क्या पारंपरिक मैकडैम सड़कें, रामपुर से नैनीताल राजमार्ग पर गड्ढों से निजात दिला पाएगी?

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क्या पारंपरिक मैकडैम सड़कें, रामपुर से नैनीताल राजमार्ग पर गड्ढों से निजात दिला पाएगी?

पक्की सड़कें बनाने का पारंपरिक तरीका 18वीं शताब्दी से प्रारंभ हुआ, जिसे "मैकडैम" (Macadam) कहा जाता है। ‘मैकडैम’ एक प्रकार की सड़क निर्माण विधि है जो 1820 के आसपास स्कॉटिश इंजीनियर (Scottish engineer) जॉन लाउडन मैकएडम (John Loudon McAdam) द्वारा शुरू की गयी थी, जिनका जन्म 1756 में आयर, स्कॉटलैंड(Ayr, Scotland) में हुआ था। जिसमें कुचले हुए पत्थर को उथले स्थान पर लगाया जाता है।
मैकडैम सड़कों पर धूल एक गंभीर समस्या बन गयी थी; इसलिए बिटुमिनस मैकडैम विधि को पेश किया गया। 15 जनवरी 1816 को, वह ब्रिस्टल टर्नपाइक ट्रस्ट (Bristol Turnpike Trust) में सड़कों के सर्वेक्षक जनरल चुने गए, जिसमें उन्‍होंने 149 मील लंबी सड़क का निरीक्षण किया । इसके बाद उन्होंने सड़क निर्माण के बारे में अपने विचारों को व्यवहार में लाया, इनकी विधि का पहला 'मैकाडामाइज्ड' (macadamized) उदाहरण, एश्टनगेट, ब्रिस्टल(Ashton Gate, Bristol) में मार्श रोड (Marsh Road) है। टेलफ़ोर्ड(Telford) और उस समय के अन्य सड़क निर्माताओं के विपरीत, मैकएडम ने अपनी सड़कों को लगभग समतल बनाया। इनकी 30 फुट चौड़ी (9.1 मीटर) सड़कें, किनारों से केंद्र तक 3 इंच (7.6 सेमी) ऊंची होती थी। इस विधि ने सड़क में जल निकासी की उचित व्‍यवस्‍था की और आसानी से घुमावदार सड़कें बनाई गयी।
मैकएडम के सड़क निर्माण सिद्धांत में पत्थरों का आकार निर्धारित था। पत्‍थरों की जांच के बाद उन्‍हें सड़क पर बिछाया जाता था।एक कारीगर स्वयं पत्थर के आकार की जांच कर सकता था। मैकएडम का मानना ​​था इन पत्‍थरों को सही आकार, कारीगर द्वारा सड़क पर बैठकर हथौड़े से तोड़कर दिया जा सकता है।उन्होंने यह भी लिखा कि सड़क की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करेगी कि पत्थरों को फावड़े से कितनी सावधानी से सतह पर फैलाया जाता है। मैकएडम ने निर्देश दिया कि ऐसा कोई भी पदार्थ सड़क में प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए जो पानी को अवशोषित कर ले और न ही पत्‍थरों पर कुछ बिछाया जाना चाहिए।सड़क पर यातायात प्रारंभ होने के बाद टूटा हुआ पत्थर अपने कोणों से जुड़कर एक समतल, ठोस सतह में विलीन हो जाएगा जो मौसम या यातायात के लिए अनुकूल हो जाएगा। अपने सड़क-निर्माण अनुभव के माध्यम से, मैकएडम ने सीखा था कि टूटे हुए कोणीय पत्थरों की एक परत एक ठोस द्रव्यमान के रूप में कार्य करती है। सतह के पत्थरों को पहिए की चौड़ाई से कम रखने पर यातायात सुगम्‍य हो जाता है। मैकएडम की प्रसिद्धि उनके प्रभावी और किफायती निर्माण के कारण है, जो उनकी पीढ़ी द्वारा उपयोग की जाने वाली विधियों की तुलना में एक बड़ा सुधार था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सड़कों का निर्माण किसी भी प्रकार के यातायात के लिए किया जा सकता है, और उन्होंने सड़कों पर बढ़ते यातायात के प्रति यात्रियों की नाराजगी को कम करने में मदद की। उनकी विरासत प्रभावी सड़क रखरखाव और प्रबंधन की सिफारिश करती है। उन्होंने प्रशिक्षित पेशेवर अधिकारियों के साथ एक केंद्रीय सड़क प्राधिकरण की वकालत की।
लेकिन यह मैकडैम सड़कों का अविष्‍कार ऑटोमोबाइल(automobile) के आविष्कार से पहले का है। मैकडैम सड़कों पर होने वाली वाली धूल, ऑटोमोटिव यातायात के लिए एक बड़ी समस्‍या है। यहां तक कि हमारे रामपुर से रुद्रपुर, रुद्रपुर से पंतनगर/नैनीताल राजमार्ग जैसी भारी यातायात वाली सड़कों पर अभी भी बरसात के मौसम में गड्ढे हो जाते हैं। रुद्रपुर-नैनीताल राजमार्ग (NH-87) पर 9 किमी लंबा मार्ग है, पंतनगर में सैकड़ों श्रमिकों इससे होकर गुजरते हैं। मैकडैम आधारित सड़कें 4 प्रकार की होती हैं और सबसे प्रभावी और व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली सड़कें हैं - "टार बिटुमेन मैकडैम" (Tar bitumen Macadam)। मानसून की शुरुआत के बाद भारत की सड़कों और गलियों में गड्ढों का बनना एक आम बात है। गड्ढों को जल्दी और प्रभावी ढंग से भरने की कई ज्ञात तकनीकें हैं। अक्सर, गड्ढों की मरम्मत पुरानी तकनीकों जैसे गड्ढों में मिट्टी डालकर की जाती है क्योंकि मानसून के दौरान कोई गर्म मिश्रण डामर उपलब्ध नहीं होता है। एक किफायती, सामान्य, रेडीमेड स्टॉक पाइल कोल्ड पैचिंग(Readymade Stockpile Cold Patching) मिश्रण प्रस्तावित किया गया है। इस सामान्य मिश्रण को गड्ढे को तैयार करने की गतिविधियां जैसे कि सुखाना, किनारों को चौकोर करना, सफाई करना और कील कोटिंग करना, किए बिना रखा जा सकता है।
इस पैचिंग मिक्स को यूएस स्ट्रैटेजिक हाईवे रिसर्च प्रोग्राम (एसएचआरपी) (US Strategic Highway Research Program (SHRP)) के तहत आयोजित राष्ट्रव्यापी क्षेत्र मूल्यांकन अनुसंधान परियोजना में रेडीमेड बिटुमिनस पैचिंग मिक्स(Readymade Bituminous Patching Mix) श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ विकल्‍प के रूप में चुना गया था। चूंकि वह अध्ययन विभिन्न जलवायु परिस्थितियों (गर्म और गीले सहित) वाले क्षेत्रों में किया गया था, इसलिए यह माना जाता है कि यह पैचिंग मिश्रण भारत में भी समान रूप से सफल होगा। मानसून के दौरान राजस्थान में इस मिश्रण का हालिया क्षेत्रीय परीक्षण अत्यधिक सफल रहा है। मिश्रण को भंडारित किया जा सकता है और यह कम से कम 6 महीने तक उपयोग योग्य रहता है और इसलिए, इसका उपयोग बरसात के मौसम सहित पूरे वर्ष किया जा सकता है। कभी-कभी पेनेट्रेशन मैकडैम (penetration macadam) के दृष्टिकोण का उपयोग किया जाता है। गड्ढे के तल पर एक चिपचिपा कोट लगाया जाता है। गड्ढे में पत्थर की एक परत बिछा दी जाती है। पत्थर की परत पर बिटुमिनस बाइंडर (Bituminous binder) लगाया जाता है और फिर पत्थर की एक और परत लगाकर जमा दी जाती है। पेनेट्रेशन मैकडैम पानी के लिए बेहद छिद्रदार होता है और बारिश होने पर पानी से संतृप्त हो जाता है। यहां तक कि जब सड़क को हॉटमिक्स से दोबारा बनाया जाता है, तो साल-दर-साल उसी स्थान पर गड्ढे फिर से विकसित हो जाते हैं।

संदर्भ:
http://surl.li/oadpd
http://surl.li/oadph
http://surl.li/oadpo
http://surl.li/oadpr

चित्र संदर्भ
1. सड़क में बने विशाल गड्ढे को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
2. बिटुमिनस मैकडैम विधि से निर्मित हो रही सड़क को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. टार बिटुमेन मैकडैम विधि से निर्मित हो रही सड़क को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. भारत में सड़क निर्माण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. सड़क के डामरीकरण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)