रामपुर और उत्तर प्रदेश में लौकी की खेती: उत्पादन, महत्व और किसानों के लिए संभावनाएँ

फल और सब्जियाँ
11-11-2025 09:16 AM
रामपुर और उत्तर प्रदेश में लौकी की खेती: उत्पादन, महत्व और किसानों के लिए संभावनाएँ

रामपुरवासियो, भले ही हमारा शहर अपनी तहज़ीब, शेर-ओ-शायरी और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए पहचाना जाता है, लेकिन कृषि के क्षेत्र में भी रामपुर की पहचान उतनी ही गहरी है। यहां के खेतों में उगाई जाने वाली सब्ज़ियां न सिर्फ़ स्थानीय ज़रूरतों को पूरा करती हैं, बल्कि आसपास के बाज़ारों तक भी पहुंचती हैं। इन्हीं सब्ज़ियों में से एक है लौकी, जिसे कहीं घिया, कहीं दूधी और कहीं सोरकाया जैसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। लौकी का स्वाद हल्का और गुण अनगिनत हैं। यह सिर्फ़ एक साधारण सब्ज़ी नहीं, बल्कि पोषण और स्वास्थ्य का खज़ाना है। इसमें मौजूद विटामिन सी (Vitamin C), विटामिन बी (Vitamin B), कैल्शियम (Calcium), मैग्नीशियम (Magnesium) और फाइबर (Fiber) शरीर को मज़बूती देने के साथ-साथ पाचन तंत्र को दुरुस्त रखते हैं। गर्मियों में लौकी का सेवन ठंडक प्रदान करता है, पेट को हल्का रखता है और डिहाइड्रेशन (dehydration) से बचाता है। नियमित रूप से लौकी खाने से हृदय स्वस्थ रहता है, वज़न नियंत्रित होता है और मधुमेह जैसी बीमारियों में भी लाभ मिलता है। रामपुर में कई किसान लौकी की खेती को अपनी मुख्य फसल के रूप में अपनाते हैं, क्योंकि इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। चाहे सादा सब्ज़ी बनानी हो, हल्की दाल में मिलाकर पकाना हो या फिर जूस के रूप में पीना हो - लौकी हर रूप में शरीर को ऊर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करती है। यही कारण है कि इसे ग्रामीण और शहरी दोनों रसोईघरों में समान रूप से पसंद किया जाता है।
आज हम विस्तार से जानेंगे कि रामपुर और उत्तर प्रदेश में लौकी की खेती किस तरह की जाती है, इसके लिए मिट्टी और उर्वरक की क्या आवश्यकता होती है, बीज कैसे बोए जाते हैं, सिंचाई और कीट रोग नियंत्रण के उपाय क्या हैं और भारत के अन्य प्रमुख लौकी उत्पादक राज्य कौन-कौन से हैं।

उत्तर प्रदेश में लौकी – स्वाद, पोषण और कृषि में योगदान
उत्तर प्रदेश, कृषि के क्षेत्र में हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है, और इसके भीतर लौकी की खेती भी एक अहम भूमिका निभाती है। लौकी, जिसे हिंदी में लौकी, दूधी या घिया के नाम से जाना जाता है, केवल स्वाद में हल्की और स्वादिष्ट ही नहीं है, बल्कि इसके पोषण और स्वास्थ्य लाभ भी अत्यधिक हैं। लौकी में विटामिन ए, सी, फाइबर और विभिन्न खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह पाचन को सुधारने, हृदय स्वास्थ्य बनाए रखने, ब्लड शुगर (blood sugar) नियंत्रित करने और वजन को संतुलित रखने में मदद करती है। इसके हल्के स्वाद और जूसदार गुण इसे सब्जियों के बीच खास बनाते हैं।

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उत्तर प्रदेश में लौकी उत्पादन
उत्तर प्रदेश, भारत में लौकी उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। वर्ष 2023-24 में राज्य में 176.9 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कुल 545.29 किलोटन लौकी का उत्पादन हुआ, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 14.42% है। राज्य में लौकी की खेती विशेष रूप से वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर, लखनऊ और मेरठ जैसे क्षेत्रों में प्रचलित है। मेरठ, विशेष रूप से लौकी की उच्च गुणवत्ता और उत्पादक क्षमता के लिए जाना जाता है। यहाँ उगाई गई लौकी न केवल स्थानीय मंडियों में बिकती है, बल्कि अन्य राज्यों में भी इसकी मांग होती है। लौकी उत्पादन स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक स्थिरता का स्रोत भी बनता है।

