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                                            आज के इस आधुनिक युग में तकनीक का इस्तेमाल हर क्षेत्र में किया जा रहा है। हर नयी तकनीक का उद्देश्य होता है दक्षता में वृद्धि, जोखिम में कमी, और दाम में गिरावट। इसी के चलते, कुछ वर्षों पहले प्रकाश स्रोत के क्षेत्र में एक विकास हुआ था जिससे उत्पन्न उत्पाद का नाम था सी.ऍफ़.एल. (CFL- Compact Fluorescent Lamps)। सी.ऍफ़.एल. के इस्तेमाल में बिजली की खपत में अच्छी गिरावट देखने को मिली थी। और साथ ही इसके दाम भी वाजिब हैं। परन्तु क्या इसके कुछ जोखिम भी हैं?
जब तक आपका बल्ब सही तरीके से काम कर रहा है, तब तक इससे कोई खतरा नहीं है। परन्तु यदि इस सी.ऍफ़.एल. पर कहीं किसी चोट की वजह से कोई दरार आ जाती है या यह टूट जाता है, तब चिंता की घड़ी शुरू हो जाती है। असल में इन सी.ऍफ़.एल. बल्बों में इस्तेमाल होता है पारे (Mercury) का। इस बल्ब में पारे की मात्रा होती है 5 मिलीग्राम। यदि आप पहले से नहीं जानते हैं तो आपको बता दें कि मानव के शरीर के लिए पारा बहुत ही हानिकारक साबित होता है। तो यदि घर में लगा सी.ऍफ़.एल. गिरके फट जाए तो ऐसे में क्या किया जाये? चिंता मत कीजिए, बस नीचे दिए गए निर्देशों को ध्यान में रखें:
1. सबसे पहले घर के सभी खिड़की दरवाज़े खोल दें और सभी सदस्य दूसरे कमरे में या घर के बाहर निकल जाएँ।
2. यदि घर में ए.सी. (A.C.) चल रहा हो तो उसे बंद कर दें।
3. कुछ समय बाद जब हवा से पारा निकल जाए तब बल्ब के टुकड़ों को किसी गत्ते या सख्त कागज़ से तथा दस्तानों की मदद से उठाकर एक प्लास्टिक (Plastic) के थैले में या बेहतर होगा एक कांच की बोतल में बंद करदें। साथ ही सफाई में इस्तेमाल किये गए दस्ताने और कागज़ आदि भी इसी थैले में बंद कर दें।
4. वर्तमान में भारत में सी.ऍफ़.एल. बल्ब के निपटान के लिए कोई सटीक तरीका अभी तक नहीं निकाला गया है। इसलिए, इसे कचरे में डाल दें परन्तु कचरे वाले को इसे देने से पहले उसे बता दें कि कचरे में सी.ऍफ़.एल. बल्ब है।
यह अत्यंत रोचक बात है कि वैसे तो सी.ऍफ़.एल. बल्ब पारे का इस्तेमाल करते हैं, परन्तु गहराई से देखा जाये तो पता चलता है कि असल में इनके इस्तेमाल से वातावरण में पारे को एक नियंत्रित मात्रा में रखा जा सकता है। क्योंकि इससे पहले की तकनीक वाले बल्ब ज़्यादा बिजली का इस्तेमाल करते हैं और यह बिजली कोयला बिजली संयंत्र से उत्पन्न की जाती है और इन संयंत्रों में कोयले के जलने से ज़्यादा मात्रा में पारा वातावरण में पहुँचता है।
रामपुर में कई स्थानों पर सी.ऍफ़.एल. बल्बों को पुनः गैस (Gas) भरवाकर इस्तेमाल किया जा रहा है। परन्तु यह काफी हानिकारक हो सकता है क्योंकि कारखाने में सील (Seal) किये गए बल्ब को निजी इलेक्ट्रीशियन ने यदि सफाई से सील नहीं किया तो पारा इसमें से रिस सकता है और घर में फ़ैल कर आपके स्वास्थ्य को क्षति पहुंचा सकता है।
अतः अगली बार जब भी आप एक ख़राब सी.ऍफ़.एल. या टूटे हुए सी.ऍफ़.एल. को कचरे में फेंके, तब ध्यान रखें कि हो सकता है आप अपने या किसी और के स्वास्थ्य के साथ खेल रहे हों।
संदर्भ:
1. https://www.scientificamerican.com/article/are-compact-fluorescent-lightbulbs-dangerous/
2. http://www.elcomaindia.com/wp-content/uploads/CFL-Safe-Disposal.pdf