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आपको जानकर आश्चर्य होगा की आज, प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को, भविष्य में
ऐसी नौकरियां या स्वरोजगार करने होंगे, जिनका आज कोई अस्तित्व ही नहीं है! उदारहण के तौर
आज देश की युवा आबादी का एक बड़ा वर्ग कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर (computer
hardware and software) के क्षेत्र में कार्यरत है! लेकिन आज से 50 साल पहले भारत में कई
लोगों ने इस प्रकार की नौकरियों की कल्पना भी नहीं की होगी! 
ठीक उसी प्रकार भविष्य में भी ऐसी
नौकरियां उत्पन्न होने वाली हैं, जिनकी आज हम कल्पना भी नहीं कर सकते! ऐसे में यह जानना
भी बेहद अहम् होगा की, हमें या हमारी भावी पीढ़ियों को भविष्य की नौकरियों के लिए कौन तैयार
कर सकता है?
दुनिया में सर्वाधिक युवाओं वाला देश बनाने के साथ ही, इन युवाओं को भावी (भविष्य की) दुनिया
के लिए तैयार करना भी, भारत सरकार की प्रमुख प्राथमिकता और चुनौती दोनों है। इस संदर्भ में ,
देश की नई शिक्षा नीति ने युवा आबादी, मिडिल और हाई स्कूल के छात्रों, को भविष्य की नौकरियों
के लिए तैयार करना शुरू भी कर दिया है। 
 युवाओं को रोजगार, अच्छे काम और उद्यमिता के लिए कौशल से लैस करने के लिए  2014 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जुलाई को विश्व युवा कौशल दिवस के रूप में घोषित किया। तब से, विश्व युवा कौशल दिवस ने युवा लोगों, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (टीवीईटी) संस्थानों, फर्मों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों, नीति-निर्माताओं और विकास भागीदारों के बीच संवाद का एक अनूठा अवसर प्रदान किया है। 
अक्टूबर 2019 में, एक बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक जेपी मॉर्गन चेज़ एंड कंपनी (JPMorgan Chase &
Co.) ने इस प्रयास में विश्व बैंक और भारत सरकार के साथ हाथ मिलाया। यह तीन-तरफा
साझेदारी भारत के युवाओं, खासकर लड़कियों और हाशिए के समुदायों के युवाओं के लिए स्कूल-टू-
वर्क संक्रमण (school-to-work transition) की सुविधा प्रदान करेगी।
माना जा रहा है की जब देश भर में इस कार्यक्रम का विस्तार किया जाएगा तो लगभग 1.6
मिलियन छात्र सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। जेपी मॉर्गन चेस (JPMorgan Chase) के मुख्य
कार्यकारी अधिकारी जेमी डिमोन (Jamie Dimon) ने नई दिल्ली में साझेदारी के शुभारंभ पर
बोलते हुए कहा, "इस तरह के प्रयासों से समय के साथ बहुत बड़ा बदलाव आएगा।" इसके लिए
सरकार और व्यावसायिक दोनों प्रकार के सहयोग की जरूरत है।
विश्व बैंक में भारत के कंट्री डायरेक्टर (country director), जुनैद अहमद के अनुसार, "सरल
शब्दों में, फर्म का 10 मिलियन डॉलर का अनुदान, स्कूली बच्चों की शिक्षा और कौशल में सुधार के
लिए दिया जायेगा। फर्म के 10 मिलियन डॉलर के समर्थन का एक बड़ा हिस्सा विश्व बैंक की
$500 मिलियन STARS परियोजना के दायरे में, छह भारतीय राज्यों में 37 मिलियन मिडिल और
हाई स्कूल के छात्रों (ग्रेड 6-12) के बीच, 21 वीं सदी के कौशल को विकसित करने में मदद कर रहा
है। इसे अंततः शिक्षा मंत्रालय द्वारा देश भर में 90 मिलियन छात्रों और 4.5 मिलियन शिक्षकों तक
पहुंचाने के लिए बढ़ाया जाएगा।
जेपी मॉर्गन चेस के फंड भारत के चार सेक्टर स्किल काउंसिल को युवा वयस्कों के बीच नौकरी से
संबंधित कौशल विकसित करने में भी मदद कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए, पुणे में एक प्रमुख लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाता, महिंद्रा लॉजिस्टिक्स (Mahindra
Logistics) को गोदामों में फोर्कलिफ्ट (forklift) संचालित करने के लिए पर्याप्त पुरुष नहीं मिले!
