सर्दियों में आनंद लीजिये, भारतीय शास्त्रीय संगीत के सुखदायक व् मनोहारी राग मालकौस का

ध्वनि I - कंपन से संगीत तक
05-11-2023 09:19 AM
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भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक बड़ी विशेषता यह भी है, कि आप इसे मौसम के हिसाब से अपनी मनोदशा को प्रभावित करता हुआ पायेंगे! आसान शब्दों में समझें तो राग और ऋतु  में पारंपरिक संबंध हैं, "राग भी मौसम की प्रकृति के अनुसार रचे जाते हैं।" उदाहरण के लिए मल्हार श्रेणी के राग, मानसून के मौसम में किसी भी समय गाए जा सकते हैं। मानसून का राग मेघ से, शरद ऋतु का राग भैरव से, वसंत का राग हिंडोल से और सर्दी का राग मालकौस से पारंपरिक संबंध है। मालकौस, जिसे मालकोश के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे पुराने रागों में से एक है। कर्नाटक संगीत में इसके समकक्ष राग को हिंडोलम कहा जाता है। भारतीय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज के अनुसार, मालकौस एक ऐसा राग है जो सुबह के शुरुआती घंटों में, आधी रात के बाद गाया जाता है। वह आगे कहते हैं कि इस राग का हमारे मन पर सुखदायक और मादक प्रभाव पड़ता है। मालकौस नाम ‘मल’ और ‘कौशिक’ के संयोजन से लिया गया है, जिसका अर्थ  "वह जो नागों को माला की तरह पहनता है" (भगवान शिव का संदर्भ) होता है। ऐसा माना जाता है कि राग मालकौस की रचना देवी पार्वती ने माता सती के बलिदान पर क्रोधित हुए भगवान शिव को शांत करने के लिए की थी! जैन धर्म में, राग मालकौस का प्रयोग तीर्थंकरों द्वारा समवसरण में देशना (व्याख्यान) देते समय अर्धमागधी भाषा के साथ किया जाता है।

Raga Malkauns live performance in Netherlands by Ankita Joshi -

Raga Malkauns live performance in Slovenia by Rohan Dasgupta & Sanjay Banik

संदर्भ: 

Https://Tinyurl.Com/Yezavfxb

Https://Tinyurl.Com/2s472y4c