जौनपुर के नीम और चौकिया शीतला मंदिर

व्यवहार के अनुसार वर्गीकरण
13-01-2018 01:02 PM
जौनपुर के नीम और चौकिया शीतला मंदिर

नीम हकीम तो सभी ने सुना है, नीम एक चमत्कारी औशधि है तथा इसका सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व भी है। यदि हिंदू धर्मग्रन्थों में देखा जाये तो विभिन्न देवी देवताओं को अलग-अलग वृक्षों से जोड़ा गया है। नीम को शीतला देवी से जोड़ा गया है। शीतला और नीम के मध्य के रिस्ते पर यदि नज़र डाली जाये तो यह सीधे तौर पर शीतला के अर्थ पर आधारित है। शीतला शब्द शीतल से आया है शीतल का सीधा मतलब है ठंडी बयार या ठंडक प्रदान करने वाली। अब जब इसी दृष्टिकोण से नीम को देखा जाये तो यह पता चलता है कि नीम अपनी औषधीय गुणों से कई बिमारियों को दूर करता है तथा यह शीतल पवन व छाँव भी प्रदान करता है। यह एक कारण है जिस वजह से नीम को शीतला देवी से जोड़ा गया है। जौनपुर में बड़ी संख्या में नीम के पेड़ पाये जाते हैं एक तरह से देखा जाये तो प्रत्येक घरों में नीम के पेड़ मिलते हैं। यहाँ का प्रमुख मंदिर चौंकिया शीतला धाम है जहाँ पर प्रत्येक दिन बड़ी संख्या में भक्त दर्शनार्थ जाते हैं। आज भी नीम के वृक्ष का प्रयोग विभिन्न बिमारियों में किया जाता है। खसरा आदि होने पर नीम के पत्तों को उबाल कर नहाने से यह ठीक हो जाता है। नीम के पेड़ का हर पहलू औषधीय गुणों से जुड़ा होता है। जैसे पत्ता, छाल, बिनैल आदि। यदि नीम के वैज्ञानिक वानस्पतिक नाम देखा जाये तो यह अज़ाडिरॉक्टा इंडिका नाम से जाना जाता है, यह पादप जगत से सम्बन्धित है तथा इसका संघ मैग्नोलीयोफाइटा है। नीम भारतीय मूल का वृक्ष है यह भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यानमार (बर्मा) श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाईलैंड आदि देशो में पाया जाता है। विदेशियों द्वारा जब इसका महत्व समझा गया तो उन्होने इस वृक्ष को इसकी पारम्परिक सीमा के बाहर ले गये और आज यह वृक्ष अफ्रिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण व मध्य अमेरिका, तथा दक्षिणी प्रशान्त द्वीपसमूह के अनेक उष्ण और उप-उष्ण कटिबन्धीय देशों में भी पहुँच चुका है। 1. नीम ए ट्री फॉर सॉल्विंग ग्लोबल प्रॉब्लम्स, नेशनल एकेडमी प्रेस वासिंग्टन डी.सी. 1992 2. पीपल ट्रीज़ः वर्शिप ऑफ़ ट्रीज़ इन नार्दर्न इंडिया, डेविड एल. हबेरमन, ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी प्रेस, 2013