लखनऊ में स्वास्थ्य सेवाओं का सफ़र: उद्योग, मिशन और ग्रामीण ढाँचे की पूरी झलक

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
29-09-2025 09:16 AM
लखनऊ में स्वास्थ्य सेवाओं का सफ़र: उद्योग, मिशन और ग्रामीण ढाँचे की पूरी झलक

लखनऊवासियो, आपने अक्सर यह सुना होगा कि “स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी संपत्ति है”, लेकिन जब हम भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश की बात करते हैं, तो यह कहावत और भी गहराई से समझ आती है। यहाँ स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा केवल अस्पतालों और डॉक्टरों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें दवा उद्योग, मेडिकल उपकरण निर्माण, बीमा सेवाएँ और चिकित्सा पर्यटन जैसे अनेक क्षेत्र जुड़े हुए हैं। यह पूरा तंत्र न केवल करोड़ों लोगों की ज़िंदगी बचा रहा है, बल्कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था और रोज़गार सृजन में भी अहम भूमिका निभा रहा है। लखनऊ जैसे शहरों में आज आधुनिक अस्पताल, सुपर स्पेशियलिटी क्लिनिक और मेडिकल कॉलेज (medical college) लगातार विकसित हो रहे हैं। यहाँ का स्वास्थ्य ढांचा न केवल स्थानीय लोगों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराता है, बल्कि आस-पास के ज़िलों और ग्रामीण इलाकों के लोगों को भी सहारा देता है। दूसरी ओर, गाँवों में उप-केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जैसे संस्थान उन परिवारों तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाते हैं, जो लंबे समय तक बुनियादी इलाज से भी वंचित रहते थे।
लखनऊ ज़िला स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में काफी सुदृढ़ है। यहाँ 2.03 हज़ार अस्पताल के बिस्तर हैं, जो मरीज़ों की विविध ज़रूरतों को पूरा करते हैं। स्वास्थ्य सेवाएँ गाँव-शहर तक पहुँचाने के लिए 96 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) काम कर रहे हैं। ज़िले में 3 ज़िला अस्पताल (District Hospital) हैं, जो गंभीर मामलों के इलाज के लिए उपलब्ध हैं। इसके अलावा 25 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ग्रामीण और कस्बाई इलाक़ों में सक्रिय हैं, जो स्थानीय लोगों के लिए राहत का माध्यम बनते हैं। इन सभी व्यवस्थाओं से लखनऊ के नागरिकों को ज़िले के भीतर ही संपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ मिलती हैं।
इस लेख में हम सबसे पहले जानेंगे कि भारत में स्वास्थ्य देखभाल उद्योग क्यों ज़रूरी है और यह हमारी अर्थव्यवस्था को कैसे मज़बूत करता है। फिर इसके इतिहास और नीतियों पर नज़र डालेंगे, ताकि पता चले कि समय के साथ इसमें क्या बदलाव हुए। इसके बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और उसकी बड़ी पहलों के बारे में जानेंगे, जिन्होंने लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है। आगे चलकर हम देखेंगे कि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र कैसे काम करते हैं। आख़िर में ग्रामीण भारत के स्वास्थ्य ढाँचे को समझेंगे, जहाँ उप-केंद्र, पीएचसी (PHC), सीएचसी (CHC) और एफआरयू (FRU) गाँव के लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।

भारत में स्वास्थ्य देखभाल उद्योग का महत्व और आर्थिक योगदान
भारत का स्वास्थ्य सेवा उद्योग केवल बीमारी का इलाज करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की प्रगति और समग्र विकास का एक अहम स्तंभ बन चुका है। यह उद्योग नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देता है। स्वास्थ्य सेवाएँ लोगों की जीवन प्रत्याशा, पोषण स्तर और संपूर्ण जीवनशैली को सीधे प्रभावित करती हैं। यही कारण है कि इसे विकास का आधार माना जाता है। 2023–24 के आँकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र लगभग 372 बिलियन (billion) डॉलर का हो चुका है और इसने 7.5 मिलियन (million) से अधिक लोगों को रोज़गार दिया है। अस्पतालों से लेकर मेडिकल कॉलेज, दवा निर्माण कंपनियाँ, बीमा सेवाएँ और चिकित्सा उपकरण निर्माण - ये सब मिलकर इस उद्योग को एक विशाल और सशक्त बाज़ार बनाते हैं। लखनऊ जैसे बड़े शहरों में अस्पतालों और डायग्नोस्टिक केंद्रों (Diagnostic Centers) का तेज़ी से बढ़ना, इस उद्योग की आर्थिक शक्ति और सामाजिक महत्व का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