लौकी की खेती के लिए मिट्टी और भूमि की तैयारी
लौकी की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकती है, लेकिन बलुई दोमट (Sandy Loam) और दोमट मिट्टी में इसका विकास सबसे अच्छा होता है। खेती से पहले भूमि की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए और मिट्टी को भुरभुरा बनाना चाहिए। इसके लिए हैरो और अन्य कृषि उपकरणों का उपयोग किया जाता है। अच्छी तैयारी वाली मिट्टी पौधों की जड़ों को मजबूती देती है और पोषक तत्वों के अवशोषण की क्षमता बढ़ाती है, जिससे पौधे स्वस्थ और उपजदार बनते हैं।

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बुआई का समय, तरीका और बीज दर
लौकी की बुआई के लिए फरवरी-मार्च, जून-जुलाई और नवम्बर-दिसम्बर का समय उपयुक्त माना जाता है। बुवाई करते समय दो पंक्तियों के बीच 2.0-2.5 मीटर और पौधों के बीच 45-60 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए। बीज को 1-2 सेंटीमीटर गहराई में बोया जाता है। एक एकड़ भूमि के लिए लगभग 2 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते हैं। बीज को मिट्टीजनित फफूंद से बचाने के लिए बाविस्टिन (Bavistin) या किसी अन्य उचित कवकनाशी से उपचारित करना चाहिए। रोपण के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करना फायदेमंद होता है, जिससे बीज जल्दी अंकुरित होते हैं।

उर्वरक और सिंचाई प्रबंधन
लौकी की अच्छी पैदावार के लिए उर्वरक का सही उपयोग बहुत जरूरी है। प्रति एकड़ भूमि में 20-25 टन फार्म यार्ड खाद (Farm Yard Manure - FYM) डाली जानी चाहिए। नाइट्रोजन की जरूरत को पूरा करने के लिए यूरिया का उपयोग किया जाता है। बुआई के समय 14 किलोग्राम और पहली तुड़ाई के समय 14 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ डालना उपयुक्त होता है। सिंचाई के लिए बुआई के तुरंत बाद पानी देना आवश्यक है। ग्रीष्म ऋतु में 6-7 बार और वर्षा ऋतु में आवश्यकता अनुसार सिंचाई की जाती है। कुल मिलाकर, एक स्वस्थ लौकी फसल के लिए लगभग 9 बार सिंचाई आवश्यक है।

कीट और रोग नियंत्रण
लौकी की पैदावार कई कीट और रोगों से प्रभावित हो सकती है, जो उपज को गंभीर रूप से कम कर सकते हैं।

  • फल मक्खी (Bactocera cucurbitae) – यह कीट फल के अंदर अंडे देती है, जिससे फल समय से पहले गिर जाते हैं। नियंत्रण के लिए संक्रमित फलों को हटाना और पॉलिथीन या कागज़ से ढकना फायदेमंद होता है।
  • एपिलाचना बीटल (Epilachna spp.) – यह पत्तियों और कोमल हिस्सों को नुकसान पहुंचाती है। नियंत्रण के लिए कीटों और अंडों को हटाकर कार्बारिल 0.2% का छिड़काव करना चाहिए।
  • डाउनी मिलड्यू (Pseudoperonospora cubensis) – पत्तियों पर सफेद फफूंद पैदा करता है। प्रभावित पत्तियों को हटाना और नीम या किरियथ 10% घोल का छिड़काव करना लाभकारी होता है।
  • पाउडरी मिलड्यू (Erysiphe cichoracearum) – पत्तियों पर गोल और सफेद धब्बे दिखते हैं। नियंत्रण के लिए डिनोकैप 0.05% का छिड़काव किया जा सकता है।
  • मोज़ेक वायरस – पत्तियां पीली और मोटी हो जाती हैं, यह वायरस व्हाइटफ्लाई के माध्यम से फैलता है। नियंत्रण के लिए डाइमेथोएट 0.05% छिड़काव और प्रभावित पौधों का नष्ट करना आवश्यक है।
     

भारत के प्रमुख लौकी उत्पादक राज्य
भारत में लौकी उत्पादन के मामले में बिहार पहले, मध्य प्रदेश दूसरे और उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है। बिहार में नालंदा, वैशाली, पटना और मुज़फ़्फ़रपुर प्रमुख उत्पादक जिले हैं। मध्य प्रदेश में इंदौर, भोपाल, जबलपुर और धार जबकि उत्तर प्रदेश में वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर, मेरठ और लखनऊ मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं। इसके अलावा पंजाब, गुजरात, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा और असम भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इन राज्यों में लौकी की खेती किसानों के लिए आय का एक स्थिर स्रोत बनती है।

संदर्भ- 
https://tinyurl.com/5fn8zdwk
https://tinyurl.com/3ax9dbrc
https://tinyurl.com/mhn52akk
https://tinyurl.com/msd5h5rc
https://tinyurl.com/3k529y78 



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