वैश्वीकरण का भारत के स्टॉक एक्सचेंज पर प्रभाव

अवधारणा I - मापन उपकरण (कागज़/घड़ी)
04-10-2018 01:04 PM
वैश्वीकरण का भारत के स्टॉक एक्सचेंज पर प्रभाव

शेयर बाज़ार एक ऐसा बाज़ार है जहाँ कंपनियों के शेयर खरीदे व बेचे जाते हैं। पहले शेयरों का क्रय-विक्रय मौखिक बोलियों से होता था और खरीदने-बेचने वाले मुंह ज़ुबानी ही सौदे किया करते थे। लेकिन अब यह सारा लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) के नेटवर्क (Network) से जुड़े कंप्यूटरों के ज़रिये होता है। इंटरनेट पर यह सुविधा मिलती है। दरअसल स्टॉक एक्सचेंज ना तो अपने लिए क्रय करता है, और ना ही अपने लिए शेयरों का विक्रय करता है। यह बाजार केवल क्रय-विक्रय की क्रियाओं को नियमित करता है। वर्तमान में भारत में कुल 23 सेबी (Securities and Exchange Board of India (SEBI)) के स्वीकृत स्टॉक एक्सचेंज हैं। स्टॉक मार्केट को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा प्रबंधित और विनियमित किया जाता है।

भारत में सभी स्वीकृत स्टॉक एक्सचेंज के नाम इस प्रकार हैं:

1. उत्तर प्रदेश स्टॉक एक्सचेंज, कानपुर
2. वड़ोदरा स्टॉक एक्सचेंज, वड़ोदरा
3. कोयंबटूर स्टॉक एक्सचेंज, कोयंबटूर
4. मेरठ स्टॉक एक्सचेंज, मेरठ
5. मुंबई स्टॉक एक्सचेंज, मुंबई
6. ओवर द काउंटर एक्सचेंज, मुंबई
7. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, मुंबई
8. अहमदाबाद स्टॉक एक्सचेंज, अहमदाबाद
9. बैंगलुरू स्टॉक एक्सचेंज, बैंगलुरू
10. भुवनेश्वर स्टॉक एक्सचेंज, भुवनेश्वर
11. कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज, कोलकाता
12. कोचीन स्टॉक एक्सचेंज, कोचीन
13. दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज, दिल्ली
14. गुवाहाटी स्टॉक एक्सचेंज, गुवाहाटी
15. हैदराबाद स्टॉक एक्सचेंज, हैदराबाद
16. जयपुर स्टॉक एक्सचेंज, जयपुर
17. कानारा स्टॉक एक्सचेंज, मैंगलोर
18. लुधियाना स्टॉक एक्सचेंज, लुधियाना
19. चेन्नई स्टॉक एक्सचेंज, चेन्नई
20. मध्य प्रदेश स्टॉक एक्सचेंज, इंदौर
21. मगध स्टॉक एक्सचेंज, पटना
22. पुणे स्टॉक एक्सचेंज, पुणे
23. कैपिटल स्टॉक एक्सचेंज केरल लिमिटेड, तिरुवनंतपुरम, केरल

जुलाई 9, 2007 को सेबी ने सुस्त कामकाज के कारण सौराष्ट्र स्टॉक एक्सचेंज, राजकोट की मान्यता रद्द कर दी थी जिसके कारण अब सक्रिय स्टॉक एक्सचेंज की संख्या घटकर 23 हो गई है।

आज कल आप आये दिन समाचारों में वैश्विक बाजारों के भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर के बारे में सुनते रहते होंगे। तो आपके दिमाग में यह सवाल जरुर उठता होगा कि वैश्विक बाजारों का असर हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ता है? भला क्यों कुछ भारतीय निवेशक वैश्विक बाजारों पर, खास तौर से अमेरिकी बाजारों पर, अपनी नजरें गड़ाए बैठे रहते है? आइये जानते है ऐसा क्यों होता है-

