 
                                            समय - सीमा 268
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1036
मानव और उनके आविष्कार 802
भूगोल 264
जीव-जंतु 306
 
                                             किंतु कोरोना महामारी के कारण इन तिथियों को आगे बढ़ाया गया। पहले मानवयुक्त मिशन में एक बैकअप (Backup) के साथ तीन अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे। कार्यक्रम के लिए चुने गए चार पायलटों (Pilots) को रूस में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारत के अंतरिक्ष विभाग ने हाल ही में "अंतरिक्ष नीति में मानव” (Humans in Space Policy) नामक मसौदा जारी किया है। दस्तावेज़ में कहा गया है, कि विकास, नवाचार तथा राष्ट्रीय हितों के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक साधन के रूप में यह नीति, अंतरिक्ष में निरंतर मानव उपस्थिति का लक्ष्य रखती है। चूंकि, मानव अंतरिक्ष यान की प्रकृति बहु-विषयक और सहयोगपूर्ण है, इसलिए इसके लिए एक ऐसी रूपरेखा और नीति का होना आवश्यक है, जो न केवल साझेदारी को बढ़ावा दे, बल्कि मौजूदा नीतियों, कानूनों और समझौतों से सम्बंधित विषयों के विस्तार और उनकी स्वीकृति में सहायता रहें। वास्तविक लाभ प्रदान करने के लिए मानव-स्पेसफ्लाइट (Spaceflight) कार्यक्रम को लंबे समय तक बनाए रखने की आवश्यकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि सहयोग, बुनियादी ढांचे का विकास, सुविधाओं का आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी विकास और मानव संसाधन विकास के द्वारा विश्वसनीय, मजबूत, सुरक्षित और किफायती साधनों के माध्यम से पृथ्वी की निचली कक्षा में मानव की निरंतर उपस्थिति को सक्षम बनाया जाये। मानव-स्पेसफ्लाइट मिशन को सफल बनाने के प्रयास में भारतीय सरकार द्वारा बजट (budget) 2021-22 में अंतरिक्ष के लिए 13,949 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। पिछले साल के बजट में यह राशि लगभग 13,479 करोड़ रुपये थी। हालाँकि, विश्व में फैली कोरोना महामारी के कारण अंतरिक्ष विभाग इस राशि को खर्च नहीं कर पाया। 2020-21 के लिए निर्धारित 13,479 करोड़ रुपये की राशि को 9,500 करोड़ रुपये कर दिया गया। विभिन्न देशों में मानव युक्त मिशन को सफल बनाने के लिए मानव स्पेसफ्लाइट में नये और स्थायी सार्वजनिक निवेश किये जा रहें हैं। इस बात का जहां विरोध किया जाता रहा है, वहीं समर्थन भी किया जाता है। इस सम्बंध में यह तर्क दिया जाता है, कि चालकों और जांचकर्ताओं के रूप में अंतरिक्ष में मनुष्य की उपस्थिति अंतरिक्ष गतिविधियों में महत्वपूर्ण है। मानवयुक्त अन्वेषण, बाह्य अंतरिक्ष पर वास्तविक विजय का प्रतिनिधित्व करेगा तथा मानव रहित अन्वेषण, मानव युक्त अन्वेषण का उपयुक्त विकल्प नहीं हो सकता है। अंतरिक्ष की स्थितियों का उपयुक्त अन्वेषण केवल मानव द्वारा ही सम्भव है, मशीनों द्वारा नहीं। इस प्रकार, मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने का प्राथमिक औचित्य अन्वेषण ही है।
 किंतु कोरोना महामारी के कारण इन तिथियों को आगे बढ़ाया गया। पहले मानवयुक्त मिशन में एक बैकअप (Backup) के साथ तीन अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे। कार्यक्रम के लिए चुने गए चार पायलटों (Pilots) को रूस में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारत के अंतरिक्ष विभाग ने हाल ही में "अंतरिक्ष नीति में मानव” (Humans in Space Policy) नामक मसौदा जारी किया है। दस्तावेज़ में कहा गया है, कि विकास, नवाचार तथा राष्ट्रीय हितों के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक साधन के रूप में यह नीति, अंतरिक्ष में निरंतर मानव उपस्थिति