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मेरठवासियो, आज जब हम दवाओं और स्वास्थ्य सेवा की दुनिया की बात करते हैं, तो कुछ कंपनियाँ ऐसी हैं जिन्होंने अपनी खोज और नवाचार के माध्यम से न सिर्फ वैश्विक स्तर पर बल्कि भारत में भी जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें ब्रिटेन की दिग्गज कंपनियाँ एस्ट्राज़ेनेका (AstraZeneca) और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GlaxoSmithKline – GSK) - विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ये कंपनियाँ केवल दवाएँ बनाने तक सीमित नहीं हैं; इनके अनुसंधान केंद्रों और वैज्ञानिक नवाचारों ने कई गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, मधुमेह, श्वसन रोग और हृदय रोगों के इलाज में नए आयाम स्थापित किए हैं। वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में इनका योगदान इतनी गहरी छाप छोड़ता है कि इनके उत्पादों और टीकों का असर करोड़ों लोगों के जीवन पर प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है। भारत जैसे देश में, जहाँ स्वास्थ्य सेवा और रोग निवारण की चुनौतियाँ लगातार बढ़ रही हैं, इन कंपनियों का महत्व और भी स्पष्ट हो जाता है। मेरठवासियो, यह जानना दिलचस्प होगा कि इन कंपनियों का इतिहास क्या रहा, उन्होंने किस तरह वैश्विक और भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था को प्रभावित किया और वर्तमान में ये किस दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
आज सबसे पहले, हम एस्ट्राज़ेनेका (AstraZeneca) के इतिहास और इसके वैश्विक योगदान को समझेंगे, ताकि यह पता चल सके कि यह कंपनी चिकित्सा क्षेत्र में क्यों महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके बाद, हम देखेंगे कि चिकित्सा जगत में एस्ट्राज़ेनेका की प्रमुख उपलब्धियाँ और नवाचार कौन-कौन से रहे हैं, जिन्होंने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। फिर हम गहराई से जानेंगे कि ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन का ऐतिहासिक विकास और वैश्विक विस्तार कैसे हुआ, और यह उद्योग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कैसे अपनी पकड़ बनाता है। अंत में, हम भारत में जीएसके की स्थिति और हाल की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे, जिससे यह समझना आसान होगा कि फार्मास्युटिकल उद्योग का भविष्य किस दिशा में बढ़ रहा है।
एस्ट्राज़ेनेका का इतिहास और वैश्विक योगदान
एस्ट्राज़ेनेका का सफ़र फार्मा उद्योग के इतिहास में एक अहम मोड़ की तरह है। 1999 में स्वीडन (Sweden) की ‘एस्ट्रा एबी’ (Astra AB) और ब्रिटेन (Britain) की ‘ज़ेनेका’ (Zeneka) के विलय से इस कंपनी की नींव रखी गई। यह कदम सिर्फ़ दो कंपनियों का मेल नहीं था, बल्कि वैश्विक स्तर पर दवा अनुसंधान और उत्पादन के क्षेत्र में एक नई ताक़त का उदय था। कुछ ही वर्षों में एस्ट्राज़ेनेका ने अपने शोध और नवाचारों के बल पर दुनिया की अग्रणी फार्मास्युटिकल कंपनियों की सूची में जगह बना ली। इसका मुख्यालय इंग्लैंड के कैम्ब्रिज (Cambridge) में स्थित है, जहाँ ‘कैम्ब्रिज बायोमेडिकल कैंपस’ (Cambridge Biomedical Campus) इसे विश्वस्तरीय शोध का केंद्र बनाता है। कंपनी के तीन प्रमुख अनुसंधान केंद्र इंग्लैंड, स्वीडन और अमेरिका में फैले हैं, जहाँ से नई दवाओं और तकनीकों पर काम किया जाता है। बीसवीं सदी में जब दवा उद्योग तेज़ी से विकसित हो रहा था, तब एस्ट्राज़ेनेका ने अपनी पहचान न केवल यूरोप बल्कि अमेरिका और एशिया में भी स्थापित की। आज इसे दुनिया की सबसे बड़ी और भरोसेमंद दवा कंपनियों में गिना जाता है, जिसका नाम वैज्ञानिक प्रगति और नवाचार का पर्याय बन चुका है।
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चिकित्सा क्षेत्र में एस्ट्राज़ेनेका की प्रमुख उपलब्धियाँ
