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पुराने समय में, सभी क्रिसमस के पेड़ वास्तविक शंकुधारी थे। उन्हें क्रिसमस से पहले काटकर, उनके घरों में पहुंचाया जाता था। हालांकि यह परंपरा अभी भी कई स्थानों पर रहती है। वंश अबीस (Abies) से संबंधित पेड़ सबसे लोकप्रिय क्रिसमस पेड़ हैं। ये तेजी से बढ़ते हैं और अच्छे खुशबूदार और रंग-बिरंगे पत्ते इनमें मौजूद होते हैं। एक अतिरिक्त लाभ यह है कि ये पेड़ सूखने के बाद भी अपने पत्तों को नहीं गिराते हैं। देवदार के पेड़ों के अलावा, क्रिसमस के लिए उपयोग किए जाने वाले अन्य शंकुधारी पेड़ हैं, जैसे जाइन्ट सीकोइया (Giant Sequoia), लीलैंड साइप्रिस (Leyland cypress), पूर्वी जुनिपर (Eastern juniper), आदि। एक क्रिसमस के पेड़ को एक बीज से एक पेड़ में उगने के लिए आवश्यक औसत समय लगभग 8-12 साल होता है। विकास दर पेड़ की प्रजातियों, मिट्टी की गुणवत्ता, मौसम, साथ ही साथ व्यक्तिगत कृषि प्रथाओं पर निर्भर करती है। भारतीय उपमहाद्वीप में प्राकृतिक पेड़ बहुत लोकप्रिय नहीं हैं। यह इस तथ्य के कारण है कि ज्यादातर क्षेत्रों में जलवायु सदाबहार शंकुधारी के विकास के लिए अनुकूल नहीं है।
लखनऊ और दिल्ली के लोगों द्वारा भी पिछले वर्ष शिल्पनिर्मित वृक्षों के बजाए प्राकृतिक वृक्षों का चयन किया गया। वे स्वयं भी इनके प्राकृतिक गुणों को पहचान चुके हैं और शहर के कई परिवारों में क्रिसमस के पेड़ हैं जिनका पालन-पोषण उन्होंने वर्षों से किया है। चूंकि पाइन के पेड़ दिल्ली में उपलब्ध नहीं होते हैं, इसलिए दिल्लीवासी क्रिसमस पर अपने घरों को सजाने के लिए जुनिपर और सरू जैसी किस्मों को लेकर आते हैं। विक्रेताओं का कहना है कि क्रिसमस के लिए अरुकारिया, जुनिपर, सरू और पॉइसेटिया सबसे अधिक बिकने वाले पौधे हैं। वे ये भी बताते हैं कि कुछ साल पहले तक, ज्यादातर विदेशी क्रिसमस के लिए असली पेड़ पसंद करते थे और दिल्ली वाले शिल्पनिर्मित का चयन कर थे।
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