| Post Viewership from Post Date to 13- Apr-2021 (5th day) | ||||
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| City Readerships (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
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आलू उगाने वाले क्षेत्रों में अनुबंध की खेती लंबे समय से प्रचलित है, विशेष रूप से जौनपुर सहित उत्तरी मैदानी इलाकों में, जो भारत के सबसे अधिक आलू उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। भारत में आलू की खेती का क्षेत्रफल दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जहां आलू का उत्पादन पहले केवल एक ही उद्देश्य के लिए किया जाता था, वहीं अब इसका उत्पादन प्रसंस्करण उद्देश्यों के लिए भी भारी मात्रा में किया जाने लगा है। अधिक से अधिक किसान अब प्रसंस्कृत ग्रेड किस्मों (Process grade varieties) को उगा रहे हैं। इसका श्रेय पेप्सीको (PepsiCo) जैसे वैश्विक खाद्य कंपनियों की भागीदारी और अनुबंध खेती को दिया जाना चाहिए। पेप्सीको गुजरात में अनुबंध खेती के तहत 24,000 किसानों के साथ काम करता है, और उन्हें बीज, रासायनिक उर्वरक और बीमा सुविधाएं प्रदान करता है। बदले में किसान पूर्व निर्धारित कीमतों पर फसल उत्पादित करते हैं। किसानों और खरीदारों के बीच यह एक प्रत्यक्ष या सीधा समन्वय है। इसकी सफलता को देखते हुए नीति अयोग ने भारत में सभी प्रकार की उपज के लिए अनुबंध खेती का समर्थन किया है। किसानों के लिए अनुबंध खेती के स्पष्ट फायदें हैं, क्यों कि इसके द्वारा आलू या किसी अन्य उपज को उगाने की प्रक्रिया में किसानों को कोई परेशानी नहीं होती। उन्हें मंडियों में फसल की बिक्री तथा फसल खराब होने पर बीमा सुविधाओं के लिए परेशान नहीं होना पड़ता। यह उन्हें आय का एक सुरक्षित और स्थिर स्रोत देता है। कई किसान बड़े उद्यमों या कम्पनियों के साथ अनुबंध खेती से सहमत हैं, क्यों कि इसमें उनके लिए किसी भी प्रकार के जोखिम की सम्भावनाएं अपेक्षाकृत कम होती हैं। इसके द्वारा किसानों को अच्छी गुणवत्ता का निवेश, विस्तार सेवाएं आदि प्राप्त होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी उत्पादकता और आय बढ़ सकती है। अनुबंध खेती के द्वारा किसान न केवल समृद्ध होंगे, बल्कि वे भविष्य में सुरक्षित भी महसूस करेंगे।
उत्पादक को उस भूमि से संबंधित सभी करों का भुगतान भी करना होता है, जहां वो उत्पादन गतिविधि कर सकता है। अनुबंध में यह स्पष्ट रूप से बताया गया होता है, कि उत्पादकों के कार्य बल कंपनी के प्रत्यक्ष श्रमिक नहीं होंगे। वहीं दूसरी ओर, खरीदार केवल उत्पादकों से उत्पाद (चिप ग्रेड गुणित आलू - Chip grade multiplied) खरीदते हैं, अनुबंध के अनुसार उत्पादकों को निर्धारित मूल्य प्रदान करते हैं और उत्पादकों को आलू रोपण सामग्री की आपूर्ति करते हैं। अनुबंध खेती के समझौते पर हस्ताक्षर करने से उत्पादकों के पास अपने उत्पादन के लिए एक सुनिश्चित बाजार होता है, लेकिन दूसरी तरफ असमान अनुबंध की स्थिति उन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करती, जैसा कि, कंपनी को प्राप्त होती है। खरीदार को विशिष्टता की आवश्यकता होती है, (उत्पादकों को अपने उत्पादन का 100 प्रतिशत कंपनी को बेचना पड़ता है और यदि वे किसी अन्य के साथ समझौता करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले कंपनी से सहमति प्राप्त करनी होती है)। कंपनी खेती के सभी क्रियाकलापों पर निगरानी रखती है, लेकिन किसी भी निवेश में सहायता नहीं करती। कंपनी द्वारा वितरित की जाने वाली रोपण सामग्री का भुगतान उनकी वास्तविक डिलीवरी (Delivery) से पहले किया जाना चाहिए, यदि इसमें देर होती है, तो उत्पादन प्रक्रिया और किसानों को प्राप्त होने वाला मूल्य नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है। इस प्रकार किसानों को अनुबंध खेती के लाभदायक और नुकसानदायक दोनों ही प्रकार के परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.
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