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अतः
इन दोनों उद्देश्यों को पूरा करने के लिए हवाई जहाज के माध्यम से कनेक्टिविटी सबसे
अधिक प्रभावी तरीका है। और, यदि इस नीति को देश भर में कई क्षेत्रों में रणनीतिक रूप से
लागू किया जाता है, तो यह निश्चित रूप से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, साथ ही
क्षेत्रीय उड़ानों में एयरलाइनों की रुचि और बिना तामझाम वाले हवाई अड्डों के कारण, कम
लागत वाले हवाई सफर से यातायात में भी काफी सुधार हो सकता है।
इस संदर्भ में 2016-17 के केंद्रीय बजट में भी घरेलू हवाई यात्रा को भी बढ़ावा दिया गया है।
जिसके अंतर्गत सरकार योग्य हवाई पट्टियों की पहचान करेगी,और फिर राज्य सरकारों से
क्षेत्रीय हवाई अड्डों के विकास की लागत साझा करने के लिए कहेगी। इस योजना में राज्य
द्वारा संचालित भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के स्वामित्व वाले हवाई अड्डों
का पुनरुद्धार किया जाना भी शामिल है। इस संदर्भ में एएआई ने अगले पांच वर्षों में
लगभग ₹ 20,000 करोड़ खर्च करने की योजना बनाई है, जिसमें से ₹ 18,000 करोड़
हवाई अड्डा योजनाओं के लिए, ₹ 128 करोड़ सूचना प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए और ₹
865 करोड़ हवाईअड्डा प्रणालियों के लिए निर्धारित किए गए हैं।
क्षेत्रीय स्तर पर हवाई सेवा के विस्तार के साथ ही उत्तर प्रदेश के आठ शहरों में क्षेत्रीय हवाई
अड्डों का निर्माण सुनिश्चित हो गया है। जिसके अंतर्गत मुरादाबाद मुंडा पाण्डेय हवाई
पट्टी के स्थान पर हवाई अड्डा बन जायेगा। सरकार द्वारा उठाये गए इस कदम से
मुरादाबाद के पीतल उद्द्योग को भी लाभ मिलेगा। हालांकि पहले मुरादाबाद में केवल हवाई
पट्टी ही थी, जिसमें केवल सरकारी जहाज ही उतर सकते थे, वही अब एयरपोर्ट (Airport)
बनने के बाद यहां पर विदेशी नागरिक भी ख़रीदार बनकर आ सकते हैं। मुरादाबाद में हवाई
अड्डा बनने की खबर के साथ ही यहां पर जमीनों के भाव भी बेहद ऊँचे हो गए हैं।
स्थानीय हवाई अड्डों के विभिन्न लाभों में व्यापार और वाणिज्य सार्वजनिक सुरक्षा, आपदा
और आपातकालीन प्रतिक्रिया, सामुदायिक जीवन को समृद्ध करना, वन निरीक्षण आदि
अनगिनत लाभ शामिल हैं। साथ ही एयर एम्बुलेंस (air ambulance) के माध्यम से आग,
बाढ़, खोज और बचाव, के कार्य भी तुरंत किये जा सकते हैं।
मुख्य रूप से किसी भी छोटे शहर में हवाईअड्डा नहीं होने से स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता
में कमी आएगी, स्थानीय, राज्य और संघीय एजेंसियों की आपदाओं और आपात स्थितियों
का जवाब देने में सक्षम होने की क्षमता कम हो जाएगी, अतः क्षेत्रीय हवाई अड्डे कई अन्य
चुनौतियों का बेहतर समाधान भी साबित हो सकते हैं।
हालाँकि जिस प्रकार हर सिक्के के दो पहलु होते हैं उसी प्रकार ग्रामीण अथवा स्थनीय हवाई
सेवाओं की कुछ हानियां भी देखी जाती हैं। सबसे बड़ी हानि आर्थिक क्षेत्र में देखी जाती है,
उदाहरण के लिए, कम लागत में बनाया गया एक बिगड़ता हवाई अड्डा स्थानीय व्यवसायों
की लागत को बढ़ाता है, जिसमे उन्हें अधिक दूर के हवाई अड्डे पर भरोसा करने या परिवहन
के अधिक महंगे साधनों का उपयोग करने के लिए मजबूर किया जाता है। अपर्याप्त हवाई
अड्डे भी ग्रामीण व्यापार फर्मों के भौगोलिक बाजार क्षेत्रों को प्रतिबंधित करते हैं, जिसके
परिणामस्वरूप बिक्री और मुनाफे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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