| Post Viewership from Post Date to 06- Mar-2022 | ||||
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| City Readerships (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 1564 | 121 | 0 | 1685 | |
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दुनिया के कई हिस्सों में और विशेष रूप से दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में, कैंसर के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं (विशेषकर ऑन्कोलॉजिस्ट और ऑन्कोलॉजी नर्स (Nurses)) की भारी कमी है।वास्तव में कुछ देशों में देखभाल प्रदान करने के लिए नैदानिक ऑन्कोलॉजिस्ट नहीं हैं।उदाहरण के लिए,डिम्बग्रंथि, गर्भाशय ग्रीवा और योनि कैंसर आदि में कौशल और अनुभववाले स्त्री रोग संबंधी ऑन्कोलॉजिस्ट और बाल चिकित्सा ऑन्कोलॉजी में कैंसर देखभाल के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक और नर्स बहुत सीमित संख्या में हैं।जैसे-जैसे कैंसर के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है और कौशल का अंतर बढ़ता जा रहा है, स्वास्थ्य कर्मियों और स्वास्थ्य प्रणालियों पर दबाव भी बढ़ता जा रहा है। यह रोगियों की देखभाल की गुणवत्ता पर प्रभाव डालता है और पहले से मौजूद कैंसर स्वास्थ्य असमानताओं को और भी अधिक बढ़ाता है।स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की अपर्याप्त शिक्षा गुणवत्तापूर्ण कैंसर देखभाल प्रदान करने और प्राप्त करने में सबसे जरूरी मुद्दों में से एक है।सटीक निदान और गुणवत्तापूर्ण उपचार सुनिश्चित करने के लिए, हमें कौशल अंतर को दूर करना चाहिए।ऐसा करने का एक तरीका संपूर्ण कैंसर देखभाल निरंतरता में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षण देना है। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को शुरुआती संकेतों और लक्षणों को पहचानने, उचित प्रारंभिक पहचान उपायों को समझने, कैंसर के उपचार के सुरक्षित और उचित प्रशासन को सुनिश्चित करने और उपशामक देखभाल, दर्द और संकट प्रबंधन देने में सक्षम होने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।प्रशिक्षण के लिए अधिक संसाधनों का विकास किया जाना चाहिए,जिससे ऑन्कोलॉजी में स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में वृद्धि हो सके,कुशल स्वास्थ्य कर्मियों के प्रतिधारण के लिए बनाई गई रणनीतियों के सुचारू रूप से संचालन के उचित नीतियां बनाई जानी चाहिए।स्वास्थ्य कार्यकर्ता ज्ञान हस्तांतरण में सुधार के लिए स्थानीय रूप से अनुकूलित, सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील सामग्री के विकास का समर्थन कर सकते हैं।शिक्षक पारंपरिक तरीकों के पूरक के रूप में मोबाइल और ऑनलाइन प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ा सकते हैं।अस्पताल, क्लीनिक और सरकार जहां संभव हो मौजूदा सामग्री, प्रशिक्षण नेटवर्क और बुनियादी ढांचे पर जरूरी कारवाई कर सकते हैं।पारंपरिक रूप से गैर-कैंसर विशेषज्ञों जैसे सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, नैदानिक स्वास्थ्य सहायकों, नर्सों और चिकित्सकों को कैंसर देखभाल कार्यों में शामिल किया जा सकता है।भारत में कैंसर से ग्रसित कई लोगों को अपने आस-पास उचित सुविधा मुहैया नहीं होती है,और उन्हें अपने घर से बहुत दूर जाकर चिकित्सा सुविधा प्राप्त करनी पड़ती है। इस समस्या को सुलझाना भी अत्यधिक आवश्यक है।कोरोना महामारी के कारण कैंसर से ग्रसित लोगों की चिकित्सा सुविधा अत्यधिक प्रभावित हुई है, तथा ऐसी स्थिति के लिए पहले से तैयार रहने की जरूरत है। भारत में निदान के समय से ही रोगी और उसकी देखभाल करने वाले या परिवार अपने दम पर इस समस्या का सामना करते हैं।इलाज के विकल्प और अस्पतालों की गुणवत्ता से लेकर सेकेंड ओपिनियन (Second opinion) और फॉलो-ऑन केयर (Follow-on care) तक हर चीज पर प्रयोग करने योग्य और प्रासंगिक संरचित जानकारी का अत्यधिक अभाव है।रोगी को दी जाने वाली चिकित्सा देखभाल भी रोगी केंद्रित नहीं होती है।ये सभी चीजें भारत में कैंसर देखभाल वितरण की पुनर्कल्पना करने के समक्ष मुख्य चुनौतियां हैं।इसके समाधान के लिए एक कंस्यूमर फेसिंग डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (Consumer facing digital platform)बनाना होगा जो एंड-टू-एंड (End-to-End) जानकारी प्रदान करे।कैंसर देखभाल की गुणवत्ता में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना जरूरी है।एक संपूर्ण ऑन्कोलॉजी प्रणाली का निर्माण किया जाना चाहिए,जो रोगी केंद्रित हो और सर्वांगीण मार्गदर्शन सुनिश्चित करे।
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