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पहला सुख निरोगी काया’। यह कथन शत् प्रतिशत सत्य है। यदि हमारा शरीर स्वस्थ है, तो हमारा मन भी प्रसन्नचित रहता है और एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। खेल-कूद और व्यायाम ऐसी चीजें हैं जिससे हमारा शरीर स्वस्थ और मजबूत बनता है। यदि हमारी काया तन्दरूस्त न हो, तो हम अपने आप को असहाय और असहज महसूस करते हैं।
वर्तमान में ओलम्पिक, खेल प्रतियोगिताओं में सर्वश्रेष्ठ खेल प्रतियोगिता है। सन् 1900 में भारत ने एकमात्र एथलेटिक खिलाड़ी के साथ ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लिया। नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिटचार्ड ओलम्पिक खेलों में भारत के लिए एथलेटिक में दो रजत पदक जीते और बाद में नॉर्मन ट्रेवर, नए नाम के साथ वो हॉलीवुड स्टार बन गए। लेकिन सन् 1920 तक ओलम्पिक के किसी भी खेल में प्रतिभाग नहीं किया। 1920 में भारत ने पहली बार एक टीम ग्रीष्मकालीन ओलंम्पिक खेलों के लिए रवाना की। उसके बाद प्रत्येक ग्रीष्मकालीन खेलों में भारत ने हिस्सा लिया। शीतकालीन ओलम्पिक खेलों में सन् 1964 से भारत ने अपनी प्रतिभागी दर्ज की। सन् 2016 में भारत ने ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में 118 सदस्यीय टीम के साथ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इन खेलों में भारत गोल्ड मेडल भी जीत चुका है।
भारत की ओर से ओलम्पिक के खेलों में पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी साझेदारी की है और भारत के लिए पदक भी जीते हैं। खेलों में जीत के कारण अपने देश का नाम आगे आने से आज बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्म जगत को खेल जगत के सितारे अपनी ओर आर्कर्षित करते हैं। यही कारण है कि आज फिल्म जगत के निर्देशक खिलाड़ियों के जीवन से प्रभावित होकर उनको विषय केन्द्र बनाकर फिल्में बना रहे हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कुछ ऐसी ही फिल्में हैं जो एक खेल प्रेमी को ज़रूर देखनी चाहिए।
‘लगान’ 2001 में क्रिकेट और भारतीय इतिहास के जोड़ पर, ‘इकबाल’ 2005 में एक क्रिकेटर के जीवन पर, ‘चक दे इंडिया’ 2007 में महिला हॉकी खिलाड़ी टीम पर, ‘भाग मिल्खा भाग’ 2013 में पुरूष धावक खिलाड़ी के जीवन पर और ‘मेरी कॉम’ 2014 में महिला मुक्केबाज खिलाड़ी के जीवन पर आधारित फिल्में हैं। इसके अलावा ‘पटियाला हाउस’ (2011), ‘जो जीता वही सिकन्दर’ (1992), ‘साला खड़ूस’ (2016), ‘पान सिंह तोमर’ (2012), ‘स्ट्राइकर’ (2010) आदि हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘हूसिएर्स’ (1986), ‘रॉकी’ (1976), ‘फील्ड ऑफ ड्रीम्स’ (1989), ‘रेजिंग बुल’ (1980), ‘मिलियन डॉलर बेबी’ (2004), और ‘दि फाइटर’ (2010) आदि हैं जिनको देखना न भूलें।
मेरठ भारत के खेल नगर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां पर विशाल खेल उद्योग स्थापित है तथा यहाँ की ज़्यादातर जनता खेल को अपने दिल में बसाती है।