का लक्ष्य रखती है। चूंकि, मानव अंतरिक्ष यान की प्रकृति बहु-विषयक और सहयोगपूर्ण है, इसलिए इसके लिए एक ऐसी रूपरेखा और नीति का होना आवश्यक है, जो न केवल साझेदारी को बढ़ावा दे, बल्कि मौजूदा नीतियों, कानूनों और समझौतों से सम्बंधित विषयों के विस्तार और उनकी स्वीकृति में सहायता रहें। वास्तविक लाभ प्रदान करने के लिए मानव-स्पेसफ्लाइट (Spaceflight) कार्यक्रम को लंबे समय तक बनाए रखने की आवश्यकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि सहयोग, बुनियादी ढांचे का विकास, सुविधाओं का आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी विकास और मानव संसाधन विकास के द्वारा विश्वसनीय, मजबूत, सुरक्षित और किफायती साधनों के माध्यम से पृथ्वी की निचली कक्षा में मानव की निरंतर उपस्थिति को सक्षम बनाया जाये। मानव-स्पेसफ्लाइट मिशन को सफल बनाने के प्रयास में भारतीय सरकार द्वारा बजट (budget) 2021-22 में अंतरिक्ष के लिए 13,949 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। पिछले साल के बजट में यह राशि लगभग 13,479 करोड़ रुपये थी। हालाँकि, विश्व में फैली कोरोना महामारी के कारण अंतरिक्ष विभाग इस राशि को खर्च नहीं कर पाया। 2020-21 के लिए निर्धारित 13,479 करोड़ रुपये की राशि को 9,500 करोड़ रुपये कर दिया गया। विभिन्न देशों में मानव युक्त मिशन को सफल बनाने के लिए मानव स्पेसफ्लाइट में नये और स्थायी सार्वजनिक निवेश किये जा रहें हैं। इस बात का जहां विरोध किया जाता रहा है, वहीं समर्थन भी किया जाता है। इस सम्बंध में यह तर्क दिया जाता है, कि चालकों और जांचकर्ताओं के रूप में अंतरिक्ष में मनुष्य की उपस्थिति अंतरिक्ष गतिविधियों में महत्वपूर्ण है। मानवयुक्त अन्वेषण, बाह्य अंतरिक्ष पर वास्तविक विजय का प्रतिनिधित्व करेगा तथा मानव रहित अन्वेषण, मानव युक्त अन्वेषण का उपयुक्त विकल्प नहीं हो सकता है। अंतरिक्ष की स्थितियों का उपयुक्त अन्वेषण केवल मानव द्वारा ही सम्भव है, मशीनों द्वारा नहीं। इस प्रकार, मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने का प्राथमिक औचित्य अन्वेषण ही है। 
 अन्वेषण का एक नैतिक आयाम भी है, क्यों कि यह मानव जीवन की प्रकृति और उसके अर्थ से भी सम्बंधित है। अंतरिक्ष में अद्वितीय स्थितियों का दोहन करके वैज्ञानिकों ने भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान में कई मूलभूत प्रक्रियाओं की जांच करना शुरू कर दिया है, जिनकी जानकारी आमतौर पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण उपलब्ध नहीं हो पाती है। जो भी प्रयोग अंतरिक्ष शटल (Shuttle) और अंतरिक्ष स्टेशनों (Stations) पर हुए हैं, उन्होंने पहले ही नए सिद्धांतों के विकास और नई घटनाओं के अंवेषण में योगदान दिया है। यह अनुप्रयोगों के लिए अच्छी संभावनाओं या स्थितियों को पेश करता है, जो समाज के लिए समग्र रूप से लाभदायक होगा।
अन्वेषण का एक नैतिक आयाम भी है, क्यों कि यह मानव जीवन की प्रकृति और उसके अर्थ से भी सम्बंधित है। अंतरिक्ष में अद्वितीय स्थितियों का दोहन करके वैज्ञानिकों ने भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान में कई मूलभूत प्रक्रियाओं की जांच करना शुरू कर दिया है, जिनकी जानकारी आमतौर पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण उपलब्ध नहीं हो पाती है। जो भी प्रयोग अंतरिक्ष शटल (Shuttle) और अंतरिक्ष स्टेशनों (Stations) पर हुए हैं, उन्होंने पहले ही नए सिद्धांतों के विकास और नई घटनाओं के अंवेषण में योगदान दिया है। यह अनुप्रयोगों के लिए अच्छी संभावनाओं या स्थितियों को पेश करता है, जो समाज के लिए समग्र रूप से लाभदायक होगा। 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        