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सिक्के सदैव ही हमें अपनी ओर आकर्षित करने का कार्य करते हैं, इनका सौन्दर्य ही नहीं अपितु इनका मोल भी इंसान को अपनी ओर आकर्षित करने का कार्य करता है। भारत में महाजनपद काल से ही सिक्के पाए जाते हैं, इन सिक्कों को आहत सिक्के या (Punch Mark Coin) के नाम से जाना जाता है। आहत सिक्के मुख्यतया चांदी के बनाये जाते थे। मेरठ जिला महाजनपद काल में एक महत्वपूर्ण स्थान था जिस कारण यहाँ पर वर्तमान काल में आहत सिक्कों की प्राप्ति हुयी है। ये सिक्के किसी एक समान आकार के नहीं होते थे, आहत सिक्कों के बाद कुषाणों के काल में सिक्कों का विकास तीव्र गति से हुआ और सिक्कों पर कई बदलाव दिखने लगे।
कुषाणों के काल में यह भूखंड उन्ही के अधिकार में था। यही कारण है कि मेरठ के आस पास में कई कुषाण कालीन पुरास्थल दिखाई दे जाते हैं। भारतीय इतिहास के स्वर्ण युग के रूप में गुप्त काल को माना जाता है। इस काल में सम्पूर्ण भारत में कई इमारतों आदि का निर्माण हुआ तथा ऐतिहासिक रूप से भारत का विस्तार भी हुआ था। गुप्त कालीन स्वर्ण सिक्के सम्पूर्ण विश्व के स्वर्ण सिक्कों में सबसे अधिक उत्कृष्ट माने जाते हैं। ब्रिटिश संग्रहालय लन्दन द्वारा प्रकाशित पुस्तिका के अनुसार यह विश्व के सबसे उत्तम आविष्कारों में से एक हैं। गुप्तों का शासन सम्पूर्ण उत्तर भारत में फैला हुआ था, मेरठ में कई गुप्तकालीन टीले अभी भी स्थित हैं। मुगलों के काल में जब मुग़ल अपनी चरम पर थे तो उस समय अकबर ने मेरठ में ताम्बे के सिक्के की टकसाल बनवाई। मेरठ के इस टकसाल से कई प्रकार के सिक्कों का निर्माण किया गया था तथा मुगलों के पतन के काल में इस टकसाल का भी पतन हो गया था।
1. क्वोइंस, पी.एल.गुप्ता
2. फीचर लेखन, पी.के.आर्य