कैथी: रामपुर सहित अधिकांश उत्तर भारत के कायस्थ समुदाय की प्राचीन लिपि व् पहचान

ध्वनि II - भाषाएँ
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कैथी: रामपुर सहित अधिकांश उत्तर भारत के कायस्थ समुदाय की प्राचीन लिपि व् पहचान

कैथी, जिसे कायथी या कायस्थी के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन और ऐतिहासिक ब्राह्मी लिपि है, जिसका उपयोग उत्तर और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों, विशेषकर उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार में किया जाता था। इसका उपयोग मुख्य रूप से कानूनी, प्रशासनिक और निजी रिकॉर्ड या खातों से जुड़ी जानकारियां लिखने के लिए किया जाता था। कैथी का उपयोग “अवधी, भोजपुरी, हिंदुस्तानी, मगही और नागपुरी” जैसी कई इंडो-आर्यन भाषाओं के निर्माण के लिए भी किया गया था। कैथी के तीन स्थानीय (भोजपुरी, मगही और त्रिहुति) रूप हैं। कैथी शब्द की उत्पत्ति “कायस्थ” शब्द से हुई है। कायस्थ एक सामाजिक समुदाय है, जिसके लोग पारंपरिक रूप से प्रशासक और लेखाकार होते थे। कायस्थ समूहों के लोग राजाओं और शासकों के लिए लेखक या सचिव के रूप में काम करते थे। कायस्थ समुदाय को अक्सर उत्तर भारत में शाही अदालतों और ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकारों द्वारा विभिन्न लेनदेन और कार्यवाहियों के रिकॉर्ड लिखने और बनाए रखने के लिए नियुक्त किया जाता था। कायस्थ का अर्थ होता है, "वह व्यक्ति जो धन अथवा राजकोष से सम्बंधित काम करता हो। कायस्थ शब्द दो संस्कृत शब्दों से बना है: काया (शरीर) और -स्थ (खड़ा होना या होना)। कायस्थ भारत के विभिन्न हिस्सों, जैसे उत्तर भारत, महाराष्ट्र, बंगाल और ओडिशा में रहते थे। वे लिखने, रिकॉर्ड रखने और पैसे के प्रबंधन करने जैसे वित्तीय कार्यों में बहुत अच्छे होते थे। कायस्थ शब्द का इतिहास कुषाण साम्राज्य जितना पुराना बताया जाता है। कायस्थ सिर्फ लेखक नहीं थे, बल्कि वे कानून, साहित्य, भाषा और लेखांकन जैसे कई क्षेत्रों में भी चतुर और कुशल होते थे। पहले के समय में औपचारिक शिक्षा, केवल कायस्थ और ब्राह्मण ही प्राप्त कर सकते थे। चित्रगुप्त के वंशज माने जाने वाले कायस्थ, ऐसे भारतीय समुदाय हैं, जो पारंपरिक रूप से डॉक्टर, वकील, शिक्षक और इंजीनियर जैसी पदों पर काम करते थे। वे शिक्षित थे और उनमें से लगभग सभी अंग्रेजी पढ़ और लिख सकते थे। आज, कायस्थ अधिकतर मध्य, पूर्वी (विशेषकर बंगाल) और उत्तरी भारत में रहते हैं। उन्हें अगड़ी जाति माना जाता है। कायस्थों ने अपने दस्तावेजों को अभिलेखित करने के लिए जिस लिपि का प्रयोग किया उसे “कैथी” कहा गया।कैथी में लिखे दस्तावेजों का इतिहास 16वीं शताब्दी पुराना हो सकता है। मुगल काल के दौरान इस लिपि का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था। 1880 के दशक में ब्रिटिश राज के दौरान इसे बिहार की कानून अदालतों की आधिकारिक लिपि के रूप में मान्यता दी गई थी। यह उत्तर भारत में, अर्थात बंगाल के पश्चिम में, सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली लिपि थी। कैथी को हमेशा से ही एक तटस्थ लिपि के रूप में देखा गया क्योंकि इसका उपयोग हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के द्वारा रोजमर्रा के पत्राचार और प्रशासनिक गतिविधियों के लिए किया जाता था। हालांकि फिर, समाज के धार्मिक रूप से कट्टर समुदायों ने हिंदुओं के लिए देवनागरी और मुसलमानों के लिए फ़ारसी लिपि को प्राथमिकता देनी शुरू कर दी। इस प्राथमिकता और कैथी की तुलना में देवनागरी प्रकार की व्यापक उपलब्धता के कारण, कैथी के बजाय देवनागरी लिपि अधिक लोकप्रिय हो गई। 19वीं सदी के अंत में, कई लोगों ने शिक्षा में कैथी लिपि का उपयोग करने की वकालत भी की। इस दौरान कई कानूनी दस्तावेज़ कैथी में लिखे गए। 