बारिश में मच्छरों का खतरनाक प्रभाव

तितलियाँ और कीट
25-09-2018 01:36 PM
बारिश में मच्छरों का खतरनाक प्रभाव

बारिश का मौसम भले ही मस्ती भरा मौसम होता है, लेकिन मस्ती के इस मौसम में थोड़ी सी लापरवाही आप को बीमारियों का भी शिकार बना सकती है। मानसून के दौरान ज्यादातर बीमारियां दूषित पानी पीने या उस के संपर्क में आने और मच्छरों के काटने से होती हैं। जी हाँ, मच्छरों का काटना अब एक आम बात नहीं रह गयी है, यह एक गम्भीर समस्या का कारण है। आइए जानते हैं कैसे:

अलग-अलग इलाकों में मच्छरों की अलग-अलग प्रजातियां हैं। ये मच्छर कई तरह के वायरस और पैरासाइट के ज़रिए कई तरह की बीमारियां तेज़ी से फैलाते हैं। यह एक बार में एक-दो को नहीं, बल्कि दर्जनों लोगों को काट कर इंफेक्शन (Infection) फैलाते हैं। मादा मच्छर की उम्र नर के मुकाबले ज्यादा होती है और सिर्फ मादा मच्छर ही इंसानों या दूसरे जीवों का खून चूसती हैं। नर मच्छर सिर्फ पेड़-पौधों का रस चूसते हैं। ध्यान दें कि दिन में मच्छर ज्यादातर अंधेरी जगहों, दीवारों के कोने, परदों के पीछे, सोफे, बेड, टेबल आदि के नीचे छुपे रहते हैं। इसलिए रोज़ाना इन जगहों की अच्छी तरह से सफाई करें। सप्ताह में एक बार इन जगहों पर मच्छर मारने की दवा का छिड़काव करें। घर में इंडोर अवशिष्ट स्प्रेइंग (आई.आर.एस. – Indoor Residual Spraying) को अच्छे से छिड़कने से यह मादा मच्छर की आबादी को कम कर देता है।

आइये अब आपको बताते हैं इन मच्छरों द्वारा कौन-कौन सी बिमारियाँ फैलाई जाती हैं-

1. डेंगू (Dengue)
डेंगू का प्रमुख कारण चार एंटीजनिक वायरस हैं, जो एक दूसरे के लगभग समान हैं। इसके प्रमुख लक्षण उच्च बुखार से शुरू होने के बाद सिरदर्द, आंखों में दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द आदि होते हैं। यदि सही समय पर कुशलता से इसका इलाज नहीं किया जाए, तो यह डेंगू बहु-अंग विफलता का कारण भी बन सकता है। हालांकि, बढ़ती जागरूकता और स्वास्थ्य देखभाल विकल्पों के सहयोग से प्रति 100 रोगियों की मौतों की संख्या में कमी आई है।

2. मलेरिया (Malaria)
प्लासमोडियम (पी) (Plasmodium ) जीनस की चार अलग-अलग प्रजाति मलेरिया का मुख्य कारण हैं। यह चार जीनस पी.फाल्सीपेरम (P. falciparum), पी. मलेरिये (P.malariae), पी.ओवेल (P.ovale) और पी.विवाक्स (P.vivax) प्लासमोडियम में शामिल हैं। उपर्युक्त प्रजातियों में से, पी.फाल्सीपेरम सबसे घातक माना जाता है क्योंकि यह मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है और संभावित रूप से मृत्यु का कारण बन सकता है। लगभग एक दशक पहले, पी.फाल्सीपेरम संक्रमण भारत में लगभग 30% मलेरिया मामलों का मुख्य कारण था। वर्तमान परिदृश्य में, भारत के अधिकतर हिस्सों में रोगियों से मस्तिष्क के तनाव की शिकायत मिली, जिनमें से 60% मलेरिया संक्रमण से ग्रस्त थे।

3. चिकनगुनिया (Chikungunya)
एडीज़ एजिप्टी (Aedes aegypti ) मच्छर के काटने से चिकनगुनिया वायरस फैलता है। इसके लक्षण "उबकाई, बुखार, सिरदर्द, थकान, मांसपेशी दर्द, उल्टी, और संयुक्त दर्द, आदि, होते हैं। वर्तमान परिदृश्य में, इसके बुखार और दर्द के इलाज के लिए कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। यद्यपि चिकनगुनिया इतना घातक नहीं है, परंतु यह अंगों में दर्दनाक विकृति का कारण बनता है जो काफी महिनों तक रहता है।

4. ज़िका (Zika)
मच्छरों द्वारा फैलाई जाने वाली बीमारियों में सबसे खतरनाक ज़िका है। सामने आए मामलों में इसका प्रमुख रोगवाहक एडीज़ मच्छर है। दक्षिणपूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका के बाद यह वायरस भारत में आया। भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एम.ओ.एच.एफ.डब्ल्यू.) द्वारा अहमदाबाद शहर, गुजरात के तीन मामलों से इस बात की पुष्टि की गयी कि ज़िका वायरस भारत में मौजूद है। ज़िका वायरस संक्रमित या रोगग्रस्त एडीज़ प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है। गर्भावस्था के समय यह संक्रमण बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है। तथा इससे बचाव के लिए घर में या घर के आस-पास पानी को ठहरने ना दें। वर्तमान में, इसके इलाज के लिए कोई उपचार नहीं है, हालांकि इस पर शोध जारी है।

2015 में मलेरिया अकेले ही 4,38,000 मौतों का कारण बना। पिछले 30 वर्षों में डेंगू की विश्वव्यापी घटनाएं 30 गुना बढ़ी हैं। हाल ही में रोहिलखंड में 15 दिनों में 50 से ज्यादा लोगों में उच्च बुखार के लक्षण पाये गए।

आज भारत में मच्छरों की 400 प्रजातियां हैं, और हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आप और आपके आस-पास के लोग इन घातक मच्छरों से सुरक्षित रहें।

संदर्भ:
1.https://www.dailypioneer.com/2018/state-editions/high-fever-claims-over-50-lives-in-rohilkhand-in-15-days.html
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Mosquito-borne_disease
3.http://www.who.int/neglected_diseases/vector_ecology/mosquito-borne-diseases/en/
4.http://mosquitofreeworld.com/blog-post/the-5-most-lethal-mosquito-borne-diseases-in-india/