वैदिक संस्‍कृत और लौकिक संस्‍कृत के मध्‍य भेद

ध्वनि II - भाषाएँ
23-10-2018 02:09 PM
वैदिक संस्‍कृत और लौकिक संस्‍कृत के मध्‍य भेद

संस्‍कृत सर्व भाषायां जननी अस्ति। भारतीय उपमहाद्वीप में विचार-विनिमय हेतु उपयोग में लायी गयी ज्ञात भाषाओं में सबसे प्राचीन संस्‍कृत भाषा है। जिसके सामान्‍यतः दो रूप हैं, वैदिक संस्‍कृत तथा लौकिक संस्‍कृत। वैदिक संस्‍कृत या प्राचीन संस्‍कृत का उपयोग वेद (ऋग्‍वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्वेद), पुराण, उपनिषद में देखने को मिलता है। पणिनि ऋषि से पूर्व की लगभग सभी रचना वैदिक संस्‍कृत में मिलती हैं। यह भारोपीय (इंडो-यूरोपीय) भाषा इरानियों के पवित्र ग्रन्‍थ अवेस्‍ता की भाषा के निकटवर्ती प्रतीत होती है।

पणिनि की रचना अष्‍टाध्‍यायी से लौकिक संस्‍कृत का रूप उभरकर आया। संस्‍कृत भाषा में व्‍याकरणिक सुधार के साथ सामान्‍य संस्‍कृत भाषा की शब्‍दावली का उपयोग किया गया है। लौकिक संस्‍कृत का प्राचीन उपयोग 500 ईसा पूर्व रामायण और महाभारत में मिलता है। लौकिक संस्‍कृत को वैदिक संस्‍कृत का विकसित रूप कहा जा सकता है। प्रथम शताब्‍दी में भारतीय-आर्य परिवार की यह भाषा पूर्वी और मध्‍य एशिया में अत्‍यंत प्रसिद्ध हो गयी थी।

वैदिक संस्‍कृत और लौकिक संस्‍कृत के मध्‍य अंतर :



संदर्भ:

1.http://www.mgahv.in/Pdf/Dist/gen/MAHD_15_hindi_bhasha_ka_vikas_evam_nagari_lipi.pdf
2.https://www.quora.com/What-is-the-difference-between-Vedic-Sanskrit-and-classical-Sanskrit
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Vedic_Sanskrit
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Sanskrit