 
                                            समय - सीमा 268
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                                            मधुमेह एक ऐसी बिमारी है जिसका पता करीब 1500 ईसा पूर्व में चला था तब से लेकर आज तक इस बिमारी के विषय में कई जानकारियाँ मिलीं जिससे इस बिमारी के इलाज में कई क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिले। मधुमेह मेलेटस जिसे की आमतौर पर मधुमेह के रूप में जाना जाता है, शरीर में रहने वाली लंबे समय तक की उच्च रक्त शर्करा के स्तर की विशेषता चयापचय संबंधी विकारों का एक समूह है।
उच्च रक्त शर्करा या मधुमेह के लक्षणों की बात करें तो इसमें बार-बार पेशाब आना, प्यास का बढ़ना और भूख में वृद्धि शामिल है। यदि मधुमेह को अनुपचारित ही छोड़ दिया जाए तो यह कई रोगों का कारक बन जाता है जिसमे मृत्यु हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी रोग, पैर के अल्सर और आंखों को नुकसान शामिल है। आज अर्थात 14 नवम्बर को विश्व मधुमेह जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता। यह दिवस विश्वस्तर पर मनाया जाता है।
 
आइये आज के इस लेख में पढ़ते हैं भारत में मधुमेह के विभिन्न आयामों के बारे में। भारत में आज की तारिख में भारत में करीब 30 मिलियन से अधिक लोगों में मधुमेह का निदान किया गया। शहरी इलाकों में मधुमेह का प्रतिशत करीब 9 फीसद है और वहीँ ग्रामीण इलाकों में करीब 3 फीसद है। अब जैसा की भारत की कुल आबादी करीब 1000 मिलियन से ज्यादा है तो उस हिसाब से यहाँ पर करीब 60 मिलियन मधुमेह से ग्रसित लोग हैं। दिए गए आंकड़े की यदि माने तो यह संख्या विश्व में सबसे अधिक है।
आई जी टी (इम्पेयर्ड ग्लूकोस टोलरेंस) भी भारत में एक बढती हुयी समस्या है यह आंकड़ा करीब 86.7 प्रतिशत शहर में और 7.9 प्रतिशत गाँव में है इस अनुसार यह माना जा सकता है की यह एक बहुत ही बड़ी संख्या है। आंकड़ों में यह भी माना जाता है की करीब 35 फीसद आई जी टी पीड़ित टाइप 2 के मरीज मधुमेह से ग्रसित हो जाते हैं। मधुमेह आज वर्तमान में एक अत्यंत ही बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है। भारत और विश्व के मधुमेह की बात करें तो यह काफी भिन्न है यहाँ पर टाइप 1 का मधुमेह काफी दुर्लभ है और वहीँ टाइप 2 में एक तिहाई रोगी अत्यधिक वजन वाले या मोटे हैं।
 
भारत सरकार ने सन 2010 में कैंसर, मधुमेह, ह्रदय रोग और स्ट्रोक आदि के रोकथाम के लिए कई राष्ट्रीय कार्यक्रमों को शुरू किया। 2017 तक करीब 390 छोटे गैर संचारी केन्द्रों को विभिन्न बीमारियों आदि के गतिविधियों की देख रेख करने के लिए 719 जिलों में खोला गया। यदि अब इसका मतलब यही निकल कर आता है की अब भी आधे से ज्यादा देश में इसकी जरूरत है। यहाँ के अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाएं ना होने के कारण अधिकतर रोगियों को निजी क्षेत्रों में इलाज करने की जरूरत पड़ रही है। जो राज्य उच्च तकनिकी से व्याप्त हैं और चिकित्सा में बेहतर हैं से उच्च स्तर की रिपोर्ट प्राप्त होती है और ये राज्य हैं तमिलनाडु और केरल। भारत में मधुमेह रोग से लड़ने के लिए जो बुनियादी ढांचा चाहिए उसकी कमी परस्पर देखने को मिलती है अतः यह कहा जा सकता है की इस बिमारी से लड़ने के लिए अभी और भी जरूरी कदम उठाये जाने बाकी हैं।

सन्दर्भ:
 
1. https://www.diabetes.co.uk/global-diabetes/diabetes-in-india.html
2. http://mdiabetes.nhp.gov.in/
3. https://www.thelancet.com/journals/langlo/article/PIIS2214-109X(18)30556-4/fulltext
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Diabetes#Prevention
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        