| Post Viewership from Post Date to 25- Sep-2022 (30th Day) | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Readerships (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 2888 | 21 | 0 | 2909 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
जब वस्तुएँ हमारे जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं में शामिल होती हैं तो उनसे हमारा भावनात्मक रिश्ता जुड़ जाता है। हमारा दिमाग घटना की स्मृति, इसमें शामिल लोगों को या घटना में केंद्रित किसी भी वस्तु से जोड़ देता है।
हालांकि उन्होंने शायद ही कभी इसे पहना हो। अमृत की मृत्यु के बाद, उनका कंगन अंततः उसकी छोटी बेटी, रजनी के पास चला गया। नारियन दास बेरी द्वारा उन्हें खरीदे जाने के अस्सी से अधिक वर्षों के बाद भी आभूषण के ये टुकड़े उन तीन महिलाओं को एक साथ बांध रहे हैं, जो सभी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहती हैं। एक अन्य उदाहरण में, ओम प्रकाश खन्ना, जो विभाजन के समय सोलह वर्ष के थे, बताते हैं कि ट्रेन क्लर्क के रूप में कार्यरत उनके पिता मलिक टिकया राम खन्ना, अपने साथ एक फटा हुआ सेवा प्रमाण पत्र लाये थे।
कभी-कभी, शादी की साड़ी, एक रेडियो या यहां तक कि रसोई के बर्तन जैसी सामान्य चीजें भी बटवारे के दौरान रहने वाले और मरने वाले लाखों लोगों के व्यक्तिगत आख्यानों को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त होती हैं। अमृतसर में विभाजन संग्रहालय में विभाजन से बचे लोगों और उनके परिवारों द्वारा दान की गई वस्तुओं का एक व्यापक संग्रह मौजूद है। बटवारे के समय कई लोगों के पास अपना सामान पैक करने का भी समय नहीं था। संग्रहालय में रखा ये वो सामान हैं जो बचे लोग 70 साल पहले सीमा के दूसरी तरफ छोड़े गए घरों से लाए थे। संग्रहालय में प्रत्येक वस्तु की एक कहानी है और विभाजित लोगों की भौतिक संस्कृति को भी दर्शाती है। वे इस युगांतरकारी घटना में महत्वपूर्ण मील के पत्थर, लेकिन नुकसान, दर्द और दुःख के प्रतीक भी हैं, जिसे उनके मालिकों ने सहन किया।
भारत के विभाजन को कई लेखकों द्वारा विषयगत किया गया था। लेकिन मंटो (Manto) ने विभाजन के बारे में जो लिखा वह उर्दू कथा साहित्य में एक उदाहरण बन गया। सआदत हसन मंटो की ''द गारलैंड' ("The Garland") पाकिस्तान में विभाजन के उन्मादी दिनों पर आधारित है। इसमें वर्णित है की लाहौर में एक मुस्लिम भीड़ ने एक प्रसिद्ध हिंदू वास्तुकार और परोपकारी, सर गंगा राम की प्रतिमा पर हमला किया तथा लाठी, ईंटों और पत्थरों से 'उन पर' पथराव किया। इस दौरान एक व्यक्ति को पुलिस द्वारा गोली मार दी जाती है क्योंकि वह स्मारक के गले में जूतों की एक माला पहनाने की कोशिश करता है। घायल व्यक्ति को "सर गंगा राम अस्पताल में ही पट्टी बांधने के लिए भर्ती कराया गया"। इस अस्पताल को उसी गंगा राम द्वारा स्थापित किया गया था, जिसकी प्रतिमा को वह तोड़ रहा थ। इस रचना के माध्यम से मंटो पाठक को एक विडंबनापूर्ण सत्य की त्वरित समझ प्रदान करते हैं।
भारत और पाकिस्तान में केवल चुनिंदा ही व्यक्तित्व हैं जिन्होंने प्रतिष्ठित इंजीनियर और परोपकारी, सर गंगा राम की भांति सीमा के दोनों किनारों पर स्थायी विरासत छोड़ी है। दिल्ली और लाहौर में उनके ट्रस्ट और उनके नाम पर परिवार द्वारा बनाए गए अस्पताल आज भी उनकी विरासत को कायम रखते हैं। हालांकि पाकिस्तान का लाहौर शहर उनका घर था, लेकिन 1947 के भारत विभाजन के दौरान, उनका परिवार भारत, दिल्ली में चला आया। 1927 में गंगा राम की मृत्यु हो गई, लेकिन लेखक सआदत हसन मंटो की लघु कहानी, द गारलैंड, ने संक्षेप में बताया कि, वह व्यक्ति और उसकी विरासत, लाहौर शहर के साथ कितनी निकटता से जुड़ी हुई है।
A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.
D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.
E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.