गणेश चतुर्थी के अवसर पर जानें, गणेश जी के प्रतीक – हाथियों के मेलों के बारे में

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
07-09-2024 09:17 AM
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गणेश चतुर्थी के अवसर पर जानें, गणेश जी के प्रतीक – हाथियों के मेलों के बारे में
एकदंताय विद्‍महे। वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात।।
मेरठ के नौचंदी मेले में, हाथियों को, विभिन्न प्रकार के कपड़ों और आभूषणों जैसे कि, गलीचे, पायल व चांदी के गहनों से सजा हुआ देखना, कोई असामान्य बात नहीं है। मेरठ के नौचंदी मैदान में आयोजित होने वाला, यह मेला लगभग एक महीने तक चलता है। इसका आयोजन, मेरठ नगर निगम द्वारा किया जाता है। इसके अलावा, बिक्री और खरीद के लिए, पंक्तिबद्ध सजाए गए हाथी, उत्तरी बिहार के ‘सोनपुर मेले’ का ‘स्टार आकर्षण’ हैं। यह मेला, गंगा नदी के तट पर, उसकी सहायक नदी – गंडक के संगम पर, आयोजित किया जाता है। इस मेले में, न केवल मवेशी बल्कि, विभिन्न नस्लों के कुत्ते, हाथी, ऊंट और पक्षी प्रजातियां भी बेची जाती हैं। तो चलिए, आज इन हाथियों के मेलों के बारे में, विस्तार से बात करते हैं। आगे, हम ‘सोनपुर मेले’, इसके इतिहास और यहां बेचे जाने वाले, मवेशियों के प्रकार के बारे में बात करेंगे। हम, इस बात पर भी प्रकाश डालेंगे कि, कैसे हाथियों की बिक्री और खरीद, इस आयोजन का केंद्र बिंदु है। आगे, हम ‘जयपुर के हाथी उत्सव’ और उसकी गतिविधियों पर भी चर्चा करेंगे। उसके बाद, हम दुनिया के सबसे बड़े हाथी उत्सव – ‘सुरिन हाथी राउंड-अप’, के बारे में जानेंगे।
नौचंदी मेला, आमतौर पर, होली के बाद, दूसरे रविवार से शुरू होता है। यहां का मुख्य प्रदर्शन, ग्रामीण उत्तर प्रदेश में, अपनाए जाने वाले, कलात्मक और धार्मिक अनुष्ठान हैं। इस मेले में, हर वर्ष, 50,000 से अधिक पर्यटक आते हैं। भारतीय रेलवे की, मेरठ से लखनऊ तक चलने वाली, ‘नौचंदी एक्सप्रेस’ ट्रेन का नाम, इसी मेले के नाम पर रखा गया है।
नौचंदी मेले में, लखनऊ की चिकनकारी कला के काम; मुरादाबाद के पीतल के बर्तन; वाराणसी के कालीन, गलीचे और रेशम की साड़ियां; आगरा के जूते एवं मेरठ के चमड़े के सामान, आदि दुकानें होती हैं। खेल का सामान, कैंची, गजक, नान-खटाई, जैसे मेरठ के अपने उत्पाद भी यहां बेचे जाते हैं। विशाल सवारी, पहिए, सर्कस और कई अन्य मनोरंजक क्षेत्र, जहां कलाकार करतब दिखाते हैं, इस मेले के बड़े आकर्षण होते हैं।
दूसरी ओर, सोनपुर के, सबसे बड़े पशु मेले की उत्पत्ति का पता, भारतीय राजा और भारत के पहले शासक – चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल से लगाया जा सकता है। चंद्रगुप्त, गंगा नदी के पार, हाथी और घोड़े खरीदते थे। कुछ ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, मध्य एशिया के कई व्यापारी, इस उत्सव में भाग लेने के लिए, एकत्रित होते थे।
सोनपुर मेले में, पशु व्यापार को, विभिन्न जानवरों के एक बड़े बाज़ार में बदल दिया गया है। अतः इस बाज़ार में, मुख्य रूप से, हाथी, भैंस, गाय, बकरी, कुत्ते, घोड़े, खरगोश, बिल्लियां, मुर्गियां और विभिन्न प्रकार की पक्षी प्रजातियां शामिल हैं। मेले के दौरान, इन मवेशियों को बेचा और खरीदा जाता है। इसके अतिरिक्त, हाथी, सोनपुर मेले के आकर्षण का केंद्र होते हैं।
