उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पंख लगा सकते हैं, नीले राजमार्ग

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उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पंख लगा सकते हैं, नीले राजमार्ग

रोड हाइवे (Road Highway) के बारे में तो आपने भी सुना ही होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे उत्तर प्रदेश में जल्द ही एक जल राजमार्ग (Water Highway) भी शुरू होने वाला है? यह पहल उत्तर प्रदेश को आने वाले सालों में एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कदम हमारे शहर, देश और यहाँ के नागरिकों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। तो चलिए आज इन जल राजमार्गों यानी 'नीले राजमार्गों' और इनकी भूमिका के बारे में विस्तार से जानते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार, किफ़ायती यात्रा और कार्गो परिवहन के लिए, राज्य के विशाल नदी नेटवर्क (River Network) का उपयोग करने की एक महत्वाकांक्षी योजना बना रही है। इस योजना का प्रमुख लक्ष्य अगले दो से तीन वर्षों में 3 ट्रिलियन रुपये का व्यापारिक निर्यात हासिल करना है। वर्तमान में भारत में 111 अंतर्देशीय जलमार्ग (Inland Waterways) हैं, जिनमे से उत्तर प्रदेश में बारह प्रमुख जलमार्ग हैं। इन जलमार्गों में गंगा, यमुना, सरयू, बेतवा और चंबल शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सीधे बंदरगाहों और शुष्क बंदरगाहों से जुड़े इन अंतर्देशीय जलमार्ग टर्मिनलों (inland waterway terminals) का उपयोग करके परिवहन की लागत में काफी कटौती हो सकती है।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा प्रबंधित वाराणसी-हल्दिया अंतर्देशीय जलमार्ग पहले से ही चालू है। राज्य सरकार का लक्ष्य इन अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से कार्गो आवाजाही (cargo movement) को बढ़ावा देना है। यह रणनीतिक योजना कृषि और डेयरी उत्पादों के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के सामानों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है।
इस योजना को और भी अधिक प्रभावी बनाने हेतु राज्य सरकार ,यूपी अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (UP Inland Waterways Authority) की स्थापना पर भी विचार कर रही है। यह प्राधिकरण कार्गो और यात्री आवाजाही बढ़ाने, जल खेलों और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ज़िम्मेदार होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि “यह प्राधिकरण जल परिवहन और व्यापार को बढ़ावा देने, राज्य के उत्पादों को अन्य राज्यों और देशों में निर्यात करने का व्यावहारिक साधन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।” भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से कार्गो आवाजाही में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो 2016 में 16 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 109 मिलियन टन हो गई है। राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 के अनुसार, भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन के लिए 111 आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त अंतर्देशीय राष्ट्रीय जलमार्ग (एनडब्ल्यू) हैं। इनमें से अधिकांश या सटीक रूप से कहें तो 106 जलमार्ग 2016 में स्थापित किए गए थे। इन जलमार्गों की कुल लंबाई लगभग 20,275.5 किलोमीटर है।
इनमें से तीन जलमार्ग, NW-1, 2, और 3, वर्तमान में चालू हैं, और मालवाहक और यात्री/क्रूज़ दोनों जहाजों के लिए मार्ग प्रदान करते हैं। अंतर्देशीय जलमार्गों की परिचालनलागत ट्रेन और सड़क परिवहन की तुलना में कम होती है। लेकिन इसके बावजूद यह पर्यावरण की दृष्टि से भी टिकाऊ माने जाते हैं। इन पहलों के अनुरूप, उत्तर प्रदेश ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए सड़कों, एक्सप्रेसवे और मेट्रो रेल सहित परिवहन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश के लिए 55,000 करोड़ रुपये भी आवंटित किए हैं। यह निवेश 2027 तक उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य के अनुरूप किया गया है। 8 जनवरी, 2024 के दिन अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (IWDC) की उद्घाटन बैठक हुई थी जिसके बाद भारत के जलमार्गों पर बड़े निवेश की उम्मीद की जा रही है। कोलकाता में हुई इस बैठक में अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) विकास के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा और सहयोग करने के लिए 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी अधिकारियों, मंत्रियों और विशेषज्ञों को बुलाया गया था।
इसके तहत बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) ने अंतर्देशीय जहाजों को हरित संचालन की ओर ले जाने के लिए इस रोडमैप (roadmap) की शुरुआत की। इसके माध्यम से "ग्रीन वेसल्स (Green Vessels)" बनाने के लिए सीएनजी (CNG), एलएनजी (LNG), इलेक्ट्रिक, हाइड्रोजन और मेथनॉल जैसे कम उत्सर्जन वाले ईंधन के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बैंठक में बनाए गए रोडमैप के ज़रिये आर्थिक विकास के लिए "रिवर क्रूज़ पर्यटन" को बढ़ावा देने हेतु भी कई रणनीतियाँ प्रस्तुत की गई हैं। इस बैठक में शामिल हुए विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने यात्री और कार्गो आवाजाही के लिए अपने जलमार्गों की क्षमता का प्रदर्शन किया। उदाहरण के लिए, नागालैंड और तमिलनाडु ने आशाजनक संभावनाओं वाली विशिष्ट नदियों पर प्रकाश डाला। वहीं मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे अन्य राज्यों ने क्रमशः खनिज और तैयार माल परिवहन के लिए जलमार्ग का उपयोग करने के अवसरों का प्रदर्शन किया। बैठक के दौरान सभी राज्यों ने सर्वसम्मति से अपने जलमार्ग प्रणालियों के त्वरित विकास के लिए केंद्र सरकार से तकनीकी मार्गदर्शन और समर्थन मांगा। यहाँ पर आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) ने भी अपना ओपन पोंटून सिस्टम (Open Pontoon System) प्रस्तुत किया, जो उत्तर प्रदेश में पोंटून संचालन में तेजी लाने में सक्षम है।
इससे न केवल कार्गो और यात्री परिवहन की सुविधा मिलेगी, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, आर्थिक गतिविधि उत्पन्न होगी और स्वच्छ वातावरण में योगदान मिलेगा।

संदर्भ
https://tinyurl.com/3wux4nwd
https://tinyurl.com/5breb6bw
https://tinyurl.com/5n6c4ss8

चित्र संदर्भ
1. कोलकाता में हुगली नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. भारत में राष्ट्रीय जलमार्गों के मानचित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. वाराणसी में गंगा से घाटों के एक दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मानव निर्मित जलमार्ग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. राष्ट्रीय जलमार्ग 3 अलाप्पडु पुल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)