भारत में स्वास्थ्य सेवा का ऐतिहासिक और नीतिगत विकास
भारत की स्वास्थ्य सेवाओं का सफ़र लंबा और संघर्षपूर्ण रहा है। प्रारंभिक समय में जब केवल बुनियादी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध थीं, तब से लेकर आज के आधुनिक अस्पतालों और डिजिटल हेल्थ (Digital Health) सुविधाओं तक पहुँचना एक बड़े बदलाव की कहानी है। बीते दशकों में कई बीमारियों पर नियंत्रण और उनके ख़ात्मे की दिशा में महत्वपूर्ण सफलताएँ हासिल हुई हैं। 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया जाना एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, जिसने दुनिया के सामने भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता को साबित किया। इसके अलावा चेचक, यॉ (yaw), किडनी कृमि और मलेरिया (malaria) जैसी गंभीर बीमारियों पर नियंत्रण ने भी स्वास्थ्य तंत्र को मज़बूत आधार प्रदान किया। नीतिगत सुधारों और योजनाओं की बदौलत आज स्वास्थ्य सेवाएँ पहले की तुलना में अधिक सुलभ, गुणवत्तापूर्ण और व्यापक हो चुकी हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और प्रमुख पहलें
भारत सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ और मज़बूत बनाने के लिए कई योजनाएँ चलाईं, जिनमें एनएचएम (NHM) सबसे अहम है। इसका उद्देश्य केवल शहरों तक सीमित नहीं, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों तक स्वास्थ्य सुविधाओं का पुनर्जीवन करना है। एनएचएम के अंतर्गत मिशन इंद्रधनुष ने टीकाकरण कवरेज (vaccination coverage) में उल्लेखनीय सुधार किया। इससे लाखों बच्चों और गर्भवती महिलाओं को जीवनरक्षक टीके समय पर उपलब्ध हो पाए। कायाकल्प पहल ने सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में स्वच्छता और सफाई की स्थिति बेहतर बनाई, जिससे रोगियों का भरोसा सार्वजनिक संस्थानों पर बढ़ा। सबसे महत्वपूर्ण भूमिका आशा कार्यकर्ताओं की है। ये जमीनी स्तर पर काम करने वाली महिलाएँ गाँव-गाँव जाकर मातृ और शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करती हैं। स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने से लेकर गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव और बच्चों को समय पर टीकाकरण दिलाने तक, उनकी मेहनत स्वास्थ्य मिशन की रीढ़ मानी जाती है।

भारत में सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का ढाँचा
भारत की स्वास्थ्य सेवाएँ दो बड़े स्तंभों पर आधारित हैं - सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र।

  1. सार्वजनिक क्षेत्र: इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHCs), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHCs), और तृतीयक देखभाल संस्थान (जैसे बड़े सरकारी अस्पताल) शामिल हैं। ये संस्थान आम नागरिकों को कम लागत या निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करते हैं और देश की विशाल आबादी के लिए जीवनरेखा साबित होते हैं।
     
  2. निजी क्षेत्र: बड़े शहरों और टियर-II शहरों में निजी अस्पताल और सुपर स्पेशियलिटी क्लिनिक (Specialty Clinic) स्वास्थ्य सेवाओं में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। ये तेज़ और उन्नत इलाज के लिए जाने जाते हैं। आधुनिक तकनीक, विशेषज्ञ डॉक्टरों और अत्याधुनिक उपकरणों की वजह से इनकी माँग लगातार बढ़ रही है।

इसके अलावा, भारत अब नैदानिक अनुसंधान और चिकित्सा पर्यटन का वैश्विक केंद्र बन चुका है। लाखों विदेशी मरीज भारत आते हैं क्योंकि यहाँ उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएँ अपेक्षाकृत सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं। यह स्थिति भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं का मज़बूत खिलाड़ी बनाती है।

भारत में ग्रामीण सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल का बुनियादी ढाँचा
ग्रामीण भारत का स्वास्थ्य ढाँचा देश के स्वास्थ्य तंत्र का सबसे बड़ा आधार है। यही वह क्षेत्र है जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं की असली परीक्षा होती है।

  1. उप-केंद्र: ये सबसे छोटे स्तर की इकाई हैं, जो गाँवों में बुनियादी सेवाएँ जैसे टीकाकरण, मातृ-शिशु स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण उपलब्ध कराती हैं।
  2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र: ये ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी इलाज, सामान्य बीमारियों की देखभाल और छोटे स्तर की आपात सेवाओं के लिए बनाए गए हैं।
  3. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र: इनका दायरा बड़ा होता है और यहाँ विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ अधिक सुविधाएँ मौजूद रहती हैं।
  4. प्रथम रेफरल इकाइयाँ: ये गंभीर परिस्थितियों और आपातकालीन सेवाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, खासकर मातृ और शिशु देखभाल में।

आज देश भर में लाखों उप-केंद्र और हज़ारों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कार्यरत हैं। लखनऊ जैसे जिलों के आसपास के ग्रामीण इलाकों में ये स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण परिवारों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रहे हैं। इनकी मौजूदगी ने बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को गाँवों की चौखट तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है।

संदर्भ-
https://tinyurl.com/cj93efus 

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