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लगभग 40,000 साल पहले, “ऊपरी पुरापाषाण काल” के दौरान इंसान, जर्मनी (Germany) के स्वाबियन जुरा क्षेत्र (Swabian Jura Region) में रहा करते थे। ये लोग छोटे समूहों में रहते थे और विशाल घोड़ों, बाइसन (Giant Bison) और बारहसिंगा जैसे जंगली जानवरों का शिकार करते थे। ऊपरी पुरापाषाण काल (Upper Paleolithic Period), या ऊपरी पुराना पाषाण युग, पाषाण युग का अंतिम काल था। यह लगभग 50,000 से 12,000 वर्ष पूर्व तक चला।
इस समय तक, इंसानों ने अधिक परिष्कृत उपकरण और प्रौद्योगिकियाँ विकसित करना शुरू कर दिया था।आधुनिक मानव, जिन्हें होमो सेपियन्स (Homo Sapiens) के नाम से भी जाना जाता है, पहली बार लगभग 300,000 साल पहले अफ्रीका में दिखाई दिए थे। लंबे समय तक, उनकी जीवनशैली में कोई भी बदलाव नहीं आया था। लेकिन करीब 50,000 साल पहले इसमें एक बड़ा बदलाव देखा गया। दरसल अब मनुष्य ने विभिन्न प्रकार के औजारों और वस्तुओं का निर्माण करना शुरू कर दिया था। यही वह समय था जब, इंसान अफ्रीका को छोड़कर एशिया और यूरोप (Asia And Europe) जैसे दुनिया के अन्य हिस्सों में जाकर बसने लगे थे। इस दौरान इंसान एक ही स्थान पर संगठित क्षेत्र बनाकर रहने लगे थे।
चूंकि एक साथ रहने के कारण अब उनका काम बट चुका था इसलिए, इंसानों ने कलात्मक प्रयासों में गुफा चित्रों और हड्डियों या हाथीदांत पर नक्काशी करना भी शुरू कर दिया। लगभग 50,000 साल पहले, मनुष्यों ने प्रक्षेप्य बिंदु (Projectile Points), उत्कीर्णन उपकरण (Engraving Tools), चाकू ब्लेड (Knife Blades), और ड्रिलिंग (Drilling) यानी छेदने वाले उपकरण बनाना भी शुरू कर दिया। इनमें से प्रत्येक उपकरण का एक विशिष्ट उद्देश्य होता था।
यदि हम इंसानों द्वारा निर्मित कला के सबसे पुराने नमूनों की बात करें तो, इसका ख़िताब लोवेनमेंश मूर्ति (Lowenmensch Statue) को दिया जाता है, जिसे हमारे इंसानी पूर्वजों ने लगभग 35,000 से 41,000 वर्ष पहले बना दिया था। दरसल लोवेनमेंश मूर्ति, जिसे होहैनस्टीन-स्टैडल के शेर-आदमी ( Lion-Man Of Hohenstein-Stadel,) के रूप में भी जाना जाता है, हाथी दांत से बनी एक बहुत ही प्राचीन मूर्ति है। इसे कलात्मक प्रतिनिधित्व के सबसे पुराने उदाहरणों में से एक माना जाता है। यह अब तक खोजी गई सबसे पुरानी पुष्ट प्रतिमा भी है।
इसे 1939 में जर्मनी (Germany) की एक गुफा में खोजा गया था। जर्मन में लोवेनमेंश नाम का अर्थ "शेर-व्यक्ति" या "शेर-मानव" होता है। इस शानदार मूर्तिकला को ऊपरी पुरापाषाण काल के दौरान एक चकमक पत्थर के चाकू का उपयोग करके, विशाल हाथी दांत को तराश कर बनाया गया था।