तब उद्योग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर स्किल काउंसिल के बीच कुशल टीमवर्क ने इन पारंपरिक
रूप से केवल पुरुष भूमिकाओं के लिए स्थानीय महिलाओं को तैयार करके, इस कमी को दूर करने
में मदद की।
अलवर, अजमेर और पुणे के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और विकलांग व्यक्तियों को इलेक्ट्रिक
वाहन सेवा तकनीशियन और 3 डी प्रिंटिंग ऑपरेटर (3D Printing Operator) के रूप में काम
करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। कई प्रशिक्षुओं ने पहले कभी घर नहीं छोड़ा था, लेकिन
परामर्श और प्रशिक्षण के साथ,उनमें से कई लोगों ने अपने स्वयं के छोटे उद्यम स्थापित करने के
बारे में सोचना भी शुरू कर दिया है।
Baker (1964) ने प्रसिद्ध रूप से तर्क दिया था कि एक प्रतिस्पर्धी श्रम बाजार में, कौशल के कारण
उत्पादकता में लाभ के साथ-साथ मजदूरी में भी वृद्धि होनी चाहिए। हालांकि, जमीनी हकीकत
अक्सर इन भविष्यवाणियों के विपरीत होती है। फर्म अक्सर प्रशिक्षण के दौरान मजदूरी में कमी के
बिना अपने कर्मचारियों के सामान्य प्रशिक्षण में निवेश करती हैं। अर्थात्, यदि नया प्रशिक्षित
कर्मचारी प्रतिस्पर्धी नियोक्ताओं को यह संकेत देने में असमर्थ है कि वे अब अधिक कुशल हैं, तो वे
प्रशिक्षण के आधार पर उच्च वेतन प्रस्ताव उत्पन्न करने में सक्षम नहीं होंगे।उपलब्ध साक्ष्य बताते
हैं कि भारत में कौशल विकास के वित्तपोषण में निजी क्षेत्र की भूमिका, अपेक्षा से कम है। गैर-
लाभकारी संगठनों के साथ-साथ निजी क्षेत्र सरकारी धन के प्रमुख लाभार्थी रहे हैं।
शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार और युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के दोहरे उद्देश्यों की
पूर्ति के लिए, उत्तर प्रदेश सरकार भी अब बाजार की मांग के अनुसार युवाओं के कौशल को बढ़ाकर
रोजगार प्रदान करने में निजी कंपनियों के साथ सहयोग करने जा रही है। व्यावसायिक शिक्षा और
कौशल विकास विभाग ने घरेलू और वैश्विक जरूरतों का आकलन करने के लिए टाटा
टेक्नोलॉजीज, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा और आईबीएम (Tata Technologies, HCL
Technologies, Tech Mahindra and IBM) जैसी निजी कंपनियों के साथ सहयोग करने की
योजना बनाई है, ताकि बेरोजगारी की समस्या को हल किया जा सके।
इस संबंध में विभाग अपनी आगामी 100 दिवसीय योजना के तहत टाटा टेक्नोलॉजी की मदद से
50 राज्य के स्वामित्व वाले औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के आधुनिकीकरण पर काम करने जा
रहा है। इसके अंतर्गत आईटीआई (ITI) में प्रशिक्षण के लिए नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया
जाएगा और आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए किया जाएगा।
विभाग द्वारा तैयार की गई योजना के अनुसार एचसीएल टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियों की मदद
से 10,000 युवाओं को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में प्रशिक्षण और सुनिश्चित रोजगार दिया
जाएगा। इतना ही नहीं ऑन-जॉब ट्रेनिंग (on-job training) के दौरान छात्रों को मानदेय भी
मिलेगा। इस प्रशिक्षण के माध्यम से युवाओं को योग्य बनाया जाएगा, ताकि वे राज्य की स्वास्थ्य
सेवा में योगदान दे सकें और साथ ही किसी भी महामारी जैसी स्थिति में लोगों की सेवा कर सकें!
संदर्भ
https://bit.ly/3yxyqjW
https://bit.ly/3NUGUaA
https://bit.ly/3O4Ioiq
https://bit.ly/3c52VGo
चित्र संदर्भ
1. काम करते कर्मचारी को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
2. नौकरी गतिविधि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. जेपी मॉर्गन चेज़ एंड कंपनी को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. कम्प्यूटर सीखते छात्रों को दर्शाता एक चित्रण (content)
5. भारतीय ऑफिस कर्मचारियों को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
6. आईटीआई ट्रेनिंग को दर्शाता एक चित्रण (flickr)