वर्तमान में घरेलू और वैश्विक बाजार एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। घरेलू बाजारों में अल्पकालिक अस्थिरता (शेयर बाजार में वृद्धि या गिरावट) दिखाई दे रही है जो मुख्य रूप से वैश्विक बाजारों में होने वाली घटनाओं द्वारा संचालित होती है। वैश्विक बाजारों में वृद्धि या गिरावट के रुख का असर हम भारतीय शेयर बाजार पर भी साफतौर पर देख सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, संयुक्त राज्य अमेरिका (दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था) में आर्थिक मंदी से संबंधित समाचार, घाटे का अनुमान, फेड रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती, वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, वैश्विक स्तर में उतार-चढ़ाव कच्चे तेल की कीमतें आदि ये कुछ मौलिक कारण हैं जिनसे भारतीय शेयर बाजारों में भी उतार चढ़ाव देखा जाता है।

90 के दशक में उदारीकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजारों में तेजी से उजागर हुई है। हम पिछले कुछ वर्षों से इसमें तेजी से आर्थिक विकास देख रहे हैं और नतीजतन भारत की अर्थव्यवस्था 1 ट्रिलियन अमरिकी डॉलर से अधिक हो गई है और दुनिया की ग्यारहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है। बड़ी संख्या में भारतीय कंपनियां अपने उत्पादों को वैश्विक बाजारों में निर्यात करके, विदेशी स्टॉक एक्सचेंज (एन.वाई.एस.ई. (NYSE), लंदन स्टॉक एक्सचेंज और नैस्डैक (NASDAQ) इत्यादि) पर लिस्टिंग करके धन अर्जित कर रही हैं। विदेशी बाजारों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियों का प्रतिशत हर साल बढ़ रहा है। इसलिए, इन कंपनियों के शेयर मूल्य के विश्व अर्थव्यवस्था में विकास से प्रभावित होने की अधिक संभावना होती है। जिसका सीधा-सीधा असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

जैसा की हमने ऊपर आपको पहले ही बता दिया है कि प्रौद्योगिकी में हो रहे तेजी से विकास ने आज दुनिया भर के विभिन्न बाजारों को इंटरनेट से जोड़ा है और निवेशकों को पूरी दुनिया में किसी भी बाजार में निवेश करने में सक्षम बना दिया है। परंतु इंटरनेट में आई खराबी के कारण निवेशकों को कभी-कभी परेशानियों व हानि का भी सामना करना पड़ जाता है। निवेशकों को समय-समय पर अपने शेयर मूल्यों का आंकलन करना होता है ताकि वे पिछले मूल्यों से तुलना कर सकें और भविष्य में लाभ के अनुमान के आधार पर कुछ शेयर खरीदने या बेचने के फैसले कर सकें।

एक निवेशक के कंप्यूटर नेटवर्क में एल्गोरिदम (गणित, संगणन तथा कंप्यूटर विज्ञान में किसी कार्य को करने के लिये आवश्यक चरणों के समूह को कलन विधि (अल्गोरिद्म) कहते है। गणना, डेटा प्रोसेसिंग और स्वचालित तर्क कार्यों को एल्गोरिदम कर सकते हैं।) के माध्यम से आवश्यक जानकारी मिलीसेकंड में पहुँच जाती है। लेकिन उस डेटा को पहचानने और प्रतिक्रिया देने के बीच के अंतर में ही अरबों का क्रय विक्रय हो जाता है। ऐसे में इंटरनेट में खराबी के कारण उन्हें काफी हानि हो सकती है।

परंतु वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप ही हमारी अर्थव्यवस्था में कई बदलाव/प्रगति देखी गई है। नतीजतन, आज समस्त एशियाई देशों में भारतीय बाजार अपने समकक्षों की तुलना में काफी बेहतर हैं।

संदर्भ:
1.https://www.quora.com/How-many-stock-exchanges-are-there-in-India
2.https://economictimes.indiatimes.com/why-indian-stock-market-is-affected-by-global-economy/articleshow/2677826.cms
3.https://hbr.org/2013/08/will-the-internet-destroy-the
4.https://goo.gl/gyXQ5c
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Algorithm