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गंगा नदी भारत की आत्मा कही जाती है। यह केवल एक जलधारा नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की संस्कृति, आस्था और जीवन का आधार है। उत्तर भारत की जीवनरेखा कही जाने वाली यह पवित्र नदी हिमालय की बर्फीली चोटियों से निकलकर लगभग 2,525 किलोमीटर लंबी यात्रा तय करती हुई अंत में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। यह पाँच प्रमुख राज्यों - उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल - से होकर बहती है और इन प्रदेशों की कृषि, पेयजल, उद्योग और पारिस्थितिकी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गंगा का उद्गम गंगोत्री हिमनद के गौमुख से होता है, जहाँ से निकलने वाली धारा को भागीरथी कहा जाता है। देवप्रयाग में जब यह अलकनंदा नदी से मिलती है, तभी इसे “गंगा” नाम प्राप्त होता है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ - धौलीगंगा, पिंडर, मंदाकिनी और भिलंगना - मिलकर इस महान नदी को और भी समृद्ध बनाती हैं। जब गंगा हरिद्वार पहुँचती है, तब यह पर्वतीय इलाकों को छोड़कर विशाल गंगा के मैदानों में उतरती है। हरिद्वार, बिजनौर और नरौरा में बने बाँध इसके जल को नहरों में प्रवाहित करते हैं, जिससे उत्तर प्रदेश के लाखों हेक्टेयर खेतों की सिंचाई होती है।
गंगा का प्रवाह केवल जल का नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के विकास का प्रतीक है। कानपुर और कन्नौज के पास इसमें रामगंगा नदी मिलती है, जबकि प्रयागराज (इलाहाबाद) में यह यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम से त्रिवेणी बनाती है। यह पवित्र स्थल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए पहुँचते हैं, विशेष रूप से कुंभ मेले के दौरान। प्रयागराज के बाद गंगा में उत्तर से आने वाली नदियाँ - घाघरा, गंडक और कोसी - तथा दक्षिण से आने वाली सोन नदी मिलती हैं। ये सहायक नदियाँ गंगा के प्रवाह को और अधिक विस्तृत व शक्तिशाली बनाती हैं। गंगा का बेसिन विश्व के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है और यह भारत की जल आवश्यकताओं का लगभग आधा भाग पूरा करता है।
पश्चिम बंगाल पहुँचते-पहुँचते गंगा का प्रवाह अत्यंत विशाल और गहरा हो जाता है। यहाँ स्थित फरक्का बैराज इसके प्रवाह को नियंत्रित करता है और इसके एक हिस्से को हुगली नदी की ओर मोड़ता है, जिससे कोलकाता का बंदरगाह सक्रिय रहता है। फरक्का के आगे गंगा दो धाराओं में बँट जाती है - दक्षिण की ओर बहने वाली भागीरथी (हुगली) और पूर्व की ओर बहने वाली पद्मा। पद्मा नदी बांग्लादेश में प्रवेश कर ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों से मिलती है और अंततः बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है। गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारतीय जीवन की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धारा है। इसके घाटों पर होने वाली आरती, श्रद्धालुओं का स्नान, और इसके किनारे बसे प्राचीन नगर - ये सब मिलकर इस नदी की जीवंत परंपरा को बनाए रखते हैं। सदियों से यह नदी भारतीय सभ्यता को पोषित करती आई है और आज भी यह देश की आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक एकता का प्रतीक बनी हुई है।
संदर्भ-
https://tinyurl.com/3efnwf9b
https://tinyurl.com/4cemttnt
https://tinyurl.com/32b2jbcx
https://tinyurl.com/rhf7rvyw
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