जिस प्रकार, राजस्थान, पुष्कर मेले में ऊंटों का दावा करता है, उसी प्रकार, बिहार के सोनपुर मेले में भी, बिक्री और खरीद के लिए, सजे-धजे हाथियों की एक विस्तृत श्रृंखला होती है। इसे ‘स्टार आकर्षण’ के रूप में जाना जाता है। यहां के रत्नजड़ित विशाल हाथी, देखने लायक होते हैं। इस प्रकार, ये हाथी, इस मेले की सुंदरता को बढ़ाते हैं।
सोनपुर या नौचंदी मेला ही नहीं, बल्कि, जयपुर में भी, एक हाथी महोत्सव होता है। यहां भी, हाथियों को विभिन्न प्रकार के कपड़ों और आभूषणों, जैसे कि, गलीचे, पायल, चांदी के गहने, कढ़ाई वाले कपड़े, आदि से सजाया और संवारा जाता है । इसके अलावा, हाथी के रखवालों द्वारा, कुछ हाथियों को अलग-अलग रंगों में रंगा भी जाता है। साथ ही, महावतों को, चांदी के आभूषणों के साथ, शाही पोशाक भी पहनाई जाती है।
जयपुर के हाथी महोत्सव में, हाथी रस्साकशी, हाथी दौड़, हाथी पोलो जैसे, कई हाथी-आधारित खेल, त्योहार को परिपूर्ण करते हैं। इस अवसर पर, हाथियों को पोलो जैसे खेल खेलते और आपस में दौड़ लगाते हुए देखना, एक अद्भुत अनुभूति है। इसके अलावा, हाथी महोत्सव की मुख्य विशेषताओं में से एक, एक हाथी और 19 पुरुषों और महिलाओं के बीच रस्साकशी है। इसके अतिरिक्त, मेले में, कुछ हाथी भीड़ पर रंग भी छिड़कते हैं, व लोगों को मालाएं भी पहनाते हैं।
हमारे देश भारत के इन हाथी मेलों के अलावा, विश्व का सबसे बड़ा हाथी महोत्सव, सुरिन हाथी राउंड-अप(Surin Elephant Round-up) है। यह, थाईलैंड(Thailand) के सुरिन शहर में स्थित, श्री नारोंग खेल स्टेडियम और हाथी शो ग्राउंड में आयोजित किया जाता है। इस महोत्सव की गतिविधियों में, हाथियों के लिए, दुनिया के सबसे बड़े, बुफ़े भोजन की पेशकश शामिल है, जो हाथी शो से, एक दिन पहले आयोजित किया जाता है। प्रांतीय विभाग, फ़ुटपाथ के किनारे, 500 मीटर लंबी बुफ़े टेबल की व्यवस्था करता है, जहां, हाथियों के लिए, भोजन रखा जाता है। तब, सभी महावत, प्रचुर मात्रा में सब्जियों का आनंद लेने के लिए, अपने हाथियों को यहां लाते हैं।
हाथी शो, जिसे इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण माना जाता है, में एक हाथी परेड; अपने महावतों के आदेशों का पालन करने वाले हाथी; अपनी बुद्धि का प्रदर्शन करने वाले हाथी; हाथी की दौड़; उछलते–कूदते हाथी; हाथी फ़ुटबॉल खेल और युद्ध हाथियों की परेड शामिल है। हर साल, नवंबर के तीसरे सप्ताहांत में आयोजित होने वाला, यह प्रभावशाली शो, सुरिन हाथी शो ग्राउंड में, 200 हाथियों को एक साथ लाता है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/bdzh9pk5
https://tinyurl.com/5n84cwjt
https://tinyurl.com/9d4jd34u
https://tinyurl.com/4tafcnkt

चित्र संदर्भ

1. सोनपुर मेले के पवित्र स्नान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मेरठ के नौचंदी मेले को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. जयपुर के हाथी महोत्सव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. सुरिन हाथी राउंड-अप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)