर्यात से हुई आमदनी ने इन देशों में आधारभूत ढाँचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। पेट्रोलियम उत्पादनों से जुड़े उद्योग जैसे रिफाइनरी, प्लास्टिक (plastic), केमिकल्स (chemicals), और गैस आधारित संयंत्रों का अभूतपूर्व विकास हुआ है। तेल उत्पादन से जुड़ी समकालीन भूवैज्ञानिक तकनीकों, जैसे 3D सिस्मिक सर्वे और रिमोट सेंसिंग, ने रेगिस्तानी खनन को और भी सक्षम बना दिया है। आज के समय में मरुस्थल वैश्विक ऊर्जा अर्थव्यवस्था का स्तंभ बन चुके हैं।

थार मरुस्थल: भारत की खनिज निधि
थार मरुस्थल, जो भारत के राजस्थान, हरियाणा और गुजरात राज्यों में फैला है, खनिज संपदा की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। यहाँ फेल्डस्पार (Feldspar), जिप्सम (Gypsum), फॉस्फराइट (Phosphorite), काओलिन (Kaolin), संगमरमर (Marble), और चूना पत्थर (Limestone) जैसे महत्त्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं। इनका उपयोग सीमेंट, उर्वरक, सिरेमिक और निर्माण सामग्री के रूप में होता है।
थार की खनिज संपदा ने राजस्थान को खनिज उत्पादन के मामले में अग्रणी राज्य बना दिया है। यहाँ के भौगोलिक परिदृश्य और जलवायु खनिजों के संरक्षण और उत्पादन के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। खनिज आधारित लघु और मध्यम उद्योगों को भी थार क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ावा मिल रहा है। निर्यात की दृष्टि से भी यहाँ उत्पादित संगमरमर और काओलिन को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अच्छी माँग प्राप्त है। साथ ही, भारत सरकार और राज्य एजेंसियाँ थार क्षेत्र में खनिज नीति और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने पर ज़ोर दे रही हैं।

थार में अक्षय ऊर्जा का उदय और संभावनाएँ
थार मरुस्थल केवल खनिजों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र अक्षय ऊर्जा उत्पादन की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण बन चुका है। यहाँ सौर और पवन ऊर्जा की अपार संभावनाएँ हैं। थार में अत्यधिक धूप और खुला स्थान इसे सौर पैनलों की स्थापना के लिए आदर्श बनाते हैं। इसके अलावा, पवन टर्बाइनों से यहाँ 60 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पन्न की जा रही है।
भारत सरकार द्वारा स्थापित 'राष्ट्रीय सौर मिशन' में थार क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई है। जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर जैसे क्षेत्र इस ऊर्जा परिवर्तन के प्रमुख केंद्र बन चुके हैं। अक्षय ऊर्जा से स्थानीय पर्यावरण पर दबाव भी कम होता है और ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ती है। इससे स्कूल, अस्पताल और जल आपूर्ति परियोजनाओं को भी सहायता मिलती है। अगर यह प्रयास निरंतर जारी रहे, तो थार मरुस्थल हरित ऊर्जा उत्पादन में एशिया का अग्रणी केंद्र बन सकता है।

संदर्भ-

https://tinyurl.com/28w6cczr 
https://tinyurl.com/ukb7bxp3