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सार्वजनिक क्षेत्र और निजी कम्पनियों ने भी नवीकरणीय बाजार में लिथियम संचालित इलेक्ट्रिक बैटरी की क्षमता को मान्यता दी है। टाटा (TATA) भारत में बनी लिथियम-आयन बैटरी पर काम कर रही है। भारत ने वैज्ञानिक-तकनीकी सहयोग स्थापित करने के लिए लिथियम के क्षेत्र में अर्जेंटीना (Argentina) के साथ एक सहमति ज्ञापन (Memorandum of Understanding - MoU) पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन भी इन बैटरियों के निर्माण का कार्य कर रहा है, हालांकि उनके द्वारा निर्मित बैटरियों की मात्रा वर्तमान समय में सीमित है। इसके अलावा, 2019 में भारत और ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने भी लिथियम व्यापार के संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कुछ समय पूर्व शुरू हुई प्रोड्क्शन लिंक्ड इनसेंटिव (Production-Linked Incentive) योजना लिथियम-आयन सेल (Cell) के विनिर्माण को बढ़ावा देती है। 18,000 करोड़ रुपये की सरकारी सब्सिडी (Subsidy) का लाभ उठाने की उम्मीद के साथ कम्पनियां देश में लिथियम आयन सेल का उत्पादन करने के लिए अपनी योजनाओं में तेजी ला रही है। इस प्रकार संघ सरकार द्वारा घोषित प्रोड्क्शन लिंक्ड इनसेंटिव योजना लिथियम आयन सेल के स्थानीय विनिर्माण को शुरू करने के लिए कंपनियों को प्रेरित कर रही है।
लीथियम को अत्यधिक महत्व दिया जा रहा है, क्यों कि आधुनिक ऊर्जा स्पेक्ट्रम (Spectrum) के नवीकरणीय क्षेत्र में यह बहुत उपयोगी होगा। उदाहरण के लिए विभिन्न क्षेत्रों में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए लिथियम-आयन बैटरी एक समाधान के रूप में काम कर सकती है। इसका ऊर्जा घनत्व बहुत अधिक होता है, जिससे इसका उपयोग अपेक्षाकृत लंबे समय तक किया जा सकता है। यह उपयोग में हो चाहे नहीं, इसकी स्व-निर्वहन या सेल्फ़ डिस्चार्ज (Self discharge) दर बहुत कम होती है। पारंपरिक बैटरियों में हानिकारक रसायनों का रिसाव होता है, और इसलिए अधिक रखरखाव की आवश्यकता होती है, किंतु लिथियम आयन बैटरी के लिए न्यूनतम रखरखाव ही पर्याप्त होता है। लीथियम आयन बैटरियां लगभग सभी आकारों में मौजूद हैं, जिससे उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकता के अनुसार बैटरी का चयन कर सकते हैं। बेंचमार्क मिनरल इंटेलिजेंस (Benchmark Mineral Intelligence) की रिपोर्ट (Report) के अनुसार, 2014 से 2017 के बीच लिथियम बैटरी की कीमत में प्रति वर्ष 16.5% की गिरावट आई, तथा 2017 से 2020 के बीच यह गिरावट 5.8% थी। इससे यह उम्मीद की जा सकती है, कि लीथियम-आयन बैटरी द्वारा संचालित उपकरण विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन भविष्य में सस्ते होंगे। लिथियम की खोज भारत को नवीकरणीय क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, हालांकि, इस क्षेत्र में अभी बहुत काम किया जाना बाकी है।
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