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घोड़े और पोनी के बीच सबसे स्पष्ट अंतर उनका आकार है। यह आकार भेद स्थानों के बीच भी भिन्न होता है और अक्सर उनका आकार प्रदर्शन के आधार पर निर्धारित किया जाता है। कुछ घोड़े अपने व्यवहार और शरीर विज्ञान में अधिक पोनी की तरह होते हैं, और कुछ पोनी अधिक घोड़े की तरह होते हैं। कुछ नस्लें जो 14.2 / 14 हाथ के निशान के नीचे होती हैं उन्हें घोड़े माना जाता है। उदाहरण मिनिएचर घोड़ा (Miniature Horse) और आइसलैंडिक घोड़ा (Icelandic Horse), दोनों ही पोनी के आकार के होते हैं लेकिन इन्हें घोड़ा कहा जाता है। मिनिएचर घोड़े के मामले में, अधिकांश नस्लों में पोनी भी पाए जाते हैं, जैसे कि उनके वंशावली में शेटलैंड्स (Shetlands) है। वेल्श पोनी का आकार सामान्य पोनी के मानक आकार से अधिक होता है, लेकिन फिर भी उन्हें पोनी माना जाता है। कुछ घोड़े की नस्लों में पोनी के आकार के घोड़े होते हैं, जैसे कि मॉर्गन घोड़ा (Morgan Horse), अमेरिकन क्वार्टर घोड़ा (American Quarter Horse) होती हैं।
घोड़ों और पोनी के बीच के कुछ अंतर को आकार की तरह आसानी से नहीं पहचाना जा सकता है। घोड़े और पोनी अक्सर बहुत अलग स्वभाव के होते हैं। पोनी बड़े घोड़ों की तुलना में अधिक साहसी और बुद्धिमान होते हैं। यदि आप सोचते हैं कि पोनी एक विनयशील स्वभाव का घोड़ा है तो आप गलती कर रहे हैं, वे कभी कभार काफी कुटिल हो सकते हैं, इसलिए एक विश्वसनीय पोनी की तुलना में एक बच्चे के लिए एक शांत घोड़ा ढूंढना आसान होता है। पोनी काम से बचने और परिणामों को समझने में बहुत माहिर होते हैं। जबकि दूसरी ओर घोड़े शांत स्वभाव के होते हैं, और अक्सर इनकी नस्ल जितनी बड़ी होती है, वे उतने ही विनम्र होते हैं। हालांकि, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि घोड़े की नस्ल किस लिए विकसित की गई थी।
पोनी अपने आकार के बावजूद अविश्वसनीय रूप से काफी शक्तिशाली होते हैं। वे अपने आकार के सापेक्ष घोड़े की तुलना में अधिक ताकत के साथ भारी भार खींच या ले जा सकते हैं। वे घोड़ों की तुलना में शक्तिशाली होते हैं और अधिक तापमान का सामना करने की क्षमता रखते हैं। उनके कोट (Coat) सर्दियों में अधिक मोटे होते हैं, जो अक्सर गर्मियों के सबसे गर्म दिनों तक नहीं झड़ते हैं। जैसे ही दिन छोटे होने लगते हैं वे अपने मोटे कोटों को वापस उगाना शुरू कर देते हैं। साथ ही पोनी घोड़ों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहते हैं। पोनी में तीस साल से अधिक उम्र असामान्य नहीं है, और घोड़ों में सबसे अधिक उम्र के कई विश्व रिकॉर्ड (Record) धारक पोनी हैं। कई पोनी अभी भी 20 के दशक के अंत में सवारी और चालन के लिए उपयोग की जाती है।
वहीं विश्व भर में पोनी की कई प्रजातियाँ मौजूद हैं और भारत में भी एक विशेष पोनी की प्रजाति मौजूद है, जिसे मणिपुरी पोनी के नाम से जाना जाता है। मणिपुरी पोनी, पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर के दक्षिणपूर्व हिमालयी राज्य की एक दुर्लभ नस्ल है। इसका मणिपुर के इतिहास और पौराणिक कथाओं दोनों में वर्णन देखने को मिलता है, और माना जाता है कि इसको युद्ध के लिए इस्तेमाल किया गया था। यह माना जाता है कि उन्नीसवीं सदी के मध्य में असम में पोलो पोनी (Polo pony) का इस्तेमाल किया गया था, जब ब्रिटिश चाय बागान मालिकों ने पहली बार पोलो को खेलते हुए देखा था, और पोलो पोनी के लिए निर्धारित ऊंचाई सीमाएं इस नस्ल के पोनी पर आधारित थीं। यह बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में बहुत सारे थे, लेकिन समय के साथ इनकी संख्या में गिरावट आने लगी है। एक नस्ल समूह को 1977 में स्थापित किया गया था, और 2009 में इंडिजिनस हॉर्स सोसायटी ऑफ इंडिया (Indigenous Horse Society of India) द्वारा एक नस्ल मानक तैयार किया गया था।
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