 
                                            समय - सीमा 268
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                                            एक आबादी को किसी क्षेत्र के जीवों की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी व्यक्तिगत क्षेत्र में रहने की सामर्थ्य रखते हैं। इस प्रकरण में हम मनुष्यों की संख्या के बारे में बात कर रहे हैं जो एक शहर या नगर, क्षेत्र, देश या दुनिया में रहते हैं। इस संदर्भ में चलिए जानते हैं विश्व जनसंख्या दिवस किस बारे में है और यह कैसे अस्तित्व में आया। विश्व जनसंख्या दिवस का इस बार का विषय “कोरोनावायरस के चलते दुनियाभर में महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों की सुरक्षा” पर केंद्रित है। वैश्विक जनसंख्या के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास में प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।
 विश्व जनसंख्या दिवस परिवार नियोजन, गोद लेने, लैंगिक समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास में मनाया जाता है। यह लोगों को उन प्रतिकूल प्रभावों के बारे में भी बताता है जो विश्व की नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और समाज के विकास पर बड़े पैमाने पर हो सकते हैं। इस दिवस को सर्वप्रथम 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के शासन परिषद द्वारा स्थापित किया गया था, यह उस दिन को चिह्नित करता है जब 1987 में विश्व की आबादी 5 बिलियन तक पहुंच गई थी। विश्व ने तब से अब तक एक लंबा सफर तय किया है; जुलाई 2020 तक, वॉरलडोमीटर वेबसाइट के अनुसार, विश्व की आबादी 7.8 बिलियन लोगों के साथ सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
विश्व जनसंख्या दिवस परिवार नियोजन, गोद लेने, लैंगिक समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास में मनाया जाता है। यह लोगों को उन प्रतिकूल प्रभावों के बारे में भी बताता है जो विश्व की नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और समाज के विकास पर बड़े पैमाने पर हो सकते हैं। इस दिवस को सर्वप्रथम 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के शासन परिषद द्वारा स्थापित किया गया था, यह उस दिन को चिह्नित करता है जब 1987 में विश्व की आबादी 5 बिलियन तक पहुंच गई थी। विश्व ने तब से अब तक एक लंबा सफर तय किया है; जुलाई 2020 तक, वॉरलडोमीटर वेबसाइट के अनुसार, विश्व की आबादी 7.8 बिलियन लोगों के साथ सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है। 
 वहीं इस वर्ष कोरोनावायरस संकट के चलते विभिन्न अनियोजित गर्भधारण के कारण आने वाले महीनों में जनसंख्या में वृद्धि देखने को मिल सकती है। देश के लॉकडाउन होने की वजह से आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित हो रही है, जिसकी वजह से गर्भ निरोधकों की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। साथ ही एक विवरण के अनुसार, केवल चंडीगढ़, गोवा और दिल्ली एनसीटी राज्यों की जनसंख्या में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। इस विवरण में जनसंख्या के अंतर को प्रस्तुत करने वाले मानचित्र से स्पष्ट संरचना का पता चलता है कि शहरों की आबादी कम हो रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रही है। ग्रामीण आबादी में 7% की वृद्धि हुई जबकि शहरों में उनकी टाइपोलॉजी (Typology) के अनुसार 4% और 11% के बीच की गिरावट आई है।
वहीं इस वर्ष कोरोनावायरस संकट के चलते विभिन्न अनियोजित गर्भधारण के कारण आने वाले महीनों में जनसंख्या में वृद्धि देखने को मिल सकती है। देश के लॉकडाउन होने की वजह से आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित हो रही है, जिसकी वजह से गर्भ निरोधकों की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। साथ ही एक विवरण के अनुसार, केवल चंडीगढ़, गोवा और दिल्ली एनसीटी राज्यों की जनसंख्या में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। इस विवरण में जनसंख्या के अंतर को प्रस्तुत करने वाले मानचित्र से स्पष्ट संरचना का पता चलता है कि शहरों की आबादी कम हो रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रही है। ग्रामीण आबादी में 7% की वृद्धि हुई जबकि शहरों में उनकी टाइपोलॉजी (Typology) के अनुसार 4% और 11% के बीच की गिरावट आई है।चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में भारत की जनसँख्या को भीड़ के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। (Picseql)
दूसरे चित्र में एक बाजार में भीड़ को भारत की जनसँख्या को दिखने के लिए चित्रित किया गया है। (Flickr)
अंतिम चित्र में भारत में जनसँख्या का अनुपातिक चित्रण किया गया है। (Pixabay)
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        