इस दुर्लभ मूर्तिकला की खोज 1939 में होहैनस्टीन-स्टैडल गुफा (Hohlenstein-Stadel Cave) में खुदाई के दौरान भूविज्ञानी ओटो वोल्ज़िंग (Otto Wolzing) द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के ठीक पहले की गई थी। खोजे गए सभी टुकड़ों को एक साथ रखने के बाद, यह प्रतिमा 31.1 सेमी लंबी, 5.6 सेमी चौड़ी और 5.9 सेमी मोटी है। इसकी बाईं भुजा पर सात नक्काशीदार रेखाएं हैं। चूंकि यह खोज द्वितीय विश्व युद्ध के ठीक पहले की गई थी, इसलिए उस समय इस खोज का ठीक से विश्लेषण नहीं किया जा सका था। बाद में, जोआचिम हैन (Joachim Hahn) नाम के एक पुरातत्वविद् ने इसके 200 से अधिक टुकड़ों को एक साथ रखना शुरू कि, जिसके बाद यह मूर्ती शेर-मानव की आकृति का आकार लेने लगी। बाद के वर्षों में, इस मूर्ति के दूसरे टुकड़े भी खोजे गए और इसमें जोड़े गए। 2012 में, इसकी मरम्मत शुरू हुई तथा इस मूर्ति में और भी टुकड़े जोड़े गए, जिससे यह प्रतिमा अधिक ऊंची हो गई। इसका काम 2013 के अंत में पूरा हुआ।
यह मूर्ति, स्टैडेल गुफा के प्रवेश द्वार से लगभग 30 मीटर दूर एक कक्ष में हड्डी के उपकरण, तराशे गए सींग और आभूषणों जैसी अन्य वस्तुओं के साथ पाई गई थी। इस क्षेत्र में एक समान लेकिन छोटी शेर के सिर वाली मानव मूर्ति भी मिली थी।
पुरातत्वविद् निकोलस कोनार्ड (Nicholas Conrad) मानते हैं कि जिन लोगों ने भी ये मूर्तियाँ बनाई, वे एक ही सांस्कृतिक समूह का हिस्सा रहे होंगे। इस मूर्ति और बाद के फ्रांसीसी गुफा चित्रों में भी कई समानताएं नजर आती है। इनमे भी मानव जैसे निचले शरीर और जानवरों के सिर वाले संकर प्राणियों को भी दिखाया गया है। हालाँकि, इस बात पर भी बहस चल रही है कि क्या वाकई में मूर्ति में शेर या मानव-शेर की संकर आकृति को दर्शाया गया है, क्यों कि कुछ लोगों का सुझाव है कि यह एक खड़ा भालू भी हो सकता है।
नतीजा जो कुछ भी निकले लेकिन आज से लगभग 35,000 साल पहले कठोर विशाल हाथी दाँत से इतनी शानदार मूर्ति को तराशना वाकई में एक जटिल और समय लेने वाला कार्य रहा होगा। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके मूल रूप को आकार देने में ही लगभग 200 घंटे और मूर्ति बनाने में कुल 370 घंटे से अधिक का समय लग गया था। इससे पता चलता है कि इसे बनाने वाले कलाकार को शिकार या अन्य कामों को करने के बजाय केवल मूर्ति बनाने का ही काम सौंपा गया होगा। कुल मिलाकर “द लायन मैन” भले ही एक काल्पनिक प्राणी की मूर्तिकला है, जो हमारा ध्यान प्रारंभिक मनुष्यों की आध्यात्मिक दुनिया की ओर आकर्षित करने की कोशिश करती है, लेकिन उनका जटिल विश्व दृष्टिकोण कुछ ऐसा है, जिसे शायद हम कभी भी पूरी तरह से नहीं समझ पाएंगे।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2wfc2hsj
https://tinyurl.com/t3s72z6j
https://tinyurl.com/5n6ftasc
चित्र संदर्भ
1. ‘द लायन-मैन ऑफ़ होलेनस्टीन-स्टैडल " को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia,flickr)
2. ऊपरी पुरापाषाण काल के पत्थर के औजारों को दर्शाता एक चित्रण (
World History Encyclopedia)
3. सामने से देखने पर लायन-मैन स्टैडल को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
4. अधूरी अवस्था में लायन-मैन स्टैडल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. लायन-मैन स्टैडल के सिर को दर्शाता एक चित्रण (getarchive)