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                                            वर्तमान समय में व्यस्ततापूर्ण जीवनशैली होने के कारण हम किसी भी तथ्य पर गहन मनन करने में सक्षम नहीं हैं, शायद यही कारण है कि आज हम प्लास्टिक पर इतने निर्भर हो गये हैं कि उसके दुष्प्रभाव को जानते हुए भी उससे निजात पाने में असमर्थ होते जा रहे हैं। यह समस्या किसी क्षेत्र विशेष की न होकर संपूर्ण विश्व की है, जिससे विभिन्न देश अपने अपने स्तर पर निजात पाने का प्रयास कर रहे हैं।
5 जून वर्ष 2018 में विश्व पर्यावण दिवस का मुख्य उद्देश्य भी प्लास्टिक मुक्त विश्व बनाना था जिसकी मेजबानी भारत ने की। इस क्षेत्र में भारत के विभिन्न राज्य एवं शहर/गांव अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, जिनमें से कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, तमिलनाडू इत्यादि का महत्वपूर्ण योगदान है।v
इन्हीं प्रयासों में हम बात करते हैं उत्तर प्रदेश के रामपुर जिला की, गंगा बेसिन का हिस्सा होने के कारण यहां की भूमि बहुत उपजाऊ है तथा इसकी अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। अतः यहां के जनजीवन का बहुत बड़ा हिस्सा पर्यावरण के अनुकूल जीवन व्यतीत कर रहा है, इनके साथ हम कुछ प्रयासों के माध्यम से इस क्षेत्र को पूर्णतः प्लास्टिक मुक्त बना सकते हैं। साथ ही यहां के वस्त्र उत्पादन उद्योंगों को नये साधन प्रदान कर सकते हैं जिनके माध्यम से वे कार्बनिक पदार्थों का उपयोग करके लोगों के लिए नए वस्त्र सामाग्री का उत्पादन कर सकते हैं तथा वस्त्रों को अनावश्यक रसायनों और हानिकारक तंतुओं से बचा सकते हैं।
हम जानतें हैं कि आज कई चीजें ऐसी हैं जिन्हें हम बिना प्लास्टिक के उपयोग नहीं कर सकते हैं, इस समस्या के निवारण के लिए भारत में 2016 में, मात्र 180 दिनों में समाप्त होने वाले प्लास्टिक के समरूप दिखने वाले (प्राकृतिक स्टार्च, आलू व मक्का जैसे सब्जियों के तेल इत्यादि द्वारा निर्मित) एन्विग्रीन (EnviGreen) बैग का निर्माण किया तथा यह पूर्णतः पर्यावरण के अनुकूल है। जैसे हम सभी जानते हैं,प्लास्टिक कभी ना समाप्त होने वाला उत्पाद है अतः पर्यावरण और व्यवसाय दोनों की दृष्टि से पुनः चक्रण इसका एक अच्छा उपाय है।
रामपुर के लघु एवं वृहद वस्त्र उद्योगों को कृषि पर आधारित उत्पादों के माध्यम से कैसे बढ़ावा दिया जाए
रामपुर के लोग अपनी आजीविका के लिए प्राथमिक क्षेत्र में निर्भर हैं अतः वे इन्ही साधनों के माध्यम से हानिकारक रसायन मुक्त रंग और मानव शरीर के अनुकूल वस्त्रों का निर्माण कर सकते हैं। नीचे कुछ उदाहरण दिए गए है दुनिया में कुछ वर्तमान नवाचारों के.
खट्टे दूध के प्रोटीन से क्यूमिल्च (Qmilch) नामक तंतु का निर्माण किया गया हैं। साथ ही गन्ना का उपयोग करके ईको-सर्किल प्लांट फाइबर (EcoCircle Plant Fiber) एक पौधे से बनाया गया पॉलिएस्टर है, जो पूर्णतः प्राकृतिक है तथा व्यवसाय की दृष्टि से अच्छा विकल्प है। एवरन्यु (Evrnu) तकनीक के माध्यम से कपास के अपशिष्ट को पुनः उपयोग करके नये वस्त्र तैयार किए जा सकते हैं।
इस प्रकार विभिन्न उपायों के माध्यम से हम स्वयं को तथा अपने समाज को प्रकृति के अनुकूल ढाल सकते हैं और अपने पर्यावरण को लंबे समय तक सुरक्षित बना सकते हैं।
संदर्भ:
1.https://www.thebetterindia.com/77202/envigreen-bags-organic-biodegradable-plastic/
2.http://sakshieducation.com/TClass/Story.aspx?nid=88852&cid=8&sid=662&chid=1119&tid=0
3.https://www.treehugger.com/sustainable-fashion/10-awesome-innovations-changing-future-fashion.html
4.https://factory45.co/6-new-innovative-fabrics-for-sustainable-fashion