1950 से 1954 तक यह बिहार जिला अदालतों की आधिकारिक कानूनी लिपि हुआ करती थी। हालाँकि, आगे चलकर इसे ब्राह्मण अभिजात वर्ग के विरोध का सामना करना पड़ा और इसे चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया गया। आज, बिहार की अदालतों में पुराने कैथी दस्तावेजों को पढ़ने और समझने में काफी दिक्कतें आती हैं। कैथी का उपयोग न केवल हमारे प्यारे भारत बल्कि मॉरीशस (Mauritius), त्रिनिदाद और अन्य स्थानों में रहने वाले भारतीय समुदायों द्वारा भी किया जाता था। इस लिपि का उपयोग हिंदी से संबंधित कई क्षेत्रीय भाषाओं जैसे भोजपुरी, मगही और उर्दू को लिखने के लिए भी किया जाता था। कैथी की अपनी अनूठी लेखन और मुद्रण परंपरा है, और इसे सिलोटी नागरी और महाजनी जैसी अन्य लिपियों का पूर्वज माना जाता है। अपनी मजबूत परंपरा के कारण, इसका उपयोग उत्तरी भारत में देवनागरी और फ़ारसी जैसी अन्य लिपियों के साथ किया जाता था। इसका उपयोग 16वीं सदी से 20वीं सदी की शुरुआत तक प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था। ब्रिटिश सरकार ने प्रशासन और शिक्षा के लिए बंगाल प्रेसीडेंसी (जिसमें बिहार भी शामिल था), उत्तर-पश्चिमी प्रांत और अवध में कैथी को ही चुना। इससे इसका महत्व बढ़ गया और 1875 में एनडब्ल्यूपी एंड ओ (NWP&O: North Western Provinces and Oudh) सरकार ने कैथी को लिखित औपचारिक शिक्षा में उपयोग करने के लिए मानकीकृत किया। 1880 में बिहार सरकार ने अदालतों और प्रशासनिक कार्यालयों के लिए आधिकारिक लिपि के रूप में कैथी को ही चुना। कैथी के मानकीकृत होने के बाद, इसके लिए धातु फ़ॉन्ट और मुद्रण सुविधाएं विकसित की गईं। ब्रिटिश सरकार ने कैथी में ही जनगणना कार्यक्रम और लेखांकन रिकॉर्ड मुद्रित किए। भारतीय प्रकाशक भी कैथी में किताबें छापने लगे थे। पश्चिमी मिशनरियों ने भी उत्तर भारतीय भाषाओं में ईसाई साहित्य के अनुवाद छापने के लिए देवनागरी की तुलना में कैथी को प्राथमिकता दी। इस प्रकार 20वीं सदी की शुरुआत तक एक लेखन शैली के रूप में कैथी, खूब लोकप्रिय रही। लेकिन बाद में इसके स्थान पर देवनागरी या अन्य लिपियों का प्रयोग किया जाने लगा। हालाँकि, दक्षिण एशिया के बाहर रहने वाले उत्तर भारतीय समुदायों ने कैथी का उपयोग करना जारी रखा। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि कैथी का उपयोग 1960 के दशक तक बिहार के कुछ जिलों में किया जाता था। ऐसा देखा गया है कि उत्तर भारत के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्तिगत पत्रों में अभी भी इसका थोड़ा-बहुत उपयोग किया जाता है । इसे “बिहार लिपि” के नाम से भी जाना जाता है। 20वीं सदी की शुरुआत तक कैथी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था। अच्छी खबर यह है कि बिहार सरकार ने उत्तरी और पूर्वी भारत में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली ऐतिहासिक लिपि कैथी को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम उठाने का फैसला किया है। बिहार सरकार ने इस लिपि को संरक्षित करने का निर्णय लिया है। सरकार जल्द ही विशेषज्ञों से बातचीत कर इस स्क्रिप्ट (Script) को वापस लाने की योजना बनाएगी। लखनऊ में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (North Central Zone Cultural Center) की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई। इस बैठक में यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में लुप्त हो रही लोक और आदिवासी कलाओं को कैसे प्रोत्साहित किया जाए और कैथी लिपि सहित लुप्त हो रही भाषाओं को संरक्षित करने के लिए विशेष योजनाएं बनाने की भी बात की गई।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4msbn2t7
https://tinyurl.com/bdz65eb8
https://tinyurl.com/d48rvu8c
https://tinyurl.com/bp5r4hru
https://tinyurl.com/cxve8tw3

चित्र संदर्भ

1. कैथी लेखन और एक भारतीय को दर्शाता एक चित्रण (lookandlearn)
2. एक भारतीय व्यापारी को दर्शाता एक चित्रण (lookandlearn)
3. जैनियों का णमोकार मंत्र कैथी लिपि में लिखा गया है, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. कैथी स्क्रिप्ट के लेख को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. कैथी लिखाई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. पूर्वी गुमटी आरा में फ़ारसी लिपि (दाहिनी ओर) और रोमन लिपि (ऊपर) के साथ भोजपुरी कैथी में साइनबोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)