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एक समय में तपेदिक/टी.बी. (TB) के कारण पूरे गांव के गांव समाप्त हो जाते थे, इसे मृत्यु का दूत माना जाता था। किंतु गुज़रते दौर के साथ टी.बी. के उपचार हेतु टीबी प्रतिरोधी दवाओं का अविष्कार किया गया, जिसने टी.बी. के कारण मरने वालों की संख्या में भारी कटौती की। टी.बी. माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक बैक्टीरिया (Bacteria) के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है। वर्तमान समय में अधिकांश स्थिति में इसका उपचार संभव है, किंतु इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही मृत्यु का कारण बन जाती है।
यह एक संक्रमक बीमारी है तथा इससे प्रभावित व्यक्ति जब खुली हवा में खांसता, छींकता और बोलता है तो इसके बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं और ये ताज़ी हवा और सूरज की रोशनी के अभाव में कुछ घण्टों तक जीवित रहकर किसी भी व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। ताज़ी हवा और सूरज की रोशनी बैक्टीरिया को नष्ट कर देती है। व्यक्ति के भीतर टी.बी. के बैक्टीरिया कुछ सप्ताह, महीने और कुछ वर्ष के बाद भी अपना प्रभाव दिखा सकते हैं। टी.बी. आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों, जैसे मस्तिष्क, गुर्दे या रीढ़ को भी प्रभावित कर सकता है। यदि संक्रमित व्यक्ति दवाओं का सेवन नियमित रूप से करता है, तो कुछ समय पश्चात उससे टी.बी. के बैक्टीरिया का संक्रमण प्रभाव कम हो जाता है या नष्ट हो जाता है।
संक्रमित व्यक्ति से अन्य लोगों में बैक्टीरिया संचरण को रोकने के उपाय:
1. विश्व स्तर पर टी.बी. के लिए व्यापक जागरूकता फैलाई जाए तथा भारत जैसे देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में टी.बी. की विशेष शिक्षा दी जाए।
2. संक्रमित व्यक्ति की पहचान की जाए तथा उसे उचित उपचार दिया जाए। यदि संक्रमित व्यक्ति का कोई उपचार नहीं चल रहा है, तो उसके लिए आवश्यक है कि वह खांसते समय अपने मुंह को ढके ताकि बैक्टीरिया वायु में संचरित न हों।
3. पाश्चुरीकृत दूध (Pasteurized Milk) के सेवन से मनुष्यों को गोजातीय टी.बी. होने से रोकने में मदद मिलती है।
4. टी.बी. की रोकथाम हेतु बेसिलस कैलमेट-गुएरिन (Bacillus Calmette-Guerin-BCG) का टीका लगवाया जाए। यह टीका 1920 के दशक में बनाया गया था। टी.बी. की रोकथाम के लिए बच्चों में बी.सी.जी. का टीका लगवाना अनिवार्य है और यह वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा लगवाए जाने वाले टीकों में से एक है।
5. कीमोप्रोफाइलैक्सिस (Chemoprophylaxis) नामक दवा उपचार से अव्यक्त टी.बी. वाले लोगों में सक्रिय टी.बी. के पहले चरण के जोखिम को कम कर सकती है। अव्यक्त टी.बी. के उपचार का उपयोग संयुक्त राज्य में टी.बी. को खत्म करने के एक यंत्र के रूप में किया जा रहा है। इसके साथ ही आइसोनायज़िड (Isoniazid) दवाओं का उपयोग अव्यक्त टी.बी. को सक्रिय टी.बी. का रूप धारण करने से पहले ही समाप्त करने के लिए किया जा रहा है।
किंतु अब यह भी देखा जा रहा है कि टी.बी. के बैक्टिरीया टी.बी. के उपचार हेतु उपयोग की जाने वाली दवाओं के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर रहे हैं। जिस कारण इस बैक्टीरिया को मारना और अधिक कठिन होता जा रहा है। दवा प्रतिरोधी टी.बी. उपचार प्रारंभ करने के बाद भी लंबे समय तक सक्रिय बनी रहती है।
दवा प्रतिरोधी टी.बी. होने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
1. टी.बी. के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं का अनियमित रूप से उपयोग करना।
2. टी.बी. के इलाज का पूरा कोर्स (Course) न करना
3. चिकित्सकों द्वारा गलत उपचार का सुझाव दिया जाना
4. उचित उपचार के लिए दवाएं उपलब्ध न हो पाना
5. दवाई की गुणवत्ता का खराब होना
6. व्यक्तिगत स्तर पर की गयी लापरवाही।
दवा प्रतिरोधक टी.बी. के प्रकार:
• मल्टीड्रग-प्रतिरोधी टीबी (एम.डी.आर. टी.बी.) (Multidrug-Resistant TB (MDR TB)):
एम.डी.आर. टी.बी., टी.बी. बैक्टीरिया के कारण होता है जो आइसोनायज़िड और रिफैम्पिन (Rifampin) जैसी दो सबसे शक्तिशाली टी.बी. दवाओं का प्रतिरोधी है। इन दवाओं का उपयोग टी.बी. से प्रभावित सभी व्यक्तियों के उपचार के लिए किया जाता है। एम.डी.आर. टी.बी. के उपचार के लिए टी.बी. विशेषज्ञों से सलाह ली जानी चाहिए।
• एक्सटेन्सिवली दवा-प्रतिरोधक टी.बी. (Extensively Drug-resistant TB (XDR TB)):
यह टी.बी. एक दुर्लभ प्रकार का एम.डी.आर. टी.बी. है जो आइसोनायज़िड और रिफैम्पिन, फ्लोरोक्विनोलोन (Fluoroquinolone), तीन इंजेक्शन वाली द्वीतीय श्रेणी की दवाओं (जैसे, एमिकासिन (Amikacin), केनामाइसिन (Kanamycin) या कैप्रियोमाइसिन (Capreomycin) में से एक का प्रतिरोधी है। यह टी.बी. HIV संक्रमण वाले तथा कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए ज़्यादा घातक है।
दवा प्रतिरोधी टीबी की रोकथाम हेतु कुछ उपाय इस प्रकार हैं:
1) दवा प्रतिरोधी टी.बी. के प्रसार को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरीका है कि सभी टी.बी. दवाओं को चिकित्सक द्वारा निर्धारित अनुपात में लिया जाये। उपचार प्रक्रिया को निर्धारित समय के पश्चात ही बंद करना चाहिए।
2) चिकित्सक द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए।
3) अस्पतालों, जेलों जैसी बंद जगहों में दवा प्रतिरोधी टी.बी. से प्रभावित लोगों के संपर्क में आने से बचा जाए। इस प्रकार के छोटे-छोटे कदम उठाकर इसके संक्रमण को रोका जा सकता है।
संदर्भ:
1.https://www.tbfacts.org/cause-tb/
2.https://www.cdc.gov/tb/topic/drtb/default.htm
3.https://www.tbfacts.org/tb-prevention/
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