| Post Viewership from Post Date to 10- Apr-2021 (5th day) | ||||
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हमने भी अक्सर अपने आस पास पेड़ की डालियों पर बैठे पंक्षियों के मधुर गीत सुने ही होंगें परंतु क्या सोचा है कि कैसे ये पक्षी इतना मधुर गा लेते हैं। दरअसल पक्षी किसी भी अन्य जानवर की तुलना में अधिक जटिल ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं। पंक्षियों का शरीरिक विज्ञान और ध्वनिकी (vocalization) जंतु जगत में अद्वितीय मानी हैं। जब एक पक्षी अपनी चोंच (bill) के माध्यम से हवा में सांस लेता है, तो वह अपने गले में और अपने विंडपाइप (Windpipe) (या ट्रेकिआ (Trachea)) में हवा खींचता है। विंडपाइप फोर्क (Forks) प्रत्येक फेफड़े में हवा ले जाने का कार्य करता है। ये दोहरे मार्ग ब्रोन्कियल ट्यूब (Bronchial Tube) कहलाते हैं। वायु को फिर फेफड़ों में संसाधित किया जाता है और उसी मार्ग से वापस लाया जाता है। वायु मार्ग की यह प्रणाली ध्वनि उत्पादन के उद्देश्य के लिए भी अनुकूलित हो गई है (जैसा कि मनुष्यों में भी है)। उस बिंदु पर जहां विंडपाइप विभाजन होता है उस स्थान पर पंक्षियों का ध्वनि उत्पादन अंग या वॉइस बॉक्स (Voice Box) स्थित होता है जिसे सिरिंक्स (Syrinx) नाम से जाना जाता है। परन्तु मनुष्य के पास कोई सिरिंक्स नहीं है, बल्कि एक स्वरयंत्र या लेरिंक्स (Larynx) है। यह स्वरयंत्र गले में एक गुहा (Cavity) है और इसमें वॉकल कॉडस (Vocal Cords) उपस्थित होते हैं। एवियन सिरिंक्स (Avian Syrinx) को लोअर लेरिंक्स (Lower Larynx) कहा जाता है, जो विंडपाइप के छोर पर स्थित होता है। यह ऐसा है जैसे कि मानव लेरिंक्स छाती में स्थित हो। ये सिरिंक्स डबल-बैरेल्ड (Double-Barrelled) होता है। ब्रोन्कियल ट्यूब के एक तरफ टैंपेनम (Tympanum), एक गोलाकार लोचदार झिल्ली होती है, यह पंक्षियों की वॉकल कॉड होती है। जैसे ही ब्रोन्कियल ट्यूब से हवा गुजरती है टैंपेनम में कंपन होता है और ध्वनि पैदा होती है। इस कारण पक्षी गीत गाने में सक्षम होते है।
जौनपुर में भी कई सुरीले पक्षी जैसे की कोयल, बुलबुल इत्यादि मौजूद है, जिनकी सुरीली आवाज़ गीतों के रूप में गूंजती है। इनके अलावा ब्लू थ्रोट (Blue Throat) नामक पक्षी भी जौनपुर का निवासी है। इसे अपनी विशिष्ट आवाज़ या गीतों के लिए जाना जाता है। वैज्ञानिक रूप से ल्यूसिनिया स्वेसिका (Luscinia svecica) के नाम से जाना जाने वाला यह पक्षी छोटे गौरैया के समान 13-14 सेमी तक होता है जिसे टर्डिडे (Turdidae) परिवार के सदस्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है। किंतु अब इसे ओल्ड वर्ल्ड फ्लाइकैचर (Old World Flycatcher) के रूप में मूसिकैपिडे (Muscicapidae) परिवार से सम्बंधित माना जाता है। ब्लू थ्रोट और इसी तरह की छोटी यूरोपीय प्रजातियों को अक्सर चैट (Chats) कहा जाता है। सर्दियों के मौसम में यह जीव प्रायः उत्तरी अफ्रीका (Africa) और भारतीय उपमहाद्वीप में निवास करता है। इसकी पूंछ को छोड़कर शरीर का ऊपरी भाग भूरे रंग का होता है। गले के हिस्से में प्रायः सफेद, नीली, नारंगी, काली आदि रंग की पट्टियों जैसी संरचना बनी होती है। इसकी नर प्रजाति को विविध और बहुत ही प्रभावशाली गीतों के लिए जाना जाता है। ब्लू थ्रोट के समान धरती पर अन्य पक्षी भी मौजूद हैं, जो अपने स्वरोच्चारण (Vocalization) के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके स्वरोच्चारण को उनकी आवाज़ तथा गीतों दोनों से संदर्भित किया जाता है।
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