जब नीम करोली बाबा से मिले बल्गेरियाई दार्शनिक, ओमराम मिखाइल एइवानहोव

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
08-11-2023 10:06 AM
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जब नीम करोली बाबा से मिले बल्गेरियाई दार्शनिक, ओमराम मिखाइल एइवानहोव

क्या आपने उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम के बाबा नीम करौली महाराज के बारे में सुना है, जिनके व्यक्तित्व से एप्पल और फेसबुक (Apple And Facebook) जैसी विश्व की दिग्गज कंपनियों के संस्थापक भी प्रभावित हैं? 1959 में, बल्गेरियाई दार्शनिक ओमराम मिखाइल एइवानहोव (Omraam Mikhaël Aïvanhov) ने भारत की यात्रा की, और यहां उनकी भी मुलाकात संत नीम करोली बाबा से होती है। इस मुलाकात का एइवानहोव के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिसके बाद उन्होंने अपने नए गुरु के सम्मान में अपना नाम ही बदल लिया। ओमराम मिखाइल एइवानहोव (1900-1986) एक बल्गेरियाई दार्शनिक, शिक्षाशास्त्री, रहस्यवादी और गूढ़विद् थे। वह 20वीं सदी में यूरोप में पश्चिमी गूढवाद के एक अग्रणी शिक्षक और यूनिवर्सल व्हाइट ब्रदरहुड (Universal White Brotherhood) के संस्थापक पीटर ड्यूनोव (Peter Deunov) के शिष्य भी रहे थे। जब वह मात्र सात वर्ष के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद उनका पालन-पोषण बहुत गरीबी में हुआ। 1912 में, एइवानहोव ने आध्यात्मिकता से जुडी किताबें पढ़ना शुरू कर दिया, जिनमें बाइबिल, बौद्ध और हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ तथा स्टाइनर (Steiner), ब्लावात्सकी (Blavatsky), स्पिनोज़ा (Spinoza), पेरासेल्सस (Paracelsus) जैसी हस्तियों की रचनाएँ भी शामिल थीं। 1917 में, एइवानहोव की मुलाकात बल्गेरिया में व्हाइट ब्रदरहुड के संस्थापक पीटर ड्यूनोव (Peter Deunov) से हुई। वह बीस वर्षों तक ड्यूनोव के शिष्य बने रहे, इस दौरान उन्होंने अपने गुरु की शिक्षा का अध्ययन किया और अपनी शिक्षाओं को मजबूत किया। ऐवानहोव ने अपने शिष्यत्व के प्रारंभिक वर्ष गरीबी में, पहाड़ों में अध्ययन और ध्यान करते हुए बिताए। एइवानहोव ने 1923 और 1931 के बीच मनोविज्ञान, शिक्षा दर्शन, गणित, रसायन विज्ञान, खगोल विज्ञान और चिकित्सा का अध्ययन करते हुए सोफिया विश्वविद्यालय (Sofia University) में पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया। 1932 से 1937 के आसपास, उन्होंने एक स्कूल शिक्षक और फिर एक हाई स्कूल प्रिंसिपल (High School Principal) के रूप में काम किया। 1937 में, ड्यूनोव ने पश्चिम में अपनी शिक्षा फैलाने के लिए एइवानहोव को फ्रांस भेजा। ड्यूनोव ने 40,000 अन्य छात्रों में से केवल ऐवानहोव को चुना।
एइवानहोव भी बिना पैसे और बिना फ्रेंच भाषा के ज्ञान के फ्रांस पहुंच गए। हालाँकि, उन्होंने जल्दी ही यहां की भाषा सीख ली और सार्वजनिक भाषण देना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने जीवनकाल में 5000 से अधिक व्याख्यान दिए और उनकी शिक्षाएं 44 पॉकेटबुक (Pocketbook) और 32 संपूर्ण कार्यों में प्रकाशित हुईं।
1959 में, ऐवानहोव ने भारत की यात्रा की, जहां उनकी मुलाकात संत नीम करोली बाबा से हुई। इससे पहले बाबा राम दास/रिचर्ड अल्पर्त (Richard Alpert) ने बाबाजी को उत्तरी अमेरिका में प्रसिद्ध बना दिया था। भारत आकर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में, ओमराम की मुलाकात दो दिव्य लोगों, गोविंदा और उनकी पत्नी से हुई, जो उनके करीबी दोस्त बन गए। 17 जून, 1959 को उनकी मुलाकात नीम करोली बाबाजी से हुई, जो एक महान संत थे, जिनसे ओमराम लंबे समय से मिलना भी चाहते थे। ओमराम ने बाबाजी से टेलीपैथिक (Telepathic) तरीके से बातचीत की थी और बाबाजी ने उसका जवाब अल्मोड़ा में उनसे मिलकर दिया था। ओमराम ने बाबाजी के साथ कुछ समय अकेले बिताया। इस दौरान बाबाजी ने उन्हें "फ्रांसीसी साधु" की उपाधि भी प्रदान की। बाबाजी एक रहस्यमय व्यक्ति थे। कहा जाता है कि वह सैकड़ों वर्षों से जीवित थे और अपनी इच्छा अनुसार प्रकट होने और गायब होने की क्षमता रखते थे। ऐसा कहा जाता है कि उनके पास कई अन्य असाधारण शक्तियां (जैसे कि घटनाओं की भविष्यवाणी करने की क्षमता, दूर से लोगों को देखने और सुनने की क्षमता, और एक साथ कई स्थानों पर मौजूद रहने की क्षमता) भी थीं।
ओमराम को ओमराम नाम तीन ऋषियों द्वारा दिया गया था, जो भारत में ध्यान करते समय उनके पास आए थे। ओमराम का दर्शन सिखाता है कि हर कोई, पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, एक अधिक शांतिपूर्ण दुनिया बनाने में मदद कर सकता है। ऐसा व्यक्तिगत परिवर्तन, या परमात्मा के साथ पूर्णता और सामंजस्य में वृद्धि के माध्यम से किया जाता है। ओमराम ने लोगो को प्रारंभिक विज्ञान के प्राचीन सिद्धांतों के बारे में भी सिखाया, जो ब्रह्मांड और मानव को नियंत्रित करने वाले ब्रह्मांडीय कानूनों का वर्णन करते हैं। उनका मानना था कि इस ज्ञान ने सदियों से अलग-अलग रूप धारण किए हैं, और यह विभिन्न धर्मों के माध्यम से व्यक्त किया गया "बारहमासी ज्ञान" है। ओमराम के अनुसार, प्रारंभिक विज्ञान का परम सत्य यही है कि “सभी चीजें जुड़ी हुई हैं”। अपनी मृत्यु से ठीक पहले उन्हें फ्रांसीसी नागरिकता प्राप्त हुई। 25 दिसंबर 1986 को फ़्रेजुस, फ़्रांस (Frejus, France) में उनकी मृत्यु हो गई।

संदर्भ
https://tinyurl.com/56j8jm4c
https://tinyurl.com/ytxc9u93
https://tinyurl.com/ysdr65vh
https://tinyurl.com/yc6rdu49
https://tinyurl.com/5m4ytxx2

चित्र संदर्भ
1. करोली बाबा एवं बल्गेरियाई दार्शनिक, ओमराम मिखाइल एइवानहोव को दर्शाता एक चित्रण (flickr,amazon)
2. ओमराम मिखाइल एइवानहोव को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. व्हाइट ब्रदरहुड के संस्थापक पीटर ड्यूनोव को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
4. कैंची धाम आश्रम को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. राम दास पुस्तकालय में नीम करोली बाबा की मूर्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)