 
                                            समय - सीमा 268
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1036
मानव और उनके आविष्कार 802
भूगोल 264
जीव-जंतु 306
 
                                            जौनपुर के विख्यात शाही पुल का निर्माण अकबर के आदेशानुसार सन् 1568-69 में मुनीम खान द्वारा करवाया गया था। गोमती नदी के पार बनाए गए इस पुल को अफगान वास्तुकार अफजल अली द्वारा डिजाइन किया गया था। मुग़ल कला को वास्तव में इंडो-इस्लामिक कला के रूप में देखा जाता है। यह कला भारतीय और इस्लामिक कला के संयोग को प्रस्तुत करती है। जौनपुर का शाही पुल भी इसी कला पर निर्मित है। इस पुल का स्थापत्य अपने आप में अद्वितीय है। शाही पुल को मुनीम खान पुल या अकबरी पुल भी कहते हैं। यह पुल अकबर के राजस्व से बनाया गया था और फज़ल अली के निर्देशन में तैयार हुआ था।
 
मुगलों के प्रभावशाली स्थापत्य कौशल के उदाहरण इस पुल को खड़ा करने के लिए 15 गुंबदीय स्तंभ बनाये गये थे। इसके रास्ते में छोटे आरामगाह गुंबद बने हैं, जहां लोग आराम करते देखे जा सकते हैं। जौनपुर के शाही पुल पर अंग्रेजी लेखक रूडयॉर्ड किपलिंग(Rudyard Kipling) ने एक अद्भुत् कविता लिखी थी तथा कई विदेशी लेखकों ने इस पुल के बारे में लिखा है। जौनपुर के इस पुल की तुलना एक अंग्रेज जो 19वीं शताब्दी में यहाँ आया था ने लंदन ब्रिज(London Bridge) से की थी।
 
शाही पुल के दक्षिणी छोर पर बौद्ध धर्म के पतन का प्रतिनिधित्व करने वाले एक हाथी के ऊपर चढ़ने वाले प्रभावशाली शेर की प्रतिमा मौजूद है। इतिहासकार अनुमान लगाते हैं कि यह क्षेत्र कभी बौद्धों का गढ़ था, जिसने अंततः ब्राह्मणवाद को रास्ता दिया, जो नदी के किनारे आग से नष्ट हुए बड़े शहरों के स्थलों से स्पष्ट है। दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है कि यह प्रतिमा 7वीं से लेकर 12वीं शताब्दी में उत्तर भारत और मध्य भारत में शासन करने वाले तीन प्रमुख राज वंशों (प्रतिहार, परमार और चंदेल) के रूप में चित्रित की गई होगी।
 1934 के नेपाल-बिहार भूकंप में ये पुल गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके बाद इसके सात मेहराबों का पुनर्निर्माण किया गया। इसके ऐतिहासिक महत्व के अलावा, ये पुल वर्तमान समय में भी उपयोग किया जाता है। यह पुल 1978 से पुरातत्व निदेशालय की संरक्षण सूची में सूचीबद्ध है तथा शाही पुल को आम तौर पर जौनपुर की सबसे महत्वपूर्ण मुगल संरचना के रूप में मान्यता प्राप्त है।
 
1934 के नेपाल-बिहार भूकंप में ये पुल गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके बाद इसके सात मेहराबों का पुनर्निर्माण किया गया। इसके ऐतिहासिक महत्व के अलावा, ये पुल वर्तमान समय में भी उपयोग किया जाता है। यह पुल 1978 से पुरातत्व निदेशालय की संरक्षण सूची में सूचीबद्ध है तथा शाही पुल को आम तौर पर जौनपुर की सबसे महत्वपूर्ण मुगल संरचना के रूप में मान्यता प्राप्त है।
संदर्भ :-
https://en.wikipedia.org/wiki/Shahi_Bridge
https://en.wikipedia.org/wiki/Mughal_architecture
https://www.revolvy.com/page/Shahi-Bridge
https://www.jaunpurcity.in/2013/12/beauty-and-history-of-shahi-bridge.html
चित्र सन्दर्भ: 
मुख्य चित्र में गोमती के ऊपर बंधे शाही पुल को दिखाया गया है। (Prarang)
दूसरे चित्र में शाही पुल का  गोमती से लिया गया चित्र है।(Prarang)
तीसरा चित्र सामने से लिया गया शाही पुल का चित्र है। (Prarang)
चौथे चित्र में गोमती के किनारे से लिया गया चाही पुल का मनोरम दृश्य है। (Prarang)
अंतिम चित्र जौनपुर बाजार की तरफ से  खींचा गया शाही पुल का चित्रण है।(Prarang)
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        