समय - सीमा 277
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1033
मानव और उनके आविष्कार 812
भूगोल 249
जीव-जंतु 303
यूं ही कट जाएगा सफ़र साथ चलने से, कि मंजिल आएगी नज़र साथ चलने से। प्रारंग का यह सफ़र भी कुछ ऐसा ही है जो अपने पाठकों के प्रोत्साहन के साथ चलता जा रहा है और दिन प्रतिदिन और भी मनोरंजक होता जा रहा है। हर दिन हमारे इस प्रारंग परिवार में कुछ नए सदस्य जुड़ते जा रहे हैं। तो आज हम कुछ समय निकालेंगे 2018 के अब तक के सफ़र की समीक्षा करने में।
आज की तारीख है 10 अगस्त 2018 तथा आज इस वर्ष का 222वां दिन है। इन 222 दिनों में प्रारंग अपने परिवार के मेरठवासियों तक 218 लेख पहुंचा चुका है तथा यह लेख 219वां लेख होगा। यदि ध्यान दें तो लगभग हर दिन प्रारंग ने मेरठ को समर्पित एक लेख आप तक पहुँचाया है। प्रारंग के अनूठे वर्गीकरण में यदि इन लेखों को देखा जाए तो संस्कृति से जुड़े 169 लेख तथा प्रकृति से जुड़े 49 लेख अब तक इस वर्ष में प्रस्तुत किये गए हैं। और यदि संस्कृति और प्रकृति के भीतर वर्गीकरण की बात करें तो लेखों का वितरण कुछ इस प्रकार है:
प्रकृति:
• समयसीमा- 22
• मानव व उसकी इन्द्रियाँ- 82
• मानव व उसके आविष्कार- 65
संस्कृति:
• भूगोल- 12
• जीव-जंतु- 19
• वनस्पति- 18
इन लेखों को प्रारंग के मेरठ पोर्टल (http://meerut.prarang.in/), फेसबुक (https://www.facebook.com/prarang.in/), ट्विटर (https://twitter.com/prarang_in?lang=en) तथा प्रारंग की एंड्राइड मोबाइल एप्लीकेशन (https://play.google.com/store/apps/details?id=com.riversanskiriti.prarang&hl=en_IN) द्वारा आप तक पहुँचाया गया। इनमें से मेरठवासियों की सबसे अधिक प्रतिक्रिया फेसबुक पर देखने को मिली।
यदि बात करें फेसबुक लाइक्स (Facebook Likes) की तो वर्ष 2018 में मेरठ के लेखों को करीब 6000 बार लाइक किया गया तथा उनपर कमेंट (Comment) के रूप में पाठकों द्वारा 114 बार टिप्पणी की गयी। आज प्रारंग के साथ फेसबुक पर करीब 43,000+ पाठक जुड़े हुए हैं जिनमें से 10,000+ पाठक मेरठ से हैं। साथ ही प्रारंग की एंड्राइड मोबाइल एप्लीकेशन के 1000 से भी अधिक डाउनलोड (Download) हो चुके हैं जिनमें से मेरठ से करीब 300 डाउनलोड हैं।
प्रारंग द्वारा प्रकाशित किये गए प्रस्तुत 5 लेख मेरठवासियों में सबसे अधिक लोकप्रिय रहे। हर लेख के नाम पर क्लिक कर आप उसे पढ़ सकते हैं:
1. मेरठ में कार्यस्थल तक के सफ़र का संघर्ष
2. धार्मिक कट्टरता हो सकती है जानलेवा
3. परीक्षितगढ़ के राजा परीक्षित की कहानी
4. मेरठ के आलमगीरपुर में मिले सिन्धु सभ्यता के साक्ष्य
5. मेरठ की अनोखी भाषा पर हास्य
साथ ही हम आप सभी से आग्रह करना चाहेंगे कि हर लेख पर कमेंट और लाइक के रूप में अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर ज़ाहिर करें। अंत में प्रारंग अपने सभी मेरठ के पाठकों को हमारे साथ बने रहने के लिए धन्यवाद कहना चाहेगा क्योंकि यह आप लोगों का निरंतर प्रोत्साहन ही है जो हमें हर दिन बेहतर से बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।