पड़ोसी ज़िले बरेली व मुरादाबाद की तरह, रामपुर में भी मनाया जाना चाहिए, राम गंगा नदी उत्सव

नदियाँ और नहरें
25-11-2023 10:00 AM
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पड़ोसी ज़िले बरेली व मुरादाबाद की तरह, रामपुर में भी मनाया जाना चाहिए, राम गंगा नदी उत्सव

मुरादाबाद जिले के कुंदरकी में, पिछले वर्ष नवंबर महीने में सोशल डायनेमिक क्लब(Social Dynamic club) के अंतर्गत कुछ पदाधिकारियों ने कुष्ठ आश्रम में दीप जलाकर ‘गंगा उत्सव’ मनाया था। उत्सव के दौरान,महिलाओं और बच्चों को मिठाई एवं खाद्य सामग्री बांटी गई थी। इसके साथ ही, बच्चों को कॉपी, किताब, पेन, पेंसिल आदि भी उपहार के तौर पर वितरित किए गए थे। कार्यक्रम में, क्लब की अध्यक्ष अलका राज एवं उपाध्यक्ष स्वदेश सिंह ने, वातावरण में फैल रहे प्रदूषण को नियंत्रित करने व डेंगू(Dengue) बुखार से बचाव व सुरक्षा के लिए, अपने आसपास स्वच्छता व मच्छरों से बचाव हेतु, लोगों को जागरूक किया था। दूसरी ओर, बरेली के चौबारी में रामगंगा घाट पर भी भव्य ‘गंगा उत्सव, नदी उत्सव’ कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। रामगंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में गैरसैंण तहसील में स्थित दूधातोली पहाड़ी के दक्षिणी ढलानों से होता है। नदी के इस स्रोत को "दिवाली खाल" के नाम से भी जाना जाता है। रामगंगा नदी हमारे राज्य के कई ज़िलों से बहती हुई, हरदोई जिले के कटरी चांदपुर गांव में मुख्य गंगा नदी में मिल जाती है। रामगंगा मित्र तथा नेहरू युवा केंद्र जैसे संगठन, विद्यालयीन बच्चें व स्थानीय लोग इस उत्सव से पहले, गंगा घाट पर श्रमदान करते हैं, तथा घाट को साफ करते हैं।इसके अलावा, यहां बच्चों के लिए कुछ प्रतियोगिताओं एवं प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाता है। तालाबों का पुर्नजीवन नदियों के लिए, किस प्रकार महत्वपूर्ण है, इसके संबंध में भी उत्सव के दौरान जानकारी दी जाती है। जबकि, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों के बाद, सांकेतिक पौधा रोपण के पश्चात, चौबारी घाट पर शाम के समय 1001 दिये जलाकर दीपोत्सव कार्यक्रम होता है।
जिला गंगा समिति, के माध्यम से,ये कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।इस गंगा उत्सव का मुख्य उद्देश्य नदियों को प्रदूषण मुक्त रखना एवं पुर्नजीवित करना होता है। इसी क्रम में, रामगंगा नदी के उद्गम स्थल से लेकर, इसके गंगा नदी में मिलने तक के पथ के संबंध में, आवश्यक व महत्वपूर्ण जानकारी बताई जाती है। रामगंगा नदी के साथ ही, जिलाधिकारी ने वर्ष 2021 में ही, अरिल नदी को पुर्नजीवित करने के लिए, संबंधित विभागों के साथ जनता को जोड़ते हुए, काम करने की बात कही थी। जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत जिला गंगा समिति का गठन किया गया है। इस समिति का उद्देश्य बरेली में, रामगंगा नदी व उसके आसपास हो रहे प्रदूषण के नियंत्रण कार्यक्रमों का समन्वय करना है। इस कार्यक्रम के तहत गंगा व उसकी सहायक नदियों में गंदगी न फैलाने के लिए, जनसहभागिता को बढ़ावा दिया जाता है।
स्वच्छ गंगा मिशन के माध्यम से, गंगा व उसकी सहायक नदियों को स्वच्छ करने के लिए, देश के 112 जनपदों में बरेली को भी शामिल किया गया है। जिला गंगा समिति के गठन से गंगा सफाई के कार्य को न केवल गति मिलेगी बल्कि गंगा, के कायाकल्प की मुहिम को जन-जागरण में परिवर्तित करने में भी बड़ा योगदान मिलेगा। बरेली में रामगंगा में प्रदूषण की रोकथाम के लिए तीन जगहों पर 63 एमएलडी(MLD) क्षमता सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट(Sewage treatment plant) स्थापित किया जा रहा है।
इस वर्ष राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा, 4 नवंबर को नई दिल्ली में गंगा उत्सव के 7वें संस्करण का आयोजन किया गया था। गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि, एक गहन भावना है, जो हम सभी के साथ जुड़ी हुई है। अतः नदियों का संरक्षण हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। हमारे माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि, ‘जल संरक्षण हर किसी का विषय है’। साथ ही,वे हमारे देश के सतत विकास में पानी की महत्वपूर्ण भूमिका को भी कई बार रेखांकित करते है। अतः हममें से प्रत्येक को आगे बढ़ना चाहिए और अपनी नदियों की सुरक्षा में योगदान देना चाहिए। दरअसल, वर्ष 2008 में गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया था। इसके कारण,राष्ट्रीय गंगा दिवस की परिकल्पना का भी जन्म हुआ, जो कि, हर वर्ष 4 नवंबर को मनाया जाता है।
दूसरी ओर, पवित्र नदी गंगा, जो हमारे पूरे देश के लिए, जीवन और पोषण का स्रोत है, का जश्न मनाने के लिए हर वर्ष दिवाली के बाद वाराणसी में गंगा महोत्सव मनाया जाता है। इसमें दुनिया भर से पर्यटक और तीर्थयात्री शामिल होते हैं। यह सांस्कृतिक, पारंपरिक और आध्यात्मिक जीवंतता का एक त्योहार है।
गंगा महोत्सव हर वर्ष दिवाली के बाद, कार्तिक महीने(अक्तूबर–दिसंबर) के ग्यारहवें दिन, यानी प्रबोधनी एकादशी से मनाया जाता है। यह उत्सव पांच दिनों तक मनाया जाता है, जिनमें से अंतिम दिन देव दीपावली होता है। यह पूर्णिमा की रात होती है, और इसे कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। महोत्सव के अंतिम दिन, उन देवताओं के स्वागत के लिए, देव दीपावली मनाई जाती है, जो गंगा नदी में स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। लोककथाओं में कहा गया है कि, इसी दिन उन्होंने राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था और उनकी उपस्थिति पानी में महसूस की जा सकती है। वाराणसी में, गंगा नदी तट पर प्रमुख अस्सी घाट सहित, प्रत्येक घाट पर उत्सव मनाया जाता है। यह महोत्सव अब उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/34ns3e4c
https://tinyurl.com/3yer2tsz
https://tinyurl.com/ykyna9xk
https://tinyurl.com/44ve7jcs
https://tinyurl.com/4n22k37x

चित्र संदर्भ
1. जलार्पण के दृश्य के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. गंगा उत्सव 2023 को दर्शाता एक चित्रण (Pexels)
3. नदी तट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. गंगा की सफाई करते लोगों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. गंगा आरती को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)