किट्रिड कवक संघ के जलीय फफूंद, फसलों को हानि के अलावा, हमें लाभ भी पहुंचाते हैं

फफूंदी और मशरूम
01-08-2024 09:24 AM
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 किट्रिड कवक संघ के जलीय फफूंद, फसलों  को हानि के अलावा, हमें लाभ भी पहुंचाते हैं

मेरठ में, प्रत्येक वर्ष फलों और सब्ज़ियों जैसी, कई टन कृषि उपज वॉटर मोल्ड(Water mold) नामक कवक द्वारा सड़कर, नष्ट हो जाती हैं । यह कवक किट्रिडस या किट्रिडोमाइकॉटा (Chytrids or Chytridomycota) नस्ल से संबंधित है। किट्रिड, कवक का एक समूह है, जो आम तौर पर छोटे फल, सब्ज़ियां, अनाज आदि जैसी चीज़ों पर पनपता है। भारत के कई हिस्सों में, वॉटर मोल्ड यानी पानी के फफूंद को, अक्सर ही ‘जलीय फफूंद’ कहा जाता है। तो, इस लेख में हम जलीय फफूंद और कवक के किट्रिड परिवार के बारे में जानेंगे। हम देखेंगे कि, वे पौधों और उनके आसपास के वातावरण को कैसे प्रभावित करते हैं, और हम अपनी फसलों को ऐसे कवक के हमलों से कैसे बचा सकते हैं। अंत में हम यह भी चर्चा करेंगे कि, कवक औषधि, भोजन, मिट्टी और पौधों के संवर्धन के माध्यम से हमें कैसे लाभ पहुंचाते हैं कई जलीय फफूंद ताज़े या खारे पानी के साथ-साथ, गीली मिट्टी में भी पाए जा सकते हैं। जलीय फफूंद की अधिकांश प्रजातियां सैप्रोट्रॉफ़िक(Saprotrophic) – मृत या सड़ने वाले कार्बनिक पदार्थों पर जीवित रहती हैं। लेकिन, कुछ प्रजातियां मछली, पौधों, शैवाल, प्रोटोज़ोआ (Protozoans) और समुद्री अकशेरुकी जीवों में बीमारियों का कारण बनती हैं।
दरअसल, जलीय फफूंद छोटे जीव होते हैं। परंतु, इनके माइसेलियम(Mycelium) अक्सर सड़ते हुए कार्बनिक पदार्थों के आसपास दिखाई देते हैं। इनके प्रजनन का सबसे आम तरीका, गतिशील अलैंगिक बीजाणुओं (ज़ूस्पोर्स – Zoospores) द्वारा होता है।
यह जलीय फफूंद किट्रिड संघ से संबंधित है। किट्रिडस, कवक के भीतर एक अलग समूह हैं, और सभी कवक की तरह उनमें चिटिन(Chitin) से बनी कोशिका भित्ति होती है। और, ऐसे कवक साइटोसोल(Cytosol) में ग्लाइकोजन(Glycogen) के रूप में, कार्बोहाइड्रेट(Carbohydrates) जमा करते हैं। किट्रिड समूह अन्य कवक से इस मामले में अलग है कि, वे कशाभिका(Flagella) युक्त ज़ूस्पोर्स का उत्पादन करते हैं। कशाभिका युक्त ज़ूस्पोर्स किसी भी अन्य कवक समूह में मौजूद नहीं हैं। किट्रिडस को कभी-कभी, कवक के सबसे आदिम समूह के रूप में वर्णित किया जाता है।
ये किट्रिड हमारे पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं। पराग कणों का उपभोग करने की किट्रिड की क्षमता महत्वपूर्ण है, क्योंकि, कुछ आवासों में पराग प्रचुर मात्रा में उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा, जलीय होते हुए भी, उनका छोटा आकार, उन्हें मिट्टी में मौजूद पानी में पनपने की अनुमति देता है। कुछ किट्रिड, चिट्रिडिओमाइकोसिस(Chytridiomycosis) जैसी बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। यह उभयचरों में त्वचा की एक बीमारी है, जो मेंढक और टोड(Toads) की आबादी में वैश्विक गिरावट का कारण बनी है। इससे, कुछ उभयचर प्रजातियां विलुप्त भी हुई हैं। साथ ही, कुछ किट्रिडस पौधों में भी रोग का कारण बनते हैं।
एक तरफ़, छोटे फलों में शामिल कवक फाइटोफ्थोरा(Phytophthora) और पाइथियम(Pythium) की प्रजातियां होती हैं।
आइए अब जानते हैं कि, कवक संक्रामण से ऐसी फसलों की सुरक्षा कैसे की जाती हैं।
1.) आनुवंशिक और सांस्कृतिक नियंत्रण: जलीय फफूंद के खिलाफ पहला बचाव आनुवंशिक और सांस्कृतिक होना चाहिए। यदि अपेक्षाकृत गीली जगह या भारी मिट्टी ही एकमात्र रोपण विकल्प है, तो छोटे फलों के लिए ऊंची क्यारियों का उपयोग करने पर विचार करें। ऊंची क्यारियां, जड़ क्षेत्र में खड़े पानी को कम या समाप्त कर देती हैं | इस प्रकार, फाइटोफ्थोरा या पाइथियम द्वारा जड़ संक्रमण की संभावना को कम या समाप्त किया जा है। इसके अलावा, प्रतिरोधी या सहनशील किस्मों का चयन करने से भी जड़ रोग की समस्याओं पर काफ़ी रोक लगाई जा सकती है।
2.) मल्चिंग(Mulching): मल्च एक ऐसा उपकरण है, जिसका उपयोग कई छोटे फलों के पौधों में किया जाता है। स्ट्रॉबेरी की फ़सल की गलियों और पंक्तियों में, साफ भूसा या घास बिखेरने से, पौधों पर मिट्टी के छींटे खत्म किए जा सकते हैं। क्योंकि, मिट्टी का छींटा सड़न रोग के फैलने के लिए ज़िम्मेदार होता है।
3.) रासायनिक नियंत्रण: रसायन, आम तौर पर संक्रमण के शुरुआती चरणों में उपयोग किए जाने पर अधिक प्रभावी होते हैं। जब तक पौधों में गंभीर लक्षण दिखने लगेंगे, तब तक उपचार से कोई खास फ़ाएदा नहीं होगा। कवकनाशी मानक अनुप्रयोगों की तुलना में अधिक आपातकालीन उपचार हैं। परंतु, साल-दर-साल उनके निरंतर उपयोग के परिणामस्वरूप, उपचारित कवक द्वारा इन रसायनों के खिलाफ़ प्रतिरोध विकसित हो सकता है। इसलिए, नवीनतम रासायनिक नियंत्रण जानकारी के लिए अपने स्थानीय सहकारी विस्तार केंद्र से परामर्श लें। विरोधाभास में, हमारे दैनिक जीवन में कवक के लाभ भी होते हैं।
1.) दवा: कई सामान्य दवाएं कवक का उपयोग करके बनाई जाती हैं। कुछ कवक स्वाभाविक रूप से बैक्टीरिया को मारने या उनकी वृद्धि को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स(Antibiotics) का उत्पादन करते हैं। पेनिसिलियम रूबेन्स(Penicillium rubens) नामक कवक, कुछ बैक्टीरिया की वृध्दि को रोकते हैं । इसी कारण, इससे पेनिसिलिन(Penicillin) एंटीबायोटिक की खोज हुई। फफूंद द्वारा उत्पादित एंटीबायोटिक दवाएं, जीवाणु संक्रमण से लड़ती हैं। एक अन्य जीवन रक्षक यौगिक – साइक्लोस्पोरिन(Cyclosporine), टॉलीपोक्लेडियम इनफ्लैटम(Tolypocladium inflatum) कवक द्वारा निर्मित होता है।
2.) भोजन: खाने योग्य मशरूम स्वादिष्ट होते हैं, और हमारे आहार में स्वस्थ वसा और प्रोटीन जोड़ते हैं। लेकिन, कवक कई अन्य सामान्य खाद्य पदार्थों में भी मौजूद होते हैं। पेनिसिलियम रॉकफ़ोर्टी (Penicillium roqueforti) और पेनिसिलियम कैमेम्बर्टी(Penicillium camemberti) जैसे जलीय फफूंद नीले चीज़ ( रॉकफ़ोर्ट – Roquefort) और कैमेम्बर्ट(Camembert) को पकाते हैं। एक तरफ़, बेकर यीस्ट(Baker yeasts), एक सूक्ष्म एककोशिकीय कवक है। इसके उपयोग से ब्रेड का आटा फूलता है, बीयर और वाइन किण्वित होते हैं और मार्माइट(Marmite) को विशिष्ट स्वाद मिलता है। आटे के किण्वन के दौरान, आटे में मौजूद खमीर और बैक्टीरिया शर्करा (sucrose) को खाना शुरू कर देते हैं, और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन करते हैं, जिससे आटे को फूलने में मदद मिलती है।
यहां तक कि, चॉकलेट भी अपना विशिष्ट स्वाद पाने के लिए कवक पर निर्भर करती है। चॉकलेट के बीज एक किण्वन प्रक्रिया से गुज़रते हैं, जिसमें, जंगली खमीर, तंतु युक्त कवक और बैक्टीरिया चॉकलेट का स्वाद विकसित करते हैं।
3.) मिट्टी और पौधे: पौधों की जड़ों से जुड़ने वाले कवक को, माइकोरिज़ल कवक(Mycorrhizal fungi) कहा जाता है। अनुमान है कि, पृथ्वी पर लगभग 90% पौधों की जड़ों में माइकोरिज़ल कवक जुड़ा हुआ है। ये कवक पौधों को पानी अवशोषित करने, पोषक तत्व प्रदान करने और उन्हें कीटों और सूखे से बचाने में मदद करते हैं। बदले में, पौधे कवक को प्रकाश संश्लेषण से शर्करा (sucrose) प्रदान करते हैं।
कवक का एक अन्य समूह जो पौधों को सहायता प्रदान करता है, एंडोफाइटिक कवक(Endophytic fungi) कहलाता है। वे पौधों के भीतर जड़ों, अंकुरों और/या पत्तियों में रहते हैं। पौधों के भीतर मौजूद एंडोफाइटिक कवक पौधों की वृद्धि और रोग, सूखे और अन्य तनावों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता में सुधार कर सकते हैं। बदले में, एंडोफाइटिक कवक को रहने के लिए जगह मिलती है, और वे अपने मेज़बान पौधे की मृत्यु या क्षति के बाद विघटित हो सकते हैं, और उन पर निर्वाह कर सकते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/34hefpct
https://tinyurl.com/548adnhe
https://tinyurl.com/43znh3s9
https://tinyurl.com/22dtrcd9

चित्र संदर्भ
1. जलीय फफूंद को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. समुद्री स्पंज प्रजाति, यरसिनिया वेरिएबिलिस से एकत्रित कवक की रूपात्मक विविधता को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. एविसेनिया मरीना नामक सफेद मैंग्रोव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. सबसे गहरे समुद्र तल से लेकर मूंगा चट्टानों और अंतरज्वारीय क्षेत्रों तक पाए जाने वाले एनाबेला ऑस्ट्रेलियन्सिस समुद्री कवक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)