समय - सीमा 269
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1057
मानव और उनके आविष्कार 821
भूगोल 264
जीव-जंतु 318
| Post Viewership from Post Date to 05- Apr-2022 | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Readerships (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 1932 | 124 | 0 | 2056 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
शिकरा पक्षी को उसकी प्रतिभाओं के लिए काफी लंबे समय से जाना जाता है।स्वतंत्रता से पूर्व यह
शिकारियों का सबसे अच्छा दोस्त हुआ करता था क्योंकि इसे शिकार के लिए आसानी से प्रशिक्षित
और नियंत्रित किया जा सकता था। इसलिए इसे बाज़ की कला में भी अत्यधिक इस्तेमाल किया
गया। हालांकि अब इस तरह की गतिविधियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है, किंतु आज भी यह
अपने असाधारण धैर्य, अनुशासन, साहस, शिकारी के रूप में अपनी बुद्धि, और आसानी से प्रशिक्षितऔर नियंत्रित होने की अपनी विशेषताओं के लिए लोकप्रिय है जो इसे अद्भुत और अन्य जीवों से
अलग बनाती हैं।हालांकि संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान और सांस्कृतिक संगठन ने 2013 में बाज को
सिखलाने की कला को 'वैश्विक सांस्कृतिक विरासत' का दर्जा दिया था।
जबकि यूनेस्को ने इसे एक
बड़ी उपलब्धि के रूप में मान्यता दी, लेकिन भारत में इस उत्सव की खुशी मनाने वाला कोई भी
बाज प्रशिक्षक वहाँ मौजूद नहीं था। यूनेस्को की फ़ाइल(File) में भारत में केवल दो लोगों की सूची है
जिनके पास बाज़ को सिखलाने का पारंपरिक कौशल है। यूनेस्को की एक रिपोर्ट के अनुसार, "एक
(दिवंगत) शांतनु कुमार, आईपीएस और दूसरे भारतीय शाहिद खान, दोनों जयपुर से हैं।" लेकिन भारत
में बाज के प्रशिक्षण की कला में प्रतिबंध लगा हुआ है और इसे केवल अनुज्ञापत्र प्राप्त प्रशिक्षकों को
करने की ही अनुमति है। लेकिन विडंबना यह है कि देश में यह कौशल विलुप्त होने की कगार में है
और भारत में अब केवल कुछ ही प्रशिक्षक मौजूद हैं।
वहीं भारत और पाकिस्तान में जो लोग शिकार के लिए बाज का पालन-पोषण करते हैं तथा उन्हें
प्रशिक्षित करते हैं, उनमें यह पक्षी अत्यधिक लोकप्रिय है। वे अपने साहस और तीतर, कौवे और यहां
तक कि युवा मोर सहित बहुत बड़े पक्षियों का शिकार करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
शिकरा भारत में सबसे आम बाजों में से एक है। दिल्ली के शहरी क्षेत्रों में इस बाज को शिकार करते
हुए देखने का दृश्य काफी अद्भुत प्रभाव डालता है।ये छोटे और गोलाकार(30-36 सेमी पर) होते हैं
तथा पूंछ लम्बी और संकीर्ण होती है। वयस्क का शरीर महीन लाल-भूरी धारियों के साथ अंदर से
सफेद होता है, जबकि ऊपरी हिस्सा धूसररंग का होता है। निचले उदर में अपेक्षाकृत कम धारियां
पायी जाती हैं। नर की परितारिका प्रायः लाल होती है जबकि मादाओं में यह कम लाल होती है।
इसके अलावा मादाओं का अपेक्षाकृत बडा आकार उन्हें नर से अलग बनाता है।
शिकरा को अक्सर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उड़ते हुए देखा जा सकता है, इस उड़ान के दौरान वे
अपने पंखों को काफी तेजी से फड़फड़ाते हैं, उसके बाद बिना आवाज के उड़ते हुए पत्तों में गायब हो
जाते हैं।इनका घोंसला टहनियों और डंडों के ढीले-ढाले पात्र की तरह दिखता है, लगभग कौओं की
तरह, क्योंकि ये घरेलू पक्षी नहीं हैं। हालांकि, वे आमतौर पर पेड़ों में अपने घोंसले बनाते समय
सावधानी बरतते हैं, ताकि किसी भी प्रकार की बाहरी गतिविधि घोंसले को नुकसान न पहुंचाएं।शहरों
में, वे आक्रामक स्वभाव के हो सकते हैं, कौवे और अन्य प्राणियों (यहां तक कि इंसानों) से वे
अपने घोंसले की रक्षा करने के लिए हमला करने से पीछे नहीं हटते। नर और मादा दोनों अंडे सेते हैं
लेकिन नर प्राथमिक खाद्य वाहक हैं।
मौजूदा, प्रजनन , मौजूदा, निवासी , मौजूदा, गैर-प्रजनन
शिकरा जंगलों, खेतों और शहरी क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला में पाए जाते हैं, जो अपने भोजन के
लिए मुख्य रूप से कृन्तकों, गिलहरी, छोटे पक्षियों, छोटे सरीसृपों (मुख्य रूप से छिपकली लेकिन
कभी-कभी छोटे सांप) और कीड़ों का शिकार करते हैं। यह शानदार पक्षी, शिकार की आदतों का करीब
से अध्ययन करने के साथ, प्रत्येक शिकार के लिए एक रणनीति को तैयार करते हैं, जिस वजह से
उनके द्वारा किये गए शिकार के प्रयासों में लगभग 75 प्रतिशत से अधिक प्रयास सफल होते हैं।
शिकरा के सामने अब सबसे बड़ा खतरा खुले में फेंके गए जहरीले और मारे गए चूहे हैं। इन शिकार
के शव में मौजूद जहर शिकरा के लिए काफी घातक है और इसकी जान तक ले लेता है। हालांकि
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ इसे सुरक्षित स्थिति में मानते हैं, लेकिन
जहरीले चूहे इनकी आबादी के लिए खतरा बने हुए हैं।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3LsWhpY
https://bit.ly/3NyXg9L
https://bit.ly/3qPp7J2
चित्र संदर्भ
1. शिकार को दबोचे मादा शिकारा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. यूनेस्को की फ़ाइल(File) में भारत में केवल दो लोगों की सूची है
जिनके पास बाज़ को सिखलाने का पारंपरिक कौशल है। यूनेस्को की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक (दिवंगत) शांतनु कुमार, आईपीएस और दूसरे भारतीय शाहिद खान, दोनों जयपुर से हैं।शाहिद खान को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
3. बैंगलोर, भारत में शिकारा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. आईयूसीएन संस्करण 2018.2 के अनुसार शिकारा (एक्सिपिटर बैडियस) का नक्शा, मौजूदा, प्रजनन , मौजूदा, निवासी , मौजूदा, गैर-प्रजनन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.
D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.
E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.