एस्ट्राज़ेनेका ने चिकित्सा जगत में कई क्रांतिकारी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। कंपनी श्वसन रोगों, कैंसर (ऑन्कोलॉजी - Oncology), तंत्रिका विज्ञान और हृदय संबंधी बीमारियों पर अनुसंधान के लिए जानी जाती है। इसकी सबसे बड़ी वैश्विक उपलब्धि कोविड-19 (COVID-19) महामारी के दौरान सामने आई, जब ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर ‘ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन’ (Oxford-AstraZeneca vaccine) विकसित की गई। यह टीका महामारी के अंधेरे दौर में करोड़ों लोगों के जीवन बचाने में मील का पत्थर साबित हुआ। कंपनी यहीं नहीं रुकी। उसने भविष्य के लिए भी स्पष्ट योजनाएँ बनाई हैं। 2030 तक 20 नई दवाएँ लॉन्च करने का लक्ष्य तय किया गया है, जिनमें कैंसर, मधुमेह और अन्य गंभीर बीमारियों की नई दवाएँ शामिल हैं। ‘टैग्रिसो’ (Tagrisso) (फेफड़ों के कैंसर के लिए), ‘कैलक्वेन्स’ (Calquence) (ल्यूकेमिया के लिए) और ‘फ़ार्ज़ीगा’ (Farziga) (मधुमेह के लिए) जैसी दवाएँ पहले से ही वैश्विक स्तर पर लाखों रोगियों के जीवन को आसान बना रही हैं। राजस्व में 75% की वृद्धि के लक्ष्य के साथ, एस्ट्राज़ेनेका केवल व्यापार पर ही नहीं, बल्कि रोगियों की ज़िंदगी सुधारने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
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ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन का ऐतिहासिक विकास और वैश्विक विस्तार
ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन का इतिहास लगभग दो शताब्दियों पुराना है। 1830 में जॉन के. स्मिथ ने अमेरिका के फिलाडेल्फ़िया में एक छोटी-सी दवा की दुकान खोली थी, जो धीरे-धीरे एक बड़े उद्यम का रूप लेती गई। 19वीं और 20वीं सदी के दौरान कई कंपनियों के साथ विलय और अधिग्रहण ने जीएसके को और मज़बूत बनाया। 2000 में ‘ग्लैक्सो वेलकम’ (Glaxo Welcome) और ‘स्मिथक्लाइन बीचम’ के विलय से आधुनिक जीएसके का जन्म हुआ। आज इसका मुख्यालय लंदन में है और यह 100 से अधिक देशों में सक्रिय है। कंपनी का मिशन - “लोगों को बेहतर महसूस कराना और लंबे समय तक जीने में मदद करना” - इसकी पहचान को स्पष्ट करता है। जीएसके ने न सिर्फ़ दवाएँ बल्कि वैक्सीन और उपभोक्ता स्वास्थ्य उत्पाद भी उपलब्ध कराए हैं। विटामिन डी की दवा ‘ओस्टेलिन’ (Ostelin), आधुनिक एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) और नवीनतम वैक्सीन रिसर्च इसके योगदान का हिस्सा हैं। इसकी शुरुआती फ़ैक्ट्रियाँ और प्रयोगशालाएँ दुनिया के पहले आधुनिक दवा उत्पादन केंद्रों में गिनी जाती हैं, जिन्होंने दवा उद्योग की दिशा ही बदल दी। इस कारण जीएसके को वैश्विक स्तर पर सबसे भरोसेमंद फार्मा ब्रांड्स में गिना जाता है।

भारत में जीएसके की स्थिति और हाल की चुनौतियाँ
भारत में जीएसके ने लंबे समय से अपनी मज़बूत उपस्थिति बनाए रखी है। इसकी कई लोकप्रिय दवाएँ और उत्पाद भारतीय उपभोक्ताओं के बीच भरोसे का प्रतीक बने हुए हैं। लेकिन हाल के वर्षों में कंपनी को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। सरकार ने जब कुछ दवाओं को ‘राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची’ (NLEM) में शामिल किया और उनकी कीमतों पर सीमा तय की, तो इसका सीधा असर जीएसके के राजस्व और लाभ पर पड़ा। 2022 से लेकर अब तक कंपनी की आय और मुनाफ़े में गिरावट देखी गई है। उदाहरण के तौर पर, ‘सेफ्टम’ (Ceftum) और ‘टी-बैक्ट ऑइंटमेंट’ (T-bact ointment) जैसी प्रमुख दवाओं पर मूल्य नियंत्रण लागू होने से मुनाफ़े में कमी आई। इसके बावजूद, जीएसके ने भारत में अपने संचालन और शोध गतिविधियों को धीमा नहीं किया है। कंपनी लगातार नई रणनीतियाँ बना रही है और भारतीय बाज़ार की ज़रूरतों के हिसाब से अपनी दवाओं और स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध करा रही है। इसकी सक्रियता और मज़बूत उपस्थिति से यह साफ़ है कि जीएसके भविष्य में भी भारत की दवा व्यवस्था में अहम भूमिका निभाती रहेगी।
संदर्भ-
https://tinyurl.com/bdew77vn
https://tinyurl.com/4jtuwmf5
https://tinyurl.com/f3h5mjv2
https://tinyurl.com/5bv9vbh4
https://tinyurl.com/ypue8fzv
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