फारस की तीन प्रेम कथाएं जो भारत में खूब लोकप्रिय हैं

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फारस की तीन प्रेम कथाएं जो भारत में खूब लोकप्रिय हैं

प्राचीन समय के फारस को अक्सर योद्धाओं और सांस्कृतिक संपन्नता वाले क्षेत्र के रूप में जाना जाता है! लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां की कुछ प्रेम कहानियां भी भारत सहित पूरी दुनियां में खूब पसंद की जाती हैं। हमारे भारत की कई लोकप्रिय प्रेम कहानियों में से एक “लैला-मजनू” की कहानी की मूल उत्पत्ति भी फारस की ही बताई जाती है! नीचे प्राचीन फारस की तीन महानतम प्रेम कहानियां दी गई हैं:
लैला और मजनूं: लैला और मजनूं की प्रेम कहानी अथाह प्रेम, सहनशीलता और समर्पण की एक प्रतीकात्मक कहानी है। इस कहानी की उत्पत्ति अरब में हुई थी, लेकिन इसका पूर्ण विकास 7वीं शताब्दी की फारसी कविता और साहित्य के साथ हुआ। यह प्रेम कहानी फारस, भारत, अफगानिस्तान, तुर्की और अरब के कई लेखकों और कवियों द्वारा कई बार कही और दोहराई जा चुकी है। इस सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक संस्करण को फ़ारसी सूफी रहस्यवादी कवि, निज़ामी गंजवी ने लिखा था। निज़ामी एक फ़ारसी तथा अज़ेरी कवि थे, जो लैला मजनू तथा 'सात सुंदरियां' जैसी किताबों के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका जन्म 12वीं सदी में वर्तमान अज़रबैजान के गंजा में हुआ था। गंजवी द्वारा लिखित लैला और मजनूं की प्रेम कहानी ईरान की सबसे प्रभावशाली प्रेम कहानियों में से एक बन गई है। कहानी को संक्षेप में समझें तो लैला और मजनूं ईरान के दो युवा प्रेमी युगल थे, जिन्हें पहली नजर में प्यार हो जाता है। मजनूं, जिसका असली नाम क़ैस था, एक कवि होता है, जो सुंदर कविताओं के माध्यम से लैला के प्रति अपने प्यार का इज़हार करता है।
हालांकि, लैला के पिता एक धनी और शक्तिशाली व्यक्ति होते हैं और इन दोनों के रिश्ते को स्वीकार नहीं करते हैं! वह लैला की मर्जी के खिलाफ जाकर उसकी शादी एक अमीर किंतु वृद्ध व्यक्ति से करा देते हैं । इसके बाद मजनू अपने टूटे हुए दिल के साथ वर्षों तक रेगिस्तान में घूमता रहता है और लैला के प्रति अपने प्यार के बारे में कविताएँ लिखता रहता है। कई वर्षों के बाद, लैला के बूढ़े पति की मृत्यु हो जाती है, और वह मजनूं के साथ फिर से एक हो जाती है। हालाँकि, उनकी ख़ुशी अधिक समय तक नहीं टिकती, क्योंकि लैला जल्द ही बीमार पड़ जाती है और उसकी मृत्यु हो जाती है। इसके कुछ ही समय बाद लैला की मौत से दुखी मजनूं की भी मौत हो जाती है। लैला और मजनूं की कहानी का अंत दुखद होता है, लेकिन यह प्रेम और समर्पण की एक प्रेरणादायक कहानी भी है। इसे सदियों से कई बार लिखा और दोहराया गया है, और यह आज भी लोकप्रिय है।
चलिए अब बढ़ते हैं, फारस की दूसरी और तीसरी सबसे लोकप्रिय प्रेम कहानी की ओर……
खोसरो और शिरीन तथा शिरीन और फरहाद (Khosrow and Shirin and Shirin and Farhad): खोसरो और शिरीन भी निज़ामी गंजवी द्वारा लिखित एक अन्य प्रसिद्ध प्रेम कहानी या कविता है। निज़ामी को व्यापक रूप से फ़ारसी साहित्य में सबसे महान रोमांटिक (Romantic) महाकाव्य कवि माना जाता है, जिन्होंने बोलचाल और यथार्थवादी शैली का परिचय देकर फ़ारसी महाकाव्य में नई जान फूंक दी थी। आज उनकी विरासत भारत, ईरान, अफगानिस्तान, अजरबैजान और ताजिकिस्तान में भी साझा की जाती है। गंजवी के द्वारा लिखित खोसरो और शिरीन, में फारस के राजा “खोसरो द्वितीय” और अर्मेनियाई राजकुमारी “शिरीन” के बीच की प्रेम कहानी बताई गई है।
यह कहानी फ़ारसी संस्कृति में खूब प्रसिद्ध है और इसे कई अलग-अलग तरीकों से बताया जाता है। मूल कहानी के अनुसार फारस में खोसरो नामक एक राजकुमार था, जिसे अपने पिता का राज्य विरासत में मिलने वाला था! एक बार वह अपने सपने में देखता है कि उसके दादा उसे राज्य, एक शक्तिशाली घोड़ा और शिरीन नाम की एक सुंदर पत्नी देने का वादा करते हैं। इस सपने से प्रेरित होकर, खोसरो, शिरीन से मिलने के लिए तरस जाता है। इसी बीच खोसरो का एक मित्र “शापुर” उसे अर्मेनियाई रानी और उसकी भतीजी शिरीन के बारे में बताता है। खोसरो को शिरीन से मिलने से पहले ही शापुर द्वारा बताए गए उसके हुलिए से प्यार हो जाता है। वहीँ खोसरो के बारे में सुनकर शिरीन को भी उससे प्यार हो जाता है और वह अपने सपनों के राजकुमार से मिलने के लिए आर्मेनिया से भागने का फैसला करती है। इस बीच, खोसरो के पिता उससे क्रोधित हो जाते हैं, जिसके बाद खोसरो भी शिरीन की तलाश में उसके देश आर्मेनिया की ओर भागने लगता है। रास्ते में खोसरो का सामना एक तालाब में नहाती हुई एक युवती से होता है। वह युवती शिरीन ही होती है, लेकिन दोनों में से कोई भी एक दूसरे को पहचान नहीं पाता है! आर्मेनिया पहुंचने पर खोसरो को खबर मिलती है कि शिरीन उसके ही देश फारस के लिए रवाना हो गई है।वह शापुर को उसे लाने के लिए भेजता है, लेकिन आर्मेनिया लौटने पर उसे पता चला कि शिरीन फिर से चली गई है। इस बीच, खोसरो को आर्मेनिया में ही अपने पिता की मृत्यु की खबर मिल जाती है, इसलिए वह घर वापस आ जाता है।
लेकिन जब शिरीन वापस आर्मेनिया पहुंचती है, तो उसे यह पता चलता है कि खोस्रो एक बार फिर से अपने देश चला गया है। लेकिन बड़ी ही जद्दोजहद के बाद आख़िरकार दो प्रेमियों का मिलन हो ही जाता है। हालांकि इसी बीच बहराम चोबिन (Bahram Chobin) नामक जनरल खोसरो के राज्य पर कब्ज़ा कर लेता है! यह सुनकर शिरीन, खोसरो से तब तक शादी करने से इनकार कर देती है जब तक कि वह अपना सिंहासन वापस नहीं ले लेता।
इसके बाद खोसरो अपने राज्य को हासिल करने के लिए कॉन्स्टेंटिनोपल (Constantinople ) के सम्राट सीज़र (Caesar ) से समर्थन मांगने के लिए कॉन्स्टेंटिनोपल की यात्रा पर चला जाता है। लेकिन सीज़र केवल इस शर्त पर उसकी मदद करने के लिए सहमत होता है कि खोसरो उसकी बेटी मरियम से शादी करेगा। सीज़र की मदद से, खोसरो अपना सिंहासन वापस पाने में सफल हो जाता है और सहमति के अनुसार मरियम से शादी कर लेता है। लेकिन इसी बीच शिरीन को आर्मेनिया में ही फरहाद नाम के एक मूर्तिकार से प्यार हो जाता है!
 यह देखने के बाद खोसरो, फरहाद के प्रति ईर्ष्या से भर जाता है। वह फरहाद से छुटकारा पाने के लिए एक योजना बनता है। चूंकि वह एक राजा है, इसलिए वह फरहाद को दूर देश में एक पहाड़ से सीढ़ियां बनाने के लगभग असंभव मिशन पर भेज देता है। जब फरहाद वहां पहुचता है तो खोसरो उसे शिरीन की मौत की झूठी खबर दे देता है। यह समाचार सुनकर, फरहाद उसी पहाड़ी से कूद जाता है, और वहीँ पर उसकी मृत्य हो जाती है। फरहाद की मृत्यु की खबर सुनकर शिरीन बहुत दुखी और क्रोधित हो जाती है! इसलिए वह खोसरो से बदला लेने की योजना बनाती है। वह उसकी पत्नी मरियम को जहर देने की व्यवस्था करती है, जिससे खोसरो के साथ उसकी शादी का रास्ता साफ हो जाता है।
हालांकि, धीरे-धीरे मरियम और खोसरो का बेटा शिरोयेह बड़ा हो जाता है और उसे शिरीन से ही प्यार हो जाता है। लेकिन शिरीन के साथ अपने ही पिता खोसरो के प्रेम संबंध से क्रोधित होकर, शिरोयेह, खोसरो की हत्या करा देता है! इसके बाद वह जबरन शिरीन और अपनी शादी कराने की कोशिश करता है। लेकिन शिरीन, शिरोयेह की मांगों को मानने को तैयार नहीं होती है और आखिर में वह भी अपनी जान ले लेती है। शिरीन की दुखद कहानी को भारत, पाकिस्तान, ईरान और तुर्की में फिल्मों और नाटकों में भी रूपांतरित किया गया है। इन रूपांतरणों में, सबसे प्रसिद्ध 1950 के दशक का भारतीय संस्करण है, जिसमें तलत महमूद के गाने शामिल हैं! इसके अलावा इस कहानी का 1970 के दशक का पाकिस्तानी संस्करण भी खूब लोकप्रिय हुआ, जिसमें मोहम्मद अली और ज़ेबा ने अभिनय किया था! इसमें ख्वाजा खुर्शीद अनवर ने संगीत दिया था, जिसमें उनके द्वारा गाया गया लोकप्रिय गीत "इश्क मेरा दीवाना'' भी शामिल था।

संदर्भ
https://tinyurl.com/224fmvbr
https://tinyurl.com/3w6rskbe
https://tinyurl.com/bdnkp7w4
https://tinyurl.com/4u4c8xsj
https://tinyurl.com/8ns2zfcw

चित्र संदर्भ
1. घोड़े पर सवार शिरीन को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
2. लैला और मजनूं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. अकेले बैठे मजनू को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. खोसरो और शिरीन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. स्नान करती शिरीन के पास से गुजरते खोसरो को दर्शाता एक चित्रण ( PICRYL)
6. शिरीन और घोड़े को अपने कन्धों पर उठाये फरहाद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)