अजंता व बाघ की गुफाओं के भित्तिचित्र, सहस्राब्दियों से चली आ रही एक समृद्ध परंपरा हैं!

दृष्टि III - कला/सौंदर्य
07-08-2024 09:17 AM
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अजंता व बाघ की गुफाओं के भित्तिचित्र, सहस्राब्दियों से चली आ रही एक समृद्ध परंपरा हैं!

रोलो आर्ट गैलरी और भारतीय कला मंडल, हमारे शहर मेरठ के कुछ प्रसिद्ध कला संग्रहालय हैं। इन्हें अपने प्राचीन, अद्वितीय कला और हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि, महाराष्ट्र की अजंता गुफाएं को यूनेस्को(UNESCO) द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है? दरअसल, भारत में गुफा कला और दीवार चित्रों की सहस्राब्दियों से चली आ रही एक समृद्ध परंपरा है। वे भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हुए विविध विषयों, धार्मिक आख्यानों और क्षेत्रीय शैलियों का चित्रण करते हैं। तो इस लेख में, हम कुछ ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध चित्रों के साथ-साथ महाराष्ट्र में अजंता और मध्य प्रदेश में स्थित बाघ की गुफा कला के बारे में विस्तार से बात करेंगे। हम दक्षिण भारतीय मंदिरों में, चोल शासनकाल के दौरान बनाए गए, दीवार चित्रों पर भी चर्चा करेंगे। अंत में, हम यह पता लगाएंगे कि, ये चित्र कैसे अद्वितीय हैं, और वे किस विषय पर आधारित थे।
क्या आप जानते हैं कि, अजंता गुफा में प्राचीन काल की कुछ पेंटिंग्स, दीवारों पर गाय के गोबर और मिट्टी जैसी विभिन्न सामग्रियों का उपयोग करके बनाई गई थीं? उन्हें कई अलग-अलग तकनीकों का उपयोग करके भूरे, पीले, काले और सफेद आदि विभिन्न रंगों में चित्रित किया गया था। अजंता गुफा चित्र टेम्पेरा(Tempera) नामक एक तकनीक का उपयोग करके बनाए गए थे। यहां की अधिकांश पेंटिंग बुद्ध के जीवनकाल से सम्बंधित, जातक कथाओं की कहानियां बताती हैं, जिनमें कुछ मुख्य पेंटिंग्स निम्नलिखित हैं:
1.) बोधिसत्व पद्मपाणि: अजंता गुफाओं की गुफा संख्या 1 में बनी यह भव्य पेंटिंग, बुद्ध के पूर्व अस्तित्व को चित्रित करके बनाई गई है, और दुनिया भर से आने वाले दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर देती है । अजंता गुफाओं की गुफा संख्या 1, गौतम बुद्ध के जीवन की कुछ सबसे विस्तृत नक्काशी और मूर्तियों के लिए जानी जाती है।
2.) राजा जनक और उनकी पत्नी: यह विदेह के राजा जनक की एक पेंटिंग है, जो अपनी पत्नी के साथ महल में बैठे हैं। इसमें राजा जनक को अपनी पत्नी से, बात और चर्चा करते हुए दर्शाया गया है।उनकी चर्चा का विषय ऐसा प्रतीत होता है कि, वह अपने सांसारिक जीवन को त्यागना चाहते है, एकांत का जीवन जीना चाहते है, और मोक्ष की ओर जाना चाहते है।
3.) फ़ारसी राजदूत की पेंटिंग: अजंता गुफा संख्या 1 में, छत पर बनी यह पेंटिंग, एक सामान्य सजावटी रूपांकन है, जो प्राचीन भारत में फ़ारसी संस्कृति के महत्व को बताती है। पेंटिंग में एक सुंदर फ़ारसी राजदूत को चित्रित किया गया है, जो मूल भारतीय निवासियों से घिरा हुआ है।
4.) बुद्ध पेंटिंग: गुफा संख्या 6 के दरवाज़े पर जटिल व सुंदर चित्रों के साथ, यह पेंटिंग बुद्ध के जीवन की विभिन्न घटनाओं को दर्शाती है। इस दो मंज़िला गुफा का उपयोग, भिक्षुओं के घर के रूप में किया जाता था। यह पेटिंग तब अधूरी थी और पूरी तरह से नहीं बनी थी। इस गुफा में एक बुद्ध प्रतिमा भी विराजमान है।
5.) द्वार पेंटिंग: अजंता गुफाओं में कई द्वार चित्रों में से एक, यह चित्र राजाओं और समुदायों के दृश्यों को दर्शाता है, जो एक-दूसरे के साथ खाने और शराब पीने का आनंद ले रहे हैं।
अजंता के अलावा, मध्य प्रदेश की बाघ गुफाओं की पेंटिंग्स भी, काफी प्रसिद्ध हैं। बाघ गुफाएं नौ चट्टानों को काटकर बनाए गए, स्मारकों को संदर्भित करती हैं।ये विंध्य पर्वत के दक्षिणी भाग में, धार ज़िले के बाघ गाँव के पास स्थित हैं। छठी शताब्दी के आसपास, इन्हें प्राचीन भारतीय कलाकारों द्वारा बनाया गया था और आज इन्हें भित्ति चित्रों के रूप में जाना जाता है।
पहली गुफा या गृह में, शिवलिंग और द्विचरण थे, जो गुफा के मुख्य पुजारी के निवास के रूप में कार्य करते थे।दूसरी गुफा या पांडवों की गुफा अथवा गोंसाई गुफा,केवल आवासीय उपयोग के लिए बनाई गई थी, और इसमें कमल पर विराजमान, बुद्ध की एक मूर्ति थी।तीसरी गुफा या हाथीखाना, समाज के अभिजात्य वर्ग के लिए बनाया गया था, जिसमें दो कक्ष थे। एक कक्ष में दोनों तरफ, कोठरियां थी, जबकि, दूसरे कक्ष में कोठरियां नहीं थीं। चौथी गुफा या रंग महल, स्मारकों के समूह में सबसे बड़ी है। इसके प्रत्येक कक्ष के तीन तरफ कोठरियां हैं, और केंद्र में एक स्तूप है। पांचवी गुफा का उपयोग बैठक स्थल के रूप में किया जाता था। इसके कक्ष को स्तंभों की दो पंक्तियों द्वारा, तीन खंडों में विभाजित किया गया है।
बाघ गुफाओं का वराह व दीवारें तथा छतें भित्तिचित्रों से ढकी हुई हैं। इनमें से कई पेंटिंग रंग महल गुफा में पाई जा सकती हैं। इसके अलावा, गुफाओं के स्तंभ विभिन्न छवियों को चित्रित करने वाले, ब्रैकेट कैपिटल(Bracket capital) से सुशोभित हैं। कई भित्ति चित्र दीवारों को सुशोभित करते हैं, जिनमें बोधिसत्व पद्मपाणि, और अन्य चित्रण शामिल हैं। गुफा 3 ने भी अपने चित्रों के माध्यम से जीवन के संकेत प्रकट किए। और, कुछ चित्रों के अवशेष गुफा 2, 5, और 7 में देखे जा सकते हैं। ढहती हुई गुफाओं की पेंटिंग्स को, ग्वालियर के पुरातत्व संग्रहालय और बाघ के प्रत्यक्ष संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। ये चित्र आध्यात्मिकता से अधिक सांसारिक हैं। साथ ही, इन चित्रों के गुण, अजंता गुफा चित्रों में भी पाए जा सकते हैं।
दूसरी ओर, दक्षिण भारत की चोल पेंटिंग भी, कला में बहुत महत्वपूर्ण हैं। तब चित्रकारों ने चोल राजवंश की धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं को प्रदर्शित करते हुए, मंदिरों की दीवारों और अंदरूनी हिस्सों को चित्रों से सजाया था।
चोल पेंटिंग मुख्य रूप से दीवारों, भित्ति चित्रों और लकड़ी के खंडों पर बनाई जाती थीं, जो अक्सर मंदिरों के अंदरूनी हिस्सों की शोभा बढ़ाती थीं। तंजौर, दारासुरम और गंगईकोंडचोलापुरम जैसे चोल मंदिरों की दीवारों पर, बड़े आकार के कई प्रतीक हैं, जिनका बेहतरीन कार्यान्वयन किया गया है।
चोल चित्रों में चेहरे के भाव और हाथ के हाव-भाव पर विशेष ध्यान दिया जाता था। राजराजाचोल प्रथम की अपने गुरु करुवुर देवर को सुनते हुए बनाई गई पेंटिंग, इसका एक अच्छा उदाहरण है।इसके अलावा, चोल चित्रकला के विषय अक्सर शिव और विष्णु जैसे देवताओं के इर्द-गिर्द घूमते थे। इन चित्रों में देवताओं को विभिन्न रूपों और अभिव्यक्तियों में चित्रित किया गया है, जो उनके दिव्य गुणों, प्रतीकवाद और आख्यानों को प्रदर्शित करते हैं। इनमें, शिव जी का कैलाश में वास, त्रिपुरांतक तथा नटराज के रूप में शिव, आदि शामिल हैं।
इसके अलावा नार्थमलाई और मलयादिपट्टी में प्रारंभिक चोल चित्रकला के नमूने हैं। पेरियापुराणम की घटनाओं को लघुचित्रों के रूप में दारासुरम मंदिर के गर्भ-गृह की दीवार के आधार पर दर्शाया गया है। जबकि, तंजौर के बृहदीश्वर मंदिर में योग-दक्षिणामूर्ति के रूप में शिव, जैसी समृद्ध चोल पेंटिंग हैं।
तंजौर के राजराजेश्वर मंदिरों की नृत्यरत आकृतियां 11वीं शताब्दी ईसा पूर्व की शुरुआत की हैं। ये पेंटिंग दक्षिण भारतीय परंपरा की शानदार शैली को प्रदर्शित करती हैं, और पल्लव (चोल के पूर्व) और विजयनगर (चोल के पश्चात) काल के लिए एक कड़ी के रूप में बनी हुई हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/ynwfx6m3
https://tinyurl.com/tf26ec5m
https://tinyurl.com/k9kcpn62
https://tinyurl.com/ccnmzz32

चित्र संदर्भ
1. अजंता व बाघ की गुफाओं के भित्तिचित्र को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. बोधिसत्व पद्मपाणि को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. राजा जनक और उनकी पत्नी की पेंटिंग को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. फ़ारसी राजदूत की पेंटिंग को दर्शाता एक चित्र (wikimedia)
5. अजंता में भगवान् बुद्ध की पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. अजंता की द्वार पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. बाघ गुफाओं की पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. बाघ गुफाओं के वराह को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. बृहदेश्वर शिव मंदिर में चोल शासकों के दौरान निर्मित पेंटिंग को दर्शाता चित्रण (wikimedia)