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साल के आखिरी और नए साल के पहले महीने में जब सर्दी अपने चरम पर होती है तब उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में कोहरे की घनी चादर छा जाती है। न्यूनतम औसत तापमान 6-9 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। वहीं कोहरे के कारण हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में दृश्यता घटकर 200 मीटर तक रह जाती है। कुछ हिस्सों में तो इतना घना कोहरा छा जाता है कि दृश्यता 50 मीटर से भी कम हो जाती है। कोहरे के कारण स्थानीय निवासियों और यात्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं।
कोहरा मुख्य रूप से परिवहन सेवाओं को अत्यधिक प्रभावित करता है, जिसके कारण कई बार हवाई उड़ानें और ट्रेनें रद्द हो जाती हैं या उनमें देरी हो जाती है। रेल एवं हवाई सेवाओं के रद्द होने या विलंब से चलने के कारण इन क्षेत्रों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। सड़कों पर घना कोहरा होने से दृश्यता कम होने के कारण दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। जिसके फलतः आर्थिक नुकसान के साथ साथ मानवीय हानि अत्यधिक पीड़ादायक बन जाती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2011 से 2016 तक कोहरे के कारण अकेले दिल्ली हवाई अड्डे पर ही लगभग 3.9 बिलियन अमरीकी डालर का नुकसान हुआ था।
कोहरा कृषि और स्वास्थ्य सेवा जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इस बार भी दिसंबर और जनवरी माह में अत्यधिक ठंड और घने कोहरे के कारण देश की राजधानी दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में परिवहन सेवाओं के देरी से चलने या रद्द होने के कारण बड़े पैमाने पर यात्रा अव्यवस्था उत्पन्न हो गई। खराब दृश्यता के कारण दिल्ली में 100 से अधिक उड़ानें और 25 ट्रेनें देर से चलीं। जिसका प्रभाव न केवल उत्तर भारत में बल्कि संपूर्ण देश में देखने को मिला। धुंध की घनी चादर के कारण सड़क यातायात भी अत्यधिक प्रभावित हुआ और कुछ इलाकों से दुर्घटनाओं की खबरें भी सामने आई।
कोहरे के कारण सीमित दृश्यता के चलते भारतीय रेलवे को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खराब दृश्यता और सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित होती है। कोहरे से प्रभावित क्षेत्रों में ट्रेनों पर गति प्रतिबंध लगाना पड़ता है, जिसके कारण रेलगाड़ियाँ अपने गंतव्य पर देरी से पहुँचती हैं और अक्सर असामान्य देरी के कारण वापसी यात्रा के लिए उन्हें पुनर्निर्धारित करना पड़ता है या रद्द करना पड़ता है।
इसके अलावा धीमी गतिशीलता और पथ बाधाओं के कारण ट्रेनों के असामान्य देरी से चलने से काम के घंटों की लंबी अवधि के कारण चालक दल की कमी, रेक असंतुलन, समय सारणी में बदलाव आदि जैसी अन्य समस्याएं अलग से खड़ी हो जाती हैं। ट्रेनों के निर्धारित समय से देरी से चलने के कारण प्रमुख टर्मिनलों के प्लेटफार्मों पर प्रतीक्षारत यात्रियों की भारी भीड़ जमा हो जाती है और यात्रियों के लिए खानपान संबंधी कठिनाइयाँ उत्पन्न हो जाती है। इसके साथ ही निर्धारित समय पर एक ट्रेन की आवाजाही पूरी न होने पर अन्य ट्रेनों की आवाजाही बाधित होती है जिससे संसाधनों का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता है, फलतः आर्थिक बोझ पड़ता है।
कोहरे के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेन संचालन के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाए गए हैं। भारतीय रेलवे का उत्तर मध्य रेलवे (North Central Railway (NCR) विभाग दृश्यता बहुत कम होने पर भी वैश्विक स्थिति निर्धारण प्रणाली (Global Positioning System (GPS) के आधार पर चालक दल को सिग्नल स्थान के बारे में चेतावनी देने के लिए सभी इंजनों पर कोहरे-सुरक्षित उपकरण स्थापित करने की तैयारी में है, ताकि सिग्नल को नजरअंदाज करने की संभावना कम हो सके।
इसके तहत वर्ष 2022 तक प्रयागराज मण्डल में 850 उपकरण, झाँसी मण्डल में 558 उपकरण तथा आगरा मण्डल में 376 उपकरण उपलब्ध कराये जा चुकें हैं। सभी लाइन गश्त करने वाले कर्मचारियों को GPS आधारित अनुवर्तन प्रणाली भी प्रदान की गई हैं ताकि गश्त की प्रभावशीलता और गति को दोबारा जांचा जा सके। कोहरे के दौरान दो स्टेशनों के बीच ट्रेनों की संख्या सीमित करने के लिए स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली को संशोधित स्वचालित प्रणाली में परिवर्तित करने के लिए इन GPS ट्रैकर्स का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा बेहतर दृश्यता के लिए सभी सावधानी बोर्ड, सीटी बोर्ड आदि पर रेट्रो परावर्तक लेपन (retro reflective coating) भी किया गया है। कोहरे के दौरान दृश्यता कम होने की स्थिति में चालक दल को मार्गदर्शन में आसानी के लिए नियमित अंतराल पर आने वाले सिग्नल के लिए ट्रैक पर चूने के निशान भी लगाए गए हैं।
इसके साथ ही स्टेशन क्षेत्र और उसके आसपास कोहरे की गंभीरता का आकलन करने के लिए स्टेशन मास्टरों द्वारा दृश्यता परीक्षण वस्तु (Visibility Test Object (VTO) का उपयोग किया जा रहा है। कम दृश्यता की समस्या से निपटने के लिए लोको पायलटों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। गहन प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से उन्हें उस समय ट्रैक पर मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ट्रेन की गति को नियंत्रित करने के लिए अपनी बुद्धि और निर्णय की भावना को लागू करने के लिए संवेदनशील बनाया जाता है।
रेलवे प्रशासन द्वारा तो कोहरे के दौरान सुरक्षित परिवहन के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। लेकिन सड़क पर वाहन चलाते समय सुरक्षा उपायों को अपनाना हमारी अपनी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी है।
सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों से पता चला है कि घने कोहरे में गाड़ी चलाना सबसे अधिक खतरनाक होता है। यह आंखों पर पट्टी बांधकर गाड़ी चलाने जैसा है। अतः कोहरे में गाड़ी चलाते समय बेहद सावधानी बरतनी चाहिये।
कोहरे में गाड़ी चलाते समय नीचे दिए गए कुछ बिंदुओं को सदैव याद रखें:
1. कोहरे में वाहन चलाते समय गति कम रखें और हेडलाइट जला लें।
2. हेडलाइट को हमेशा लो बीम मोड पर रखें, ताकि आप सड़क ठीक से देख सकें। कोहरे में हाई बीम मदद नहीं करती क्योंकि
3. कोहरे के आर-पार नहीं देखा जा सकता।
4. यदि आपके वाहन में फॉग लैंप हैं तो उन्हें चालू करें।
5. सुनिश्चित करें कि सड़क पर अन्य वाहन चालक आपके वाहन को देखने में सक्षम हैं। इसके लिए कोहरे के दौरान अपने फॉग लैंप और पार्किंग लाइट हमेशा चालू रखें।
6. डीफ़्रॉस्टर और विंडस्क्रीन वाइपर का उपयोग करें।
7. वाहनों के बीच हमेशा सुरक्षित दूरी रखें।
संदर्भ
https://shorturl.at/osuvA
https://shorturl.at/BILT7
https://shorturl.at/isGWY
https://shorturl.at/dnEG0
चित्र संदर्भ
1. कोहरे के बीच चल रही ट्रेन को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
2. सड़क में लगे घने कोहरे को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
3. ट्रेन का इंतजार करती महिला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. वैश्विक स्थिति निर्धारण प्रणाली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. कोहरे में चल रही गाड़ी को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)