भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर विश्व युद्धों का प्रभाव

औपनिवेशिक काल और विश्व युद्ध : 1780 ई. से 1947 ई.
30-09-2020 03:29 AM
Post Viewership from Post Date to 30- Oct-2020
City Readerships (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
3008 392 0 3400
* Please see metrics definition on bottom of this page.
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर विश्व युद्धों का प्रभाव

1914 में जब विश्व युद्ध हुआ, तो भारत बढ़ती राजनीतिक अशांति की स्थिति में था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक ऐसे समूह के रूप में चल रही थी, जो केवल एक ऐसे निकाय के मुद्दों पर चर्चा करता था, जो अधिक स्व-शासन के लिए जोर दे रहा था। युद्ध शुरू होने से पहले, जर्मनों ने भारत में ब्रिटिश विरोधी आंदोलन को छेड़ने के लिए बहुत समय और ऊर्जा खर्च की थी। कई लोगों ने यह विचार साझा किया कि यदि ब्रिटेन दुनिया में कहीं संकट में पड़ गया, तो भारतीय अलगाववादी इसे अपने उद्देश्य को आगे बढ़ाने के एक अवसर के रूप में इस्तेमाल करेंगे। विश्व युद्धों का औपनिवेशिक शक्तियों पर गहरा प्रभाव पड़ा क्योंकि इसने उनकी अर्थव्यवस्थाओं को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था।
हालाँकि हिटलर ने मानवता के खिलाफ अपराध किए लेकिन उसने ब्रिटेन और फ्रांस की अर्थव्यवस्थाओं को इस हद तक नष्ट कर दिया कि वे अब अपने सैन्य बलों को आर्थिक रूप से बनाए रखने में सक्षम नहीं थे। इसलिए उस समय उनमें भारत में उठने वाले स्वतंत्रता आंदोलनों को दबाने के लिए भी अधिक शक्ति नहीं बची थी। युद्ध के कारण ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी थी, जिससे वित्तीय रूप से ब्रिटेन बहुत पिछड़ चुका था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने न केवल भारत बल्कि 1946 में जॉर्डन, 1947 में फिलिस्तीन, 1948 में श्रीलंका और म्यांमार, 1952 में मिस्र और 1957 में मलेशिया आदि को भी स्वतंत्र किया। युद्ध के तुरंत बाद भारतीय राजनैतिक स्वतंत्रता आंदोलन बहुत तेज़ होने लगे थे। ब्रिटिश प्रशासक (जो भारतीय राज का प्रबंधन कर रहे थे) के पास बढ़ती हुई बाधाओं से निपटने के लिए कोई उपाय भी नहीं था क्योंकि 1939 के बाद भारतीय सिविल सेवा के अधिकांश लोग स्वयं भारतीय थे।
वहीं 1946 में नौसेना में एक विद्रोह हुआ, जिससे सेना में व्यापक असंतोष उत्पन्न होने लगा। इस युद्ध ने अंग्रेजों को भारतीय नेताओं के साथ एक समझौते के लिए मजबूर किया जिसके तहत भारत की आज़ादी का मार्ग सरल हुआ। इसके अलावा, युद्ध के बाद, ब्रिटिशों के पास इतनी पूंजी नहीं थी कि वे अपने उपनिवेशों को बनाए रखें। भारतीय स्वतंत्रता के लिए अमेरिका और ब्रिटेन के बीच हुए समझौते में ‘अटलांटिक चार्टर’ (Atlantic Charter) भी उत्तरदायी है। हालांकि आज़ादी की मांग प्रथम विश्व युद्ध के समय भी की गयी थी जब बड़े पैमाने पर भारतीय उत्पादों और सैनिकों का प्रयोग ब्रिटिश शासकों द्वारा युद्ध में किया गया था किंतु अंग्रेजों के छल से यह सम्भव नहीं हो पाया। किंतु दूसरे विश्व युद्ध के समय देश में आज़ादी के लिए आंदोलन इतना अधिक था कि अंग्रेजों के पास इसे दबाने के लिए न तो पर्याप्त सेना थी और न ही पूंजी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस समय ऐसे मुद्दों पर चर्चा की जो स्वयं की भारतीय सरकार की मांग कर रही थी। भारत ने ब्रिटेन के युद्ध के प्रयासों में बहुत बड़ा योगदान दिया। विश्व युद्ध में लगभग 15 लाख मुस्लिम, सिख और हिंदू पुरुषों ने भारतीय अभियान बल के रूप में स्वेच्छा से भाग लिया, जिनमें से कई अभियान बलों को पूर्वी अफ्रीका में पश्चिमी मोर्चे पर लड़ते हुए देखा गया। इन लोगों में से, लगभग 50,000 शहीद हुए, 65,000 घायल हुए, और 10,000 लापता होने की सूचना दी गई थी, जबकि 98 भारतीय सेना की नर्सों की युद्ध में मृत्यु हुई। देश ने 170,000 पशुओं, 3.7 मिलियन टन की आपूर्ति, सैंडबैग (Sandbags) के लिए जूट, और ब्रिटिश सरकार को एक बड़ा ऋण दिया था। भारत में राष्ट्रीय आंदोलन पर प्रथम विश्व युद्ध के प्रभाव को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है: • ब्रिटिश सरकार ने भारत को सहयोगी और जुझारू घोषित किया क्योंकि इस युद्ध में भारतीय लोगों और संसाधनों का बहुपयोग किया गया था। इस कारण भारतियों में काफी नाराज़गी उत्पन्न हुई। • अंग्रेज़ तुर्की साम्राज्य के खिलाफ लड़ रहे थे जिस पर खलीफा का शासन था। मुसलमानों में खलीफा के लिए बहुत सम्मान था। इस प्रकार ब्रिटिशों के खिलाफ तुर्की की रक्षा के लिए खिलाफत आंदोलन में भारतीय मुसलमान शामिल हुए। • युद्ध के दौरान, किसानों के बीच अशांति भी बढ़ी। इन आंदोलनों ने बड़ी संख्या में आंदोलन को तैयार करने में मदद की। • एनी बेसेंट 1914 में कांग्रेस में शामिल हुईं। 1916 में उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के साथ होम रूल (Home Rule) आंदोलन शुरू किया। होम रूल लीग ने भारतीयों को स्वशासन देने की मांग की। • गांधीजी प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत में राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता के रूप में उभरे तथा उन्होंने आज़ादी के लिए निरंतर प्रयास किये जिसमें विशाल जन समूह उनके साथ था। इसके बाद दूसरे विश्व युद्ध के भी कई परिणाम निकलकर सामने आये, जिसने भारत की आज़ादी को प्रभावित किया। विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटेन में सत्ता में आई लेबर पार्टी (Labour Party) ने कांग्रेस पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया और भारत में चुनाव घोषित कर दिए गए, जिससे शक्तिशाली भारतीय नेताओं के सत्ता में वापस आने का मार्ग प्रशस्त हुआ। युद्ध के बाद ब्रिटेन आर्थिक रूप से कमजोर हो गया था। अंग्रेजों के पास भारत को नियंत्रित करने के लिए ऊर्जा और संसाधन नहीं बचे थे। अमेरिकी सरकार ने ब्रिटेन पर दबाव डाला कि वह भारत को उसकी स्वतंत्रता का अधिकार दे। द्वितीय विश्व युद्ध के समापन के बाद, दुनिया भर के लोग अपने अधिकारों, समानता और मानवता के लिए आगे आये। उनका मानना था कि भारत और उपनिवेशों को स्वतंत्रता देने से उनकी आर्थिक स्थिति ठीक हो जाएगी और इस तरह विश्व में शांति और कल्याण की स्थापना होगी।

संदर्भ :-
https://bit.ly/2XCxdFi
https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_independence_movement#Impact_of_World_War_2
https://www.quora.com/Did-World-War-2-play-any-role-in-the-Indian-independence
https://www.academia.edu/23268952/Impact_of_World_war_on_Indian_Freedom_Movement_Kanta
https://www.theguardian.com/world/2009/sep/11/second-world-war-indian-independence-empire

चित्र सन्दर्भ:
पहली तस्वीर से पता चलता है अंग्रेजों द्वारा भारतीय विद्रोह का दमन, जो अंग्रेजों द्वारा बंदूक से उड़ाकर उत्परिवर्ती के निष्पादन को दर्शाता है।(wikipedia)
दूसरा चित्र दिखाता है 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला सत्र। कांग्रेस एशिया और अफ्रीका में ब्रिटिश साम्राज्य में उभरने वाला पहला आधुनिक राष्ट्रवादी आंदोलन था।(wikipedia)
तीसरा चित्र दिखाता है विश्व युद्ध 1 के दौरान पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय घुड़सवार सेना।(wikipedia)


Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.

D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.

E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.