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माउंट आबू अरावली पहाड़ियों में बसा एक हिल स्टेशन (hill station) है। माउंट आबू रेगिस्तान में एक उद्यान जैसा है क्योंकि यहां से कई नदियां निकलती हैं। कई झीलें झरने और सदाबहार वनों का घर है माउंट आबू जो रेगिस्तान में और कहीं नहीं मिलता। माउंट आबू के बारे में कहा जाता है कि ऋषि वशिष्ठ यही रहने लगे थे। कई जातियां जैसे गुर्जर और राजपूत अपनी उत्पत्ति माउंट आबू से ही मानती हैं। माउंट आबू हिंदुओं के लिए बेहद पवित्र स्थान है। यहां कई प्रसिद्ध मंदिर है जैसे अर्बुदा देवी मंदिर, श्री रघुनाथ जी मंदिर, दत्तात्रेय का मंदिर और अचलेश्वर महादेव मंदिर। माउंट आबू पर कई जैनी मंदिर भी है जैसे- दिलवाड़ा मंदिर आदि।
अरावली पहाड़ियां भारत की जलवायु में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। भारत की जलवायु मानसूनी प्रकार की है और विश्व में सबसे अनोखी है। मानसूनी हवाएं दक्षिण पश्चिम में अरब सागर की ओर से भारत में प्रवेश करती हैं फिर उत्तर पश्चिम की ओर मुड़ जाती है। इन मानसूनी हवाओं के आते समय अरावली पहाड़ियां इनकी दिशा की ओर समानांतर होने से इनका मार्ग नहीं रोकती। परंतु जब हवाएं उत्तर पश्चिम की ओर मुड़ती हैं तो ये उनका मार्ग रोक लेती हैं और यहां अधिक वर्षा हो पाती है। मानसूनी हवाओं के आगे ना जा पाने के कारण ही राजस्थान को कम वर्षा जल मिल पाता है परंतु बाकी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और हरियाणा आदि को भरपूर वर्षा जल मिल जाता है। अरावली पहाड़ियां जल की पूर्ति करने तथा थार मरुस्थल को दिल्ली की तरफ बढ़ने से भी रोकती हैं। रामपुर से अरावली पहाड़ियां सिर्फ आधे दिन की दूरी पर स्थित है।
अरावली की पहाड़ियां कई कीमती खनिज पदार्थों जैसे तांबे आदि में बेहद धनी हैं जिसके कारण उनका बहुत ऊंची दर से उपभोग किया जा रहा है। गैरकानूनी खनन सबसे अधिक इस पर्यावरणीय नुकसान के लिए जिम्मेदार है। हाल ही में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को अरावली में गैरकानूनी खनन को रोकने के लिए हिदायत दी है। राजस्थान और हरियाणा के कई हिस्सों में अरावली पहाड़ियां खनन के चलते पूर्ण रूप से गायब हो चुकी हैं। देहरादून के भारतीय वन सर्वेक्षण की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार अरावली की 778 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन कार्य अभी चल रहा है। अरावली को बचाने के लिए कई स्थानीय कार्यकर्ता सक्रियता पूर्ण तरीके से आंदोलन चला रहे हैं। रिपोर्टर ईसे अपनी समाचार में कवर (cover) कर रहे हैं। देश की सर्वोच्च संस्था सुप्रीम कोर्ट ने भी अरावली में गैरकानूनी खनन को रोकने का आदेश तक दे दिया परंतु खनन अब भी की जा रही है। कई भ्रष्ट नेताओं और अफसरों की मिलीभगत होने के कारण यहां खनन रोकना बेहद चुनौतीपूर्ण है। इसलिए स्वयं राज्य सरकारों को ही आक्रामक तरह से इस गैरकानूनी पर्यावरण विरोधी कार्य को रोकना होगा।
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