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‘तितली’, यह शब्द सुनकर ही मन प्रसन्न हो जाता है। यह एक खूबसूरत जीव है। बचपन में, आपने तितलियों का पीछा अवश्य किया होगा, सोचिए अगर तितलियां न होती तो क्या होता ? आपको बता दें कि स्वस्थ तितलियों की आबादी बेहतर पर्यावरणीय परिस्थितियों का संकेतक है। तितलियां परागण, खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, प्रदूषण रोकने हेतु कीटनाशकों का उपयोग, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन तितलियों के अस्तित्व के लिए खतरा साबित हो रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) का कहना है कि दुनिया की 75% कृषि के लिए परागण आवश्यक है, जो तितलियों से संभव है। आपको बता दें कि फूलों के परागण में तितलियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है कुछ फूल तो विशेष रूप से तितलियों द्वारा ही परागित होते हैं।
तितलियां लंबी दूरी तय करने में सक्षम होती है और फूलों के पौधों में पराग को समान मात्रा में फैला देती है। भोजन की खोज करते समय तितलियां बड़े फूलों के मकरंद का सेवन करती है और तभी उनके पैरों और शरीर पर पराग इकट्ठा हो जाता है, तब वही पराग वह दूसरे फूलों में ले जाती है, जिससे अन्य फूल परागित हो जाते हैं। कई पौधों की प्रजातियां, जिनमें सेब से लेकर कॉफी तक शामिल है, परागण के लिए तितलियों पर निर्भर करती हैं। यदि धरती से तितलियां गायब हो जाती हैं, तो इसके परिणाम इनकी कृषि के प्रतिकूल होंगे, औरये प्रजातियां पुनरुत्पादन करने में असमर्थ हो जाएंगी।
‘प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ’ (International Union for Conservation of Nature (IUCN) द्वारा भारत में किए गए एक प्राणी सर्वेक्षण के अनुसार, अनुसार, देश में तितलियों की 1,318 प्रजातियाँ हैं, जिनमें से 35 प्रजातियाँ गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि तितलियों की आबादी पर मानव गतिविधि और जलवायु परिवर्तन का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है, लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है? क्या आप जानते हैं ?
मानव निरंतर अपनी दिनचर्या में ऐसी गतिविधि कर रहे हैं जिससे तितलियों को क्षति पहुंच रही है। फसलों एवं फूलों की सुरक्षा के नाम पर कीटनाशक का प्रयोग, बढ़ता प्रदूषण एवं तस्करी इनके वजूद को खत्म कर रहा है। आए दिन हमें यह खबर सुनने को मिल ही जाती है कि देश-विदेश में तितलियों की तस्करी कर भारी दामों में बेचा जा रहा है।
तितलियों को गहनों एवं सजावट के सामान के तौर पर, फोटो फ्रेम में बंद कर दीवारों पर सजाने के लिए एवं कानों में गहने की तरह इस्तेमाल करने के लिए पकड़ कर या मार कर तस्करी किया जाता है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) के अंतर्गत तितलियों को पकड़ना, मारना एवं इसकी तस्करी करना कानूनन जुर्म है। मानव गतिविधियों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन भी तितलियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है एवं उनके आकार को कम करता है। शोधकर्ताओं ने एक लैब अध्ययन में ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी परिस्थितियां उत्पन्न करके पता लगाया गया कि ग्लोबल वार्मिंग की अधिक या कम स्थिति में , प्रत्येक परिदृश्य के लिए तितलियां स्वयं को कैसे अनुकूलित करेंगी? दुर्भाग्य से, शोधकर्ताओं ने पाया कि वार्मिंग के कारण वातावरण जितना अधिक गर्महोगा , तितलियों का आकार उतना ही कम होता जाएगा ।
इसका मतलब यह है कि उनके पंख भी छोटे हो जाएंगे और छोटे पंख होने की वजह से ये तितलियां बड़ी दूरी तक उड़ान भरने में असमर्थ हो जाएंगी । यदि तितलियां आकार में छोटी हो जाएंगी, तो वे पर्याप्त मात्रा में फूलों के बीच पराग को फैलाने में असमर्थ हो जाएंगी, नतीजतन, भोजन की पैदावार कम होगी, और अंततः वैश्विक भोजन की कमी हो जाएगी । यह हमारे पारिस्थितिकी संतुलन के लिए खेद की बात है।
बाग- बगीचे, खेत -खलिहान व घर- आंगन के पास लगे फूलों पर मंडराने वाली तितलियां अगर विलुप्त हो गई तो पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ जाएगा, साथ ही हम अपनी तितली जैसी विरासत को खो देंगे। तितलियां खास तरह के पौधों पर ही अंडे देती है इन कारणों से ही अगर तितलियों के वास स्थल समाप्त हो गए तो अंडे देने की प्रक्रिया बाधित हो जाएगी और इनका वजूद भी धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा।
संदर्भ
https://bit.ly/3IMFNea
https://bit.ly/3ZGSMUM
https://bit.ly/3QL6lyh
चित्र संदर्भ
1. फूल पर बैठी तितली को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. फूलों का रस लेती तितली को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. फील्ड म्यूज़ियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री के संग्रह में विलुप्त ग्लूकोप्सिस ज़ेरस तितली के नमूने को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. तितलियों